Indore:इंदौर का स्टार्टअप हिमालय में कचरा फैलने से रोकेगा, अमरनाथ यात्रा के वेस्ट मैनेजमेंट संभालने का जिम्मा – Startup Of Indore Will Prevent The Spread Of Garbage In The Himalayas, Got The Responsibility Of Handling The

अमरनाथ यात्रा के दौरान इन बक्सों में होगा कचरेेका निपटान।
– फोटो : amar ujala digital
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सबसे दुर्गम और हिमालय की ऊंचाइयों पर स्थित बाबा अमरनाथ पवित्र गुफा यात्रा के वेस्ट मैनेजमेंट का जिम्मा इंदौर की स्टार्टअप कंपनी को फिर मिला है।कंपनी 350 से अधिक सफाई मित्रों और वाॅलेंटियर की टीम के साथ अमरनाथ के दोनो यात्रा पथ यानि बालटाल और पहलगाम पर और गुफा तक के 13 कैंपों के माध्यम से कचरे को हिमालय में फैलने से रोकेगी।
अमर नाथ यात्रा एक जुलाई से शुरू होने वाली है। यात्रा के दौरान लाखों यात्री पवित्र गुफा के दर्शन के लिए जाते है और सैकड़ों टन कचरा भी इस दौरान उत्पन्न होता है। यात्रा के वेस्ट मैनेजमेंट का जिम्मा इंदौर की स्टार्टअप कंपनी स्वाहा को मिला है।
डायरेक्टर समीर शर्मा ने बताया कि हमारी टीम सबसे पहले बेस कैंप पर ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक को रोकेेगी और उसके लिए यात्रियों से प्लास्टिक लेकर कपड़े के थैले निशुल्क बांटे जाएंगे। इसके बाद लंगरों के फूड वेस्ट और किचन वेस्ट से ऑन स्पॉट कंपोस्ट बनाया जाएगा।यात्री कम से कम कचरा फैलाए, इसके लिए यात्रा मार्ग पर जिंगल्स, यात्रा एंथम , विभिन्न एक्टिविटीज , सेल्फी प्वाइंट, कपड़े का बैग और साथ ही स्वच्छता मासकॉट पूरे समय बेस कैंपों में घूमेंगे।
पहाड़ों पर इंदौरी पोहा भी मिलेगा
यात्रा के दौरान इस बार स्वाहा इंदौर के सोशल मीडिया ग्रुप के साथ मिलकर एक ऐसा लंगर लगाएगा, जो पूरी तरह सोलर और बायोगैस से चलेगा और इसमें इंदौरी स्वाद यानी पोहे, साबूदना खिचड़ी, चाय यात्रियों को निशुल्क प्रसाद के तौर पर वितरित की जाएगी।
20 से 30 लाख बोतले रास्ते में फेंकते है यात्री
अमरनाथ यात्रा 62 दिन चलेगी। इस दौरान 1200 टन कचरे का एकत्र कर उसका निपटान किया जाएगा। कंपनी के रोहित अग्रवाल के अनुसार यात्रा के दौरान 20 से 30 लाख प्लास्टिक बोतलों का यात्री उपयोग करते है और उसे रास्ते में फेंक देते है। सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा इन बोतलों के कारण ही होता है। हमारी टीम यात्रा के शुरुआती कैम्प मेें ही सिंगल यूज प्लास्टिक रोकेगी। कचरे को प्रोसेस करने के लिए हमने विशेष मशीनें तैयार की है जो बिजली के बगैर चलेगी। उन्हें घोड़ों की मदद से पहाड़ों पर पहुंचाया जाएगा।
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