मध्यप्रदेश

In the new opium policy, leases of 10-10 saws will be given | नई अफीम नीति में 10-10 आरी के मिलेंगे पट्टे: 1995-96 के निरस्त पट्टे भी बहाल, सीपीएस पद्धति से कर सकेंगे खेती – Mandsaur News

2024-25 की अफीम नीति के गजट नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहे किसानों के लिए एक अच्छी खबर आई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हस्ताक्षर के साइन के बाद एक-दो दिन में नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि नई अफीम नीति की घोषणा

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ऐसी है नई अफीम पॉलिसी

सांसद गुप्ता के अनुसार नई अफीम पॉलिसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाइसेंसधारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन सभी किसानों को लांसिंग पद्धति के अफीम के पट्टे दिए जाएंगे।

जिन किसानों ने 900 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या उससे अधिक अफीम नार्कोटिक्स विभाग को सौंपी थी, उन्हें भी डोडा पर चीरा लगाने का लाइसेंस मिलेगा। ऐसे किसानों जिन्होंने पिछले वर्ष अफीम की फसल को नष्ट कर दी या पात्र होने के बाद भी किसी कारणवश अफीम की बुवाई नहीं की, वे किसान भी लांसिंग पद्धति से पट्टे के पात्र होंगे।

पात्र सभी किसानों को 10-10 आरी के पट्टे दिए जाएंगे। खास बात यह है कि यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते हैं।

1995-96 के निरस्त पट्टे भी बहाल

सांसद गुप्ता ने बताया कि किसानों को वर्ष 1995-96 या इसके बाद किसी भी वर्ष लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वे किसान, जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वर्ष 1995-96 मृतक होने की स्थिति में उनके वैध उत्तराधिकारी भी लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे।

मंदसौर में बड़ी मात्रा में अफीम की खेती होती है।

सीपीएस पद्धति के लिए ये किसान होंगे पात्र

सीपीएस पद्धति में वे किसान पात्र होंगे, जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हेक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो वे किसान भी पात्र होंगे। इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के अंतर्गत जिन किसानों ने 675 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम दी उनके लाइसेंस भी केवल 1 वर्ष के लिए ही रोके गए हैं, उन्हें पुनः सीपीएस पद्धति से खेती करने का मौका मिलेगा। ऐसे काश्तकार, जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे। सीपीएस पद्धति में भी सभी पात्र किसानों को केवल एक प्लॉट में 0.10 हेक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा।

रिकॉर्ड ऑनलाइन है तो बार बार कागज जमा करवाने की जरूरत नहीं

यदि काश्तकार चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की भूमि को पट्टे पर ले सकता है, जो काश्तकार इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे। वहीं, मौजूदा लाइसेंसधारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी जानकारी पहले से ही नाॅरकोटिक्स विभाग के पास है। पिछले वर्ष के किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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