मध्यप्रदेश

This year the opium policy was delayed in the last 10 years | पिछले 10 सालों में इस साल लेट हुई अफीम नीति: 2023 में चुनाव के समय सबसे पहले आई, ज्यादा देरी हुई तो उत्पादन होगा प्रभावित – Mandsaur News


पिछले 10 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि 25 अक्टूबर बीत जाने के बाद भी नई अफीम नीति की घोषणा नहीं हो पाई है। पिछले साल 13 सितंबर को ही अफीम नीति की घोषणा हो गई थी तब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव थे। पिछले 10 वर्षों की अफीम नीति की तारीख और माह को द

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किसानों ने खेत तैयार किए जिले मे 35 हजार से अधिक अफीम उत्पादक किसान हैं। अफीम की फसल के लिए किसानों ने अपने खेत तक तैयार कर लिए हैं। बस अफीम नीति का इंतजार है। इस बार किसानों को पुराने निरस्त हुए पट्टे भी बहाल होने की उम्मीद है। हालांकि किसान सीपीएस पद्धति से खुश नहीं है। सूत्र बताते है कि इस बार पिछले वर्षों में कम औसत से निरस्त हुए पट्टे फिर से बहाल हो सकते हैं।

सांसद सुधीर गुप्ता ने भी कहा है कि इस बार किसानों के लिए अफीम नीति में अच्छी खबर मिलेगी। उन्होंने भी पिछले वर्षों में निरस्त हुए पट्टों को सीपीएस पद्धति में बहाल करने की बात कही है। हालांकि नई अफीम नीति की घोषणा होने के बाद ही पता चलेगा कि नई अफीम नीति से किसान कितने खुश हैं।

देरी से उत्पादन पर प्रभाव अफीम नीति में देरी से बोवनी में देरी होती है। इससे अफीम फसल के उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। अफीम आने की स्थिति में गर्मी बढने के साथ अफीम का उत्पादन घटने के अलावा इस पर रोगों का प्रकोप भी बढ़ता है, साथ ही सीपीएस वाले पट्टेधारियों को भी अधिक नुकसान होता है। इससे पट्टे कटने की स्थिति बनती है। किसानों को खेतों पर निगरानी करनी पड़ती है और कीटनाशक का खर्च भी अधिक वहन करना पड़ता है। मावठे की स्थिति में और भी नुकसान होता है।

10 वर्षों में कब-कब आई अफीम नीति पिछले 10 वर्षों की अफीम नीति के घोषणा की बात करें तो अब तक 2023 में सबसे पहले अफीम नीति की घोषणा हुई। वर्ष 2014 में 22 सितंबर तो वर्ष 2015 में 5 अक्टूबर को अफीम नीति का नोटिफिकेशन जारी हुआ। वहीं 2016 में 20 अक्टूबर, 2017 में 18 अक्टूबर, 2018 में 28 सितंबर, 2019 में 1 अक्टूबर, 2020 में 21 अक्टूबर, 2022 में 28 सितंबर और पिछले वर्ष 2023 को इन दस वर्षों में सबसे पहले 13 सितंबर को अफीम नीति की घोषणा की गई थी।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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