WTC Final: जब काउंटी खेल रहे मदन लाल की कप्तान कपिल देव ने टीम इंडिया में कराई हैरतअंगेज एंट्री | madan lal test match kapil dev Indian cricket team 1986 india england test series

साल 1986 में भारत की क्रिकेट टीम इंग्लैंड के दौरे पर गयी थी। कपिल देव टीम के कप्तान थे। भारतीय टीम ने इंग्लैंड में पहली बार 2-0 से टेस्ट सीरीज जीती थी। ये बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
Cricket
lekhaka-Ashok kumar sharma

भारत
को
इंग्लैंड
के
ओवल
में
विश्व
टेस्ट
चैंपियनशिप
का
फाइनल
खेलना
है।
यह
पहली
बार
होगा
जब
भारत
इंग्लैंड
के
दौरे
पर
तो
जाएगा
लेकिन
खेलेगा
ऑस्ट्रेलिया
से।
इंग्लैंड
दौरे
से
जुड़ी
भारत
की
कई
सुनहरी
यादें
हैं।
उनमें
सबसे
खास
है
1986
का
दौरा।
क्रिकेट
के
खेल
में
कभी
कभी
किस्मत
यूं
मेहरबान
हो
जाती
है
कि
यकीन
करना
मुश्किल
हो
जाता
है।
1986
में
भारत
की
क्रिकेट
टीम
इंग्लैंड
के
दौरे
पर
गयी
थी।
कपिल
देव
टीम
के
कप्तान
थे।
भारतीय
टीम
ने
इंग्लैंड
में
पहली
बार
2-0
से
टेस्ट
सीरीज
जीती
थी।
ये
बहुत
बड़ी
उपलब्धि
थी।
इसमें
खिलाड़ियों
का
योगदान
तो
था
ही,
किसमत
ने
भी
खूब
खेल
दिखाया
था।
पहला
टेस्ट-
भारत
5
विकेट
से
जीता
क्रिकेट
के
मक्का
लॉर्ड्स
में
भारत
और
इंग्लैंड
के
बीच
पहला
टेस्ट
मैच
खेला
गया।
भारत
ने
टॉस
जीतकर
पहले
गेंदबाजी
चुनी।
ग्राहम
गूच
के
शतक
और
डेरिक
प्रिंगल
के
अर्धशतक
की
बदौलत
इंग्लैंड
ने
294
रन
बनाये।
भारत
3
तेज
गेंदबाजों
(कपिलदेव,
रोजर
बिन्नी,
चेतन
शर्मा)
के
साथ
खेल
रहा
था।
मोहिंदर
अमरनाथ
और
रवि
शास्त्री
ऑलराउंडर
थे।
स्पिनर
के
रूप
में
मनिंदर
सिंह
टीम
का
हिस्सा
थे।
इंग्लैंड
की
बाउंसी
पिच
पर
चेतन
शर्मा
ने
शानदार
बॉलिंग
की।
उन्होंने
32
ओवर
में
64
रन
देकर
5
विकेट
लिये।
रोजर
बिन्नी
को
3
और
कपिल
को
एक
विकेट
मिला।
भारत
की
तरफ
से
दिलीप
बेंगसरकर
ने
126
रनों
की
पारी
खेली।
मोहिंदर
अमरनाथ
ने
भी
69
रनों
का
योगदान
दिया।
भारत
ने
341
रन
बनाये।
इसके
जवाब
में
इंग्लैंड
की
दूसरी
पारी
धाराशायी
हो
गयी।
180
रनों
पर
पूरी
टीम
आउट
हो
गयी।
कपिल
ने
4
तो
मनिंदर
सिंह
ने
3
विकेट
लिये।
चेतन
शर्मा
और
रोजर
बिन्नी
ने
1-1
विकेट
लिया।
भारत
को
जीत
के
लिए
134
रनों
का
लक्ष्य
मिला
जो
उसने
पांच
विकेट
के
नुकसान
पर
हासिल
कर
लिया।
भारत
पहला
टेस्ट
मैच
5
विकेट
से
जीत
गया।
दूसरे
टेस्ट
में
किस्मत
का
खेल
दूसरा
टेस्ट
मैच
शुरू
होने
से
पहले
चेतन
शर्मा
और
मोहिंदर
अमरनाथ
अनफिट
हो
गये।
चेतन
पहले
टेस्ट
के
हीरो
थे।
उनके
नहीं
रहने
से
टीम
का
बॉलिंग
कंबिनेशन
बिगड़
रहा
था।
कप्तान
कपिल
देव
सोच-विचार
में
पड़
गये।
ये
संयोग
की
बात
है
कि
उस
समय
मदन
लाल
इंग्लैंड
में
काउंटी
क्रिकेट
खेल
रहे
थे।
वे
लंकाशायर
लीग
में
एश्टन
की
टीम
से
खेल
रहे
थे।
चूंकि
उनका
भारतीय
टीम
में
चयन
नहीं
हुआ
था
इसलिए
वे
काउंटी
क्रिकेट
खेलने
इंग्लैंड
आ
गये
थे।
चेतन
शर्मा
घायल
हुए
तो
उनकी
जगह
मनोज
प्रभाकर
ले
सकते
थे।
वे
भी
एक
अच्छे
स्विंग
गेंदबाज
थे।
उनका
भारतीय
टीम
में
चयन
हुआ
भी
था।
लेकिन
कपिल
देव
को
मनोज
प्रभाकर
पर
भरोसा
नहीं
था।
इसलिए
उन्हें
पहले
टेस्ट
के
प्लेइंग
इलेवन
में
उन्हें
रखा
भी
नहीं
था।
वैसे
कहा
जाता
है
कि
उस
समय
कपिल
देव
और
मनोज
प्रभाकर
के
बीच
आपसी
मतभेद
बढ़ने
शुरू
हो
गये
थे।
कपिल
ने
एक
बार
फिर
मनोज
प्रभाकर
की
अनदेखी
की
और
एक
चौंकाने
वाला
फैसला
लिया।
इससे
सभी
लोग
आश्चर्य
में
पड़
गये।
उन्होंने
टीम
मैनेजमेंट
से
बात
की
और
मदन
लाल
को
प्लेइंग
इलेवन
में
शामिल
कर
लिया।
मदन
लाल
की
हैरतअंगेज
इंट्री
यह
एक
आश्चर्यजनक
फैसला
था।
जो
खिलाड़ी
टीम
में
नहीं
था,
संयोग
से
इंग्लैंड
मौजूद
था,
उसे
अचानक
टीम
में
शामिल
कर
लिया
गया।
इस
फैसले
से
खुद
मदन
लाल
भी
हैरान
थे।
उन्होंने
सपने
में
भी
नहीं
सोचा
था
कि
उनकी
इस
तरह
से
भारतीय
टीम
में
वापसी
होने
वाली
है।
खैर
किस्मत
की
मेहरबानी
और
कपिल
के
फैसले
से
मदन
लाल
भारतीय
गेंदबाजी
की
हिस्सा
बने।
मदन
लाल
ने
इत्तेफाक
से
मिले
इस
मौके
को
दोनों
हाथों
से
लपका
और
शानदार
प्रदर्शन
किया।
दूसरे
टेस्ट
में
भारत
ने
पहले
खेलकर
272
रन
बनाये
थे।
भारतीय
टीम
एक
समय
8
विकेट
के
नुकासन
पर
213
रन
बनाकर
संघर्ष
कर
रही
थी।
तब
मदन
लाल
ने
किरण
मोरे
के
साथ
आठवें
विकेट
के
लिए
54
रनों
की
साझेदारी
कर
भारत
की
स्थिति
मजबूत
कर
दी।
मदन
ने
20
रन
बनाये।
मोरे
36
रनों
पर
नाबाद
रहे।
आये
और
छाये-
18
रन
देकर
3
विकेट
इंग्लैंड
की
पहली
पारी
शुरू
हुई
तो
मौसम
बदल
चुका
था।
आकाश
में
बादल
छाये
हुए
थे।
मैदान
पर
तेज
हवा
चल
रही
थी।
मौसम
के
मिजाज
को
देख
कर
कपिलदेव
ने
पहले
ओवर
के
लिए
गेंद
मदन
लाल
को
थमा
दी।
मदन
लाल
ने
कप्तान
के
भरोसे
सही
साबित
किया।
इंग्लैंड
का
स्कोर
अभी
4
रन
ही
था
कि
मदन
ने
विल्फ
स्लैक
को
बोल्ड
कर
दिया।
14
रन
के
स्कोर
कपिल
देव
ने
ग्राहम
गूच
का
बड़ा
विकेट
निकाला।
इसी
स्कोर
पर
मदन
लाल
ने
इंग्लैंड
को
तीसरा
झटका
दिया।
उनकी
गेंद
को
लाजवाब
स्विंग
मिल
रहा
था।
क्रिस
स्मिथ
को
भी
मदन
लाल
ने
क्लीन
बोल्ड
ही
किया।
मदन
लाल
ने
18
रन
देकर
3
विकेट
लिये।
इसके
बाद
रोजर
बिन्नी
ने
अपना
कमाल
दिखाया।
उन्होंने
इंग्लैंड
के
मिडिल
ऑर्डर
को
तहसनहस
करते
हुए
5
विकेट
लिये।
एक
विकेट
रवि
शास्त्री
को
भी
मिला।
भारत
की
इस
शानदार
गेंदबाजी
के
चलते
इंग्लैंड
की
टीम
102
रनों
पर
सिमट
गयी।
सबसे
अधिक
बिल
एथी
ने
32
रन
बनाये
थे।
शानदार
गेंदबाजी,
भारत
की
जीत
भारत
ने
दूसरी
पारी
में
दिलीप
वेंगसरकर
के
शतक
(102
नाबाद)
की
मदद
से
237
रन
बनाये।
इंग्लैंड
को
जीत
के
लिए
408
रनों
का
टारगेट
मिला।
लेकिन
मनिंदर
सिंह
की
शानदार
गेंदबाजी
के
कारण
इंग्लैंड
की
पारी
फिर
लड़खड़ा
गयी।
इंग्लैंड
की
दूसरी
पारी
128
रनों
पर
ढह
गयी।
मनिंदर
सिंह
ने
4,
कपिल
और
रोजर
बिन्नी
ने
2-2
लिये।
रवि
शास्त्री
को
एक
विकेट
मिला।
दूसरी
पारी
में
मदन
लाल
को
कोई
विकेट
नहीं
मिला।
लेकिन
पहली
पारी
में
उन्होंने
जो
गेंदबाजी
की
थी
उससे
इंग्लैंड
के
बल्लेबाजों
का
आत्मविश्वास
डगमगा
गया
था।
तीसरे
टेस्ट
में
चेतन
शर्मा
लौटे
तो
मदन
लाल
बाहर
हो
गये।
तीसरा
टेस्ट
ड्रा
रहा।
इस
तरह
कपिल
देव
ने
न
केवल
2-0
से
टेस्ट
श्रृंखला
जीती
बल्कि
अपने
असाधारण
फैसले
को
सही
सबित
भी
किया।
English summary
madan lal test match kapil dev Indian cricket team 1986 india england test series
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