मध्यप्रदेश

Sita Swayamvara happened in 120 years old Ramlila in Sagar | सागर में रामलीला में सीता स्वयंवर: धनुष टूटते ही गूंजे जय श्रीराम के जयकारे; 120 साल हो रहा मंचन, बच्चों से बुजुर्ग तक निभाते हैं किरदार – Sagar News

रामलीला में सीता स्वयंवर देखने हजारों लोग पहुंचे देवलचौरी।

सागर जिले के ग्राम देवलचौरी में हो रही रामलीला रविवार को सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। रविवार को सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। जिसे देखने के लिए सागर शहर समेत आसपास के गांवों के हजारों लोग देवलचौरी पहुंचे। मंचन के दौरान जैसे ही भगवान श्रीराम ने धनु

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देवलचौरी गांव में ब्रिटिश शासनकाल में रामलीला का मंचन शुरू हुआ, जो लगातार 120 साल से जारी है। परंपरा ऐसी कि लोग पीढ़ी दर पीढ़ी रामलीला में किरदार निभाते आ रहे हैं। 1905 में अंग्रेजों का शासन था। सागर में भी अंग्रेजों की इजाजत के बगैर कोई काम नहीं होता था। लेकिन सागर से करीब 25 किमी दूर ग्राम देवलचौरी के मालगुजार छोटेलाल तिवारी ने 1905 में गांव में रामलीला मंचन करने का निर्णय लिया। इसके बाद से गांव के लोगों ने मंचन के लिए अलग-अलग किरदारों की रिहर्सल की। बसंत पंचमी के दिन से रामलीला का मंचन शुरू किया।

तभी से बसंत पंचमी पर रामलीला के मंचन की परंपरा देवलचौरी में शुरू हुई, जो 120 साल से लगातार चली आ रही है। इसमें गांव के ही बच्चों से लेकर बुजुर्ग रामलीला के किरदार निभाते हैं। इस साल भी बसंत पंचमी से गांव में रामलीला का मंचन चल रहा है।

रामलीला का मंचन कठिन और महंगा होता है रामलीला देखने पहुंचे पूर्व मंत्री और खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने कहा कि भगवान श्रीराम की लीलाओं के मंचन की परंपरा को 120 सालों से निरंतर श्रद्धापूर्वक निर्वाह करते हुए देवलचौरी के ग्रामवासियों और आयोजकों ने इस रामलीला आयोजन को जिले और प्रदेश की समृद्ध परंपरा बना दिया है। 120 साल बड़ा कालखंड है। वर्तमान में रामलीला का आयोजन मंचन महंगा और कठिन होता है, पर देवलचौरी के आयोजनकर्ता प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से आयोजन समिति को 51 हजार रुपए की राशि भेंट की।

रामलीला में रावण समेत अन्य किरदार निभाते हुए ग्रामीण।

उन्होंने कहा कि हम सभी जीवन में भगवान श्रीराम के आदर्शों, मर्यादाओं और धर्म पर चलें तो समाज और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आती रहती है। भगवान श्रीराम यदि 14 साल के वनवासी जीवन में संघर्षों से नहीं गुजरते तो संभवतः वे भगवान के स्थान पर सिर्फ एक राजकुमार ही होते। हमें रामायण से यह सीख मिलती है कि भगवानों को भी जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। बिना संघर्ष के जीवन में कुछ नहीं मिलता और यदि मिलता भी है तो उसका कोई मूल्य नहीं रहता।

रामलीला का मंचन देखने पहुंचे पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह।

रामलीला का मंचन देखने पहुंचे पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह।

कोरोना काल में भी नहीं रुकी थी रामलीला की परंपरा आयोजन समिति के प्रमुख अजय तिवारी देवलचौरी ने बताया कि जिस चबूतरे पर श्री रामलीला का आयोजन हो रहा है उसे सुरखी विधायक रहते हुए भूपेन्द्र सिंह ने विधायक निधि से बनवाया था। कोरोना काल में भी यह आयोजन नहीं रुकने दिया। उस दौरान पुलिस आयोजन को रोकने पहुंची तो सूचना पर उन्होंने ही हस्तक्षेप करके अनुमति दिलाई थी। ताकि प्राचीन परंपरा की निरंतरता बनी रहे।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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