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साउथ चाइना सी में चीन की विस्तारवादी नीति और तेल-गैस विवाद

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SOUTH CHINA SEA EXPLAINER: चीन अब समंदर के रूट को बायपास करने में जुटा है. चीन अपनी ज्यादार हाइड्रोकार्बन आपूर्ति के लिए समुद्री मार्गों पर निर्भर है. इसमें इसमें दक्षिणी चीन सागर और मलक्का स्ट्रेट शामिल हैं. इ…और पढ़ें

चीन चहता है दक्षिण चीन सागर पर पूरा कब्जा

SOUTH CHINA SEA EXPLAINER: विस्तारवादी मानसिकता वाले चीन की साउथ चाईना सी में दादागिरी 2000 साल पहले हॉन साम्राज्य के एतिहासिक दस्तावेज पर आधारित है. हॉन साम्राज्य के दस्तावेज का हवाला देकर चीन पूरे साउथ चाईना सी पर अपना अधिकार जमाने लगा है. साउथ चाईना सी की लोकेशन की बात करें तो यह चीन के साउथ, वियतनाम में इस्ट और साउथ, फिलीपींस के वेस्ट, बॉर्नियो आईलैड के नॉर्थ तक है. इस साउथ चाईना सी से लगते देश चीन, ताइवान, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई , इंडोनेशिया, वियतनाम और सिंगापुर है. चीन का इन सभी देशों के साथ विवाद है. चीन इन देशों को धमकाने के मकसद से अपनी नौसेना की ताकत भी दिखाता रहता है. उसी कड़ी में चीन ने साल 2025 की पहली बड़ी सैन्य अभ्यास को अंजाम दिया. चीनी पीएलए दक्षिणी थिएटर कमांड के तहत एक नेवी फ्लोटिला (फ्लीट) में अलग अलग तरह के वॉरशिप ने साउथ चाइना सी में एक लाइव-फायर ड्रिल आयोजित की. इस ड्रिल का मकसद अपनी युद्ध क्षमता का परीक्षण करना. इस अभ्यास में वॉरशिप और एयर असेट में शामिल थे. हर तरह की गन, मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम का भरपूर इस्तेमाल किया गया.

तेल और गैस का है खेल
चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहता है. इसके लिए उसे अपनी इंडस्ट्री को चौबीसो घंटे चालू रखना रखना जरूरी है. चीन दुनिया में कच्चे तेल और गैस का सबसे बड़ा आयातक है.अब उसकी नजर है साउथ चाइना सी में छिपे खनिज, तेल और गैस का भंडार पर. अमेरिकी एनर्जी इन्फ़ॉर्मेशन एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि इस वक्त साउथ चाईना सी में 190 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नेचुरल गैस और 11 बिलियन बैरल कच्चे तेल का भंडार है. अमेरिका के जियौलोजिकल सर्वे में ये भी जानकारी सामने आई थी कि साउथ चाईना सी में 160 ट्रिलियन केयूबिक फ़ीट प्राकृतिक गैस और 12 बिलियन बैरल तेल भी हो सकता है. जिसकी अभी तक खोज भी नहीं हुई है. चीन के मुताबिक तो यह भंडार कहीं ज़्यादा है. चीन इस भंडार को किसी के साथ बांटना नहीं चाहता. अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हर देश को अपने समुद्री क्षेत्र में तट से लेकर 200 नॉटिकल मील पर अधिकार होता है. उस जगह की प्राकृतिक संपदा पर उनका हक होता है. चीन अब साउथ चाइना सी में इर्द गिर्द के देशों को एक्सक्लूसिव ज़ोन में भी घुसबैठ कर रहा है.

9 डैश लाइन में बंध गया साउथ चाइना सी
साउथ चाईना सी में चीन ने अपने कदम 1947 तेजी से बढ़ाना शुरु किया था. चीन ने साउथ चाइना सी के नक्शे को 11 डैश लाइन बना कर अपना अधिकार जमाया. वियतनाम के साथ एक संधि के तहत 1952 में 11 डैश लाइन को 9 डैश लाईन में तब्दील कर दिया गया. हाल के कुछ सालों में चीन का विवाद फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ उस वक्त बढ़ा जब चीन ने इन देशों से एक्सक्लूसिव इकॉनोमिक जोन में घुसबैठ की. ताजा मामला 25 जनवरी का है. पिलीपींस के साथ कुछ हफते पहले ही साउथ चाइना सी में तनाव को कम करने एग्रीमेंट के बावजूद चीन ने तनाव को बढ़ा दिया.  फिलीपींस के साइंटिफक सर्वे करने वाले वेसेल को चीनी कोस्टगार्ड ने रोक दिया. इसकी जानकारी और विडियों खुद फिलीपींस कोस्ट गार्ड के प्रवक्ता ने सोशल मीडिया में साझा की. साउथ चाईना सी में ऑयल रिग के दावे पर चीन की इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच ठनी हुई है. यह हिस्सा मलेशिया के सबा और सरवाक के करीब है तो इंडोनेशिया के नाटुना द्वीप समूह के पास है. यह चीन के 2009 में जारी किए गए 9 डैश लाइन के अंतर्गत आता है. चीन इंडोनेशिया और मलेशिया को बार बार इन इलाक़ों से अपने तेल की खोज और तेल निकालने को रोकने के लिए धमकाता रहा है. इन दोनों देशों की नौसेना ने चीन के घुसबैठ का जवाब देने की ठानी उस चीन के कोस्ट गार्ड जहाज़ को न सिर्फ उनके इलाक़े के समुद्र में आने से रोका बल्कि उन्हें उन इलाक़ों से जाने को भी कहा. जिस तरह के हालात ताईवान और साउथ चाईना सी में पैदा हुए है उसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ही तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार है.

चीन की खपत बढ़ रही है हर साल
अगर हम चीन के खपत की बात करें तो पिछले चार दशक में चीन की खपत तीन गुणा बढ़ा गई है 1980 से लेकर 2019 तक के तेल की खपत के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 1980 में 1197.26 हजार बैरल प्रति दिन की खपत थी जो की 2019 में बढ़कर 3.192 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गई. साल 2023 में यह खपत दोगुनी यानी 7.89 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गई. पेंटागन की रिपोर्ट में यह साफ हुआ कि साल 2023 में चीन ने लगभग 11.3 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चे तेल का आयात किया, जो उसकी कुल खपत का लगभग 70 फीसदी था, जबकि बाकी 30 फीसदी घरेलू उत्पादन से आता था. चीन ने अपने रणनीतिक और व्यावसायिक कच्चे तेल भंडार क्षमता को भी बढ़ाया है. चीन का टार्गेट 90 दिनों के तेल आयात के बराबर भंडारण रखने का है. मौजूदा समय में इसकी क्षमता लगभग 700 मिलियन बैरल है, जो 62 दिनों के आयात के बराबर है.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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