A wonderful example of friendship in Kalyug, a laborer friend was made a sub-inspector. The story of SI Bhavishya Bhushan Kumar is amazing.

पटना. बिहार के खगड़िया जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर ‘भविष्य भूषण कुमार’ ने एक ऐसी प्रेरणादायक यात्रा तय की है, जो मेहनत, दृढ़ संकल्प और सच्ची दोस्ती की मिसाल पेश करती है. उनकी कहानी महज एक व्यक्ति के संघर्ष की नहीं, बल्कि एक ऐसे मित्र के अटूट विश्वास की है, जिसने अपने दोस्त के सपनों को उड़ान दी है. आज, भविष्य भूषण बिहार पुलिस में दरोगा के पद पर अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं, लेकिन उनकी यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि दोस्ती के उस मजबूत धागे की है जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया.
साल 2004 में मैट्रिक पास करने के बाद, भविष्य भूषण का सपना था कि वे अपनी शिक्षा जारी रखें और अपने परिवार की गरीबी को दूर करें. लेकिन जैसे ही घर की आर्थिक स्थिति डगमगाई, वे दिल्ली मजदूरी करने को मजबूर हो गए. साल 2004 में वो दिल्ली निकल गए. दिल्ली की सड़कों पर मेहनत करते हुए, छह साल तक दिन-रात संघर्ष करते रहे, लेकिन पढ़ाई की चाह कभी उनके मन से कम नहीं हुई. यह उनकी हिम्मत ही थी कि वे वापस 2010 में गांव लौटे, जहां उन्हें लगा कि शायद यहां से उनकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू होगा.
समाज के ताने पर भारी दोस्ती की ताकत
गांव लौटने पर भविष्य भूषण को न केवल बेरोजगारी का सामना करना पड़ा, बल्कि समाज के ताने भी झेलने पड़े. घरवालों ने जबरन शादी करवा दी. शादी के बाद जब उन्होंने पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया, तो लोगों ने कहा, ‘अब शादी के बाद पढ़ाई का क्या फायदा? सब बेकार है’. इन्हीं तानों और आलोचनाओं से तंग आकर एक दिन भविष्य भूषण ने गांव छोड़कर पटना जाने का निर्णय लिया. उस समय उनका साथ दिया उनके बचपन के दोस्त संजीत कुमार ने, जिन्होंने अपनी दोस्ती का फर्ज इस तरह निभाया कि भविष्य भूषण के लिए वे भगवान कृष्ण से भी बढ़कर साबित हुए. सचिवालय में नौकरी करने वाले संजीत ने अपने दोस्त की प्रतिभा और संघर्ष को पहचाना और उनके हर सपने को साकार करने का बीड़ा उठाया.
प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत
पटना पहुंचने के बाद भविष्य भूषण के सामने पढ़ाई का खर्चा एक नई चुनौती बनकर सामने आने लगी लेकिन संजीत ने अपने दोस्त को कभी भी इस चिंता में पड़ने नहीं दिया. उन्होंने न केवल भविष्य भूषण के पढ़ाई का सारा खर्च उठाया, बल्कि हर वीकेंड पर उन्हें खुद पढ़ाया भी करते थे. संजीत का मानना था कि सच्चा मित्र वही होता है जो मुश्किल वक्त में साथ खड़ा रहे. संजीत की प्रेरणादायक बातें और उनका अटूट समर्थन भविष्य भूषण के लिए संजीवनी बन गया. ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’ यह वाक्य संजीत ने बार-बार दोहराया, और यही शब्द भविष्य के लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बन गया.
आठ साल का संघर्ष और फिर सफलता
भविष्य भूषण ने पटना में लगातार आठ साल तक कठिन परिश्रम किया. दिन-रात मेहनत, परिवार की जिम्मेदारियों और समाज के तानों के बीच, वे अपने लक्ष्य से कभी विचलित नहीं हुए. इस दौरान संजीत ने एक सच्चे मित्र की तरह न केवल उन्हें आर्थिक मदद दी, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संबल भी दिया. आखिरकार, उन आठ साल की मेहनत और संजीत के अटूट समर्थन का फल मिला, जब भविष्य भूषण ने बिहार पुलिस में दरोगा का पद प्राप्त किया. यह क्षण न केवल उनके लिए, बल्कि उनके दोस्त संजीत के लिए भी गर्व का था. आज उन रिश्तेदारों की तरफ से भी बधाइयां आ रही हैं जिनसे कभी रिश्ता नहीं था.
अटूट विश्वास और दोस्ती जिसने लगाए सपनों को पंख
आज, भविष्य भूषण कुमार अपनी सफलता को केवल अपनी मेहनत का नतीजा नहीं मानते, बल्कि वे कहते हैं, मुझे मेरे दोस्त ने दारोगा बनाया. उनकी यह यात्रा इस बात का जीता-जागता सबूत है कि सच्ची दोस्ती किसी भी मुश्किल को पार कर सकती है. यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में संघर्ष कर रहे हैं, और उन्हें यह सिखाती है कि यदि आपके पास सच्चा मित्र और अटूट संकल्प है, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता. भविष्य भूषण की यह कहानी केवल एक दारोगा बनने की नहीं, बल्कि उस अटूट विश्वास और दोस्ती की है जिसने उनके सपनों को पंख दिए और उनके जीवन को एक नई दिशा दी. यह कहानी हर उस व्यक्ति के दिल को छू लेगी, जो कभी अपने सपनों और संघर्षों के बीच फंसा महसूस करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 11:57 IST
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