Mother is giving wings to her son’s business idea, this product from Bihar is in demand in many countries including Canada.

गया. गया के गांधी मैदान में खादी मेला सह उद्यमी बाजार लगा हुआ है जहां एक से बढ़कर एक उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं. यहां पर बड़ी संख्या में बिहार के विभिन्न जिलों के में तैयार आइटम के स्टॉल लगाए गए हैं. एक स्कूल ऐसा भी है जहां बांस से बने उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं, जो लोगों को काफी आकर्षित कर रहे हैं. पूर्णिया जिले के मनिपुरी बैंबू आर्किटेक्चर आशा अनुरागिनी ने बैंबू बोतल और फर्नीचर समेत 50 से अधिक उत्पाद का प्रदर्शनी लगाई है और इसकी खुब डिमांड हो रही है.
पूर्णिया जिले की रहने वाली आशा ने बताया कि उन्होंने यह काम 27 वर्षीय बेटे सत्यम के साथ मिलकर शुरू किया और आज उनके उत्पाद के ऑर्डर देश से नहीं बल्कि विदेशों से भी आने लगे हैं. उन्होंने 20 लोगों को रोजगार दे रखा है. 2022 को जब उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर यह काम शुरू किया था, तब वह सिर्फ एक उत्पाद बांस की बोतल ही बनाती थी. लेकिन अब आशा 50 से अधिक तरह के बंबू प्रोडक्ट बनाती हैं. इस काम की शुरुआत करना उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था. बिजनेस आइडिया से लेकर इसकी मार्केटिंग और पैसों से जुड़ी कई समस्याएं उनकी राह में आई लेकिन आशा अनुरागिनी ने अपने बेटे के हर कदम पर साथ दिया.
30 लाख सालाना टर्नओवर
गौरतलब हो कि बिहार के सीमांचल में बांस की खेती भी खूब होती है और स्थानीय बांस के अलावे नार्थ ईस्ट से बांस मंगवाकर आशा विभिन्न तरह के प्रोडक्ट बनाती हैं. इनके पास 20 रुपए से लेकर 1 लाख रुपये तक के बंबू प्रोडक्ट हैं. आशा अब बिहार और देश के विभिन्न जगहों पर स्टाॅल लगाती हैं और अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती है. इस उद्योग में इन्हें सरकार का भी सहयोग मिला और इससे इन्हें अच्छी इनकम भी हो जाती है. आशा का सालाना टर्नओवर 30 लाख रुपये के करीब है जिसमें 12-15 लाख रुपये की बचत हो जाती है. आज इनका प्रोडक्ट देश ही नहीं विदेश में भी सप्लाई होने लगे हैं.
विदेश में भी माल होता है सप्लाई
आशा बताती हैं उनका बेटा एमबीए करने के बाद प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पादन पर रिसर्च कर रहा था, उसी दौरान उन्हें पता चला कि बांस से कई तरह के उत्पाद बनाए जा सकते हैं. इसी सोच के साथ उन्होंने दस बांस खरीदकर उसके बोतल बनाए. इसे रफ्तार देने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 10 लाख रुपये का लोन भी लिया. एक दौर ऐसा भी आया जब इनके बेटे ने सोचा कि इस काम को बंद कर देना चाहिए. लेकिन आशा की हौसला अफजाई के चलते काम बंद नहीं किया. आज दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात समेत भारत के तमाम राज्यों के अलावा विदेशों में भी उनके बांस के बने उत्पाद सप्लाई किए जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 12:09 IST
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