Shinde faction said in Supreme Court Then Thackeray faction wanted Speaker to usurp powers of Election Commission – सुप्रीम कोर्ट में बोला शिंदे गुट

नई दिल्ली. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे गुट ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से कहा कि 2022 के राजनीतिक संकट के दौरान जब राज्यपाल ने सदन में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था तब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला प्रतिद्वंद्वी गुट चाहता था कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, निर्वाचन आयोग (Election Commission) की शक्तियां ‘हड़प’ लें. तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 के अपने फैसले में कहा था कि शक्तिपरीक्षण लोकतंत्र में बहुमत का पता लगाने का एक बेहतर तरीका होता है और कोई मुख्यमंत्री इससे बच नहीं सकता.
कौल ने पीठ से कहा कि यदि मुख्यमंत्री शक्ति परीक्षण का सामना करने की जिम्मेदारी से बचते हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें सदन में बहुमत नहीं है. कौल ने कहा कि यह स्थापित कानून है कि सदन के अध्यक्ष को प्रथम दृष्टया यह देखना होता है कि उनके सामने रखी गई सामग्री के आधार पर किसी राजनीतिक दल में टूट हुआ है या नहीं और वह बेमतलब की जांच शुरू नहीं कर सकते. जस्टिस नरसिम्हा ने कौल से कहा, ‘हमारी परेशानी यह है कि आप प्रथम दृष्टया एक सिद्धांत बना रहे हैं. टूट और प्रतिद्वंद्वी गुट के बीच अंतर बहुत कम होता है. किसी अध्यक्ष के लिए यह कहना बहुत आसान है कि यह टूट का मामला है या नहीं.’
राजनीतिक दल और विधायक दल आपस में जुड़े हुए हैं, इन्हें अलग नहीं किया जा सकता
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, ‘हालांकि हमारे सामने सवाल यह है कि अध्यक्ष के लिए प्रथम दृष्टया रुख तय करने के लिए क्या रूपरेखा होनी चाहिए. यह एक मुश्किल स्थिति है, क्योंकि अध्यक्ष को विधायकों के हस्ताक्षर जैसे उनके सामने रखी गई सामग्री के आधार पर प्रथम दृष्टया रुख अख्तियार करने के लिए कहा जाता है. अध्यक्ष को प्रथम दृष्टया रुख बनाने के लिए कितनी सामग्री होनी चाहिए?’ कौल ने कहा कि एक राजनीतिक दल और विधायक दल आपस में जुड़े हुए हैं और परस्पर-निर्भर होते हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता. कौल ने यह बात परोक्ष तौर पर ठाकरे गुट के इस बात पर जोर देने की ओर इशारा करते हुए कही कि शिवसेना में टूट शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी के एक गुट के विद्रोह के कारण नहीं हुई.
विधायक दल का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि मूल राजनीतिक दल का
कौल ने कहा, ‘असहमति लोकतंत्र की पहचान है. दूसरी ओर से दलील यह है कि हम (एकनाथ शिंदे गुट) विधायक दल का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि मूल राजनीतिक दल का, जो कि एक मिथ्या है. इस अदालत ने कहा है कि अध्यक्ष इस बात की स्वतंत्र जांच शुरू नहीं करेंगे कि पार्टी में अयोग्यता के बिना टूट हुई है या नहीं.’ कौल ने कहा, ‘वे चाहते हैं कि अध्यक्ष उस अधिकारक्षेत्र को अपनाएं जो निर्वाचन आयोग का है और वे चाहते हैं कि राज्यपाल उस क्षेत्राधिकार का प्रयोग करें जो निर्वाचन आयोग के पास है. राज्यपाल राजभवन में बैठकर गिनती नहीं कर सकते, लेकिन सदन में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि राज्यपाल को अपने समक्ष मौजूद ठोस सामग्री, जैसे सत्ताधारी दल से समर्थन वापस लेने आदि के आधार पर प्रथम दृष्टया रुख अख्तियार करना होगा और जल्द से जल्द शक्ति परीक्षण के लिए कहना होगा, क्योंकि यह ‘लोकतंत्र में परीक्षण का एकमात्र तरीका है.’इस मामले में सुनवाई अधूरी रही और यह बुधवार को भी जारी रहेगी.
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Tags: Eknath Shinde, Election commission, Maharashtra, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : March 14, 2023, 23:07 IST
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