Air quality index crossed 200, water foggers bought to stop flying dust are not used, standing behind the bus stand | हवा की सेहत खराब: एयर क्वालिटी इंडेक्स 200 के पार, उड़ती धूल रोकने खरीदे वाटर फॉगर का उपयोग नहीं, बस स्टैंड के पीछे खड़े – Gwalior News

शहर में उड़ती धूल और उसके कणों को थामने के लिए नगर निगम ने आठ वाटर फॉगर खरीदे थे। वे अब सड़कों पर नहीं अंतरराज्यीय बस स्टैंड के पीछे स्थित डीजल डिपो एरिया में खुद धूल खा रहे है। यहीं कारण है कि दो महीने पहले तक एयर क्वालिटी इंडेक्स 100 के नीचे रहता था
.
उड़ती धूल की वजह से बदले मौसम में एलर्जी के मरीज भी ज्यादा सामने आ रहे है। निगम के जानकारों का कहना है कि यदि वाटर फॉगर से धूल और उसके कणों को नहीं थामा गया को एयर क्वालिटी इंडेक्स ज्यादा बढ़ सकता है। बारिश के बाद सड़कों के किनारे जमा हुई धूल को निगम पूरी तरह नहीं हटा पाया।
यहीं धूल वाहनों के दौड़ने पर उड़ती नजर आती है। सड़कों के फुटपाथ और डिवाइडरों के किनारे लगे पेड़-पौधों पर कहीं धूल दिखाई दे जाती है। गौरतलब है कि एक वाटर फॉगर की कीमत 45-45 लाख है। साथ ही ओएंडएम भी कंपनी को करना है। नगर निगम का वाटर फोगर गर्मी के मौसम में दिखाई देते थे। उनकी मदद से पेड़ों में पानी डालने के साथ-साथ पेड-पौधों पर चिपकी धूल को धोया जाता है।
निगमायुक्त अमन वैष्णव का कहना है कि वाटर फॉगर के लिए स्टाफ की कमी है। इसकी व्यवस्था कर रहे हैं। हालांकि13 हॉट स्पॉट पर वाटर फॉगर चला रहे हैं।
- 45-50 लाख कीमत है एक वाटर फॉगर की
- 08 वाटर फॉगर खरीदे थे नगर निगम प्रशासन ने
- 03 एयर मॉनिटरिंग स्टेशन पर होती है हवा की सेहत की जांच
यहां निर्माण कार्य वहां, ग्रीन नेट तक नहीं लगाए
शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स कुछ समय पहले 300 के पार पहुंच गया था। उस पर निगम ने निर्माण स्थलों पर ग्रीन नेट लगवाए थे। नहीं लगाने वालों पर जुर्माना भी किया गया। अब वर्तमान में ऐसी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। यहीं कारण है कि बसंत विहार से लेकर माधव नगर चौराहे के आगे 24 घंटे धूल उड़ती है। निगम के जिम्मेदार कभी-कभी पानी ठेकेदार से डलवा देते है। गांधी रोड पर भी काम चल रहा है या पहले ग्रीन नेट लगा था। अब नहीं लगा है। ऐसा शहर में कई जगह है। जहां शहरवासी धूल से परेशान हो रहे है।
इन नंबरों की खड़ीं हैं वाटर फॉगर
जिन मशीनों की मदद से शहर की उड़ती धूल को थामना था। वे खुद बस स्टैंड के पीछे खड़ी धूल का रही है। यहां पर शनिवार को वाहन क्रमांक एमपी07-जी-बी 0522,0523,0524,0525 खराब अवस्था में खड़ी नजर आई। उनके ऊपर ही काफी धूल चढ़ी हुई थी। दो वाटर फॉगर एक साथ और एक-एक अलग-अलग खड़ी थी। चार को पार्क विभाग को देने की बात बताई गई है। वहां से भी वाटर फॉगर चलती नजर नहीं आ रही है। यही कारण है कि डिवाइडर और फुटपाथ के आसपास लगे पेड़-पौधों मिट्टी जमा है।
अक्टूबर में एक भी दिन हवा की सेहत संतोषजनक नहीं रही
हवा की सेहत जांचने का मापदंड एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) है। 0-50 तक एक्यूआई को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101 –200 को मध्यम और 200-300 को खराब माना जाता है। अगस्त और सितंबर में जहां एक्यूआई संतोषजनक रहा, वहीं अक्टूबर की शुरुआत से ही एक्यूआई का आंकड़ा 100 को पार कर गया।
अगस्त माह में शहर के तीनों मॉनिटरिंग स्टेशन, सिटी सेंटर, डीडी नगर और महाराज बाड़ा में दर्ज आंकड़ों के अनुसार न्यूनतम एक्यूआई 39 तो अधिकतम 98 रहा। सितंबर में न्यूनतम एक्यूआई 35.33 तो अधिकतम 146 रहा। वहीं, अक्टूबर की बात करें तो न्यूनतम एक्यूआई 107.66 रहा और अधिकतम 263 रहा। उल्लेखनीय है कि अगस्त और सितंबर में कई स्टेशनों पर कुछ दिन एक्यूआई 50 से भी कम रहा। लेकिन अक्टूबर के आते ही प्रदूषण के बढ़ने से एक्यूआई 100 को पार कर गया।
उधर, शहर की सड़कों पर उड़ती धूल के कारण लोगों में एलर्जी की शिकायत बढ़ गई है। जयारोग्य चिकित्सालय के मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से 20 फीसदी मरीज धूल के कारण होने वाली एलर्जी से पीड़ित आ रहे हैं। मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय धबले ने बताया कि धूल वाले क्षेत्र में जाते समय आंखों पर चश्मा और मुंह तथा नाक पर कपड़ा बांध ले।
Source link