The head of Shankaracharya Math told the importance of dipping | शंकराचार्य मठ के अधिष्ठाता ने बताया डुबकी का महत्व: आध्यात्मिक परंपराओं का उपहास उड़ाना हलकेपन की निशानी- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज – Indore News

सदियों से चली आ रही परंपरा आध्यात्मिक शक्ति, शांति का प्रतीक त्रिवेणी के संगम पर लगने वाला कुंभ मेला समूचे भारत ही नहीं समूचे विश्व की एकता का प्रतीक है। इस त्रिवेणी में डुबकी लगाने से पुण्यफल प्राप्त होता है, ऐसी मान्यता है। यह डुबकी कोई साधारण डुबक
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एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने नित्य प्रवचन में बुधवार को यह बात कही।
महाराजश्री ने कहा कि अपने से बिछुड़े लोगों से मिलन का, लोगों के मतभेद को समाप्त करने का और अनेक बेरोजगारों को रोजगार मिलने का साधन है कुंभ की डुबकी। वास्तव में कुछ महानुभावों द्वारा बगैर समझे निरंतर आध्यात्मिक परंपराओं का उपहास उड़ाना उनके हलकेपन की निशानी है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने कहा है- ऊंच निवासु नीच करतूति, देखि न सकहि पराई विभूति… यानी ऊंचे ओहदों पर तो बैठ गए, परंतु दूसरों की अच्छाई नहीं देखी जा रही। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भारतीय संस्कृति, परंपराओं पर कुठाराघात करने वाले लोगों के बयान से शर्म भी शरमा जाती है। कम से कम भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं को राजनीतिक आवरण से दूर रखें। ध्यान रहे कुंभ में डुबकी लगाने से कोई बेरोजगार नहीं होता, बल्कि मिलता है। लाखों लोगों को कमाने का मौका मिलता है। हमारे तीर्थ सनातनी परंपराओं से ओतप्रोत जितने भी आध्यात्मिक मान्यताएं हैं, वे सबकी सब भारतीय जीवन शैली पर आधारित हैं, जिसमें अमीर, गरीब, आध्यात्मिक, व्यापारी, सामाजिक सभी को एक करने का साधन है। इसलिए बिना जाने समझे भारतीय परंपराओं से जुड़ी किसी भी परंपराओं को नहीं छेड़ना चाहिए।
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