मध्यप्रदेश

In the hurry to declare the result quickly, the confidentiality of the examination was compromised | गंभीर लापरवाही: रिजल्ट जल्दी घोषित करने की हड़बड़ी में परीक्षा की गोपनीयता से समझौता – Bhopal News


बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (बीयू) फिर सवालों के घेरे में है। कारण रिजल्ट तैयार करने की प्रक्रिया और गोपनीयता है। विश्वविद्यालय चाहता है कि जल्द रिजल्ट घोषित किया जाए। इस चक्कर में वह उत्तरपुस्तिका में छात्र की व्यक्तिगत जानकारी को छिपाए बिना ही मूल्यांकनक

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नया शैक्षणिक सत्र (2024-25) शुरू हुए साढ़े तीन महीने बीत चुके हैं। अब तक यूजी फर्स्ट ईयर का रिजल्ट घोषित नहीं हुआ हैं। बीयू प्रशासन ने पहले पेज को पंच कराकर(मोड़कर स्टेपल करना, इसमें व्यक्तिगत जानकारी होती है।) कॉपी मूल्यांकनकर्ता तक भेजने के निर्देश दिए। लेकिन इसमें समय लग रहा था। विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया को अपनाता तो मूल्यांकन कराने में देरी होती। इसलिए बाद में बिना पंच कराए कॉपी भेजने के निर्देश गोपनीय शाखा को दिए गए।

पहले कोडिंग भी होती थी…

बीयू के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. एचएस त्रिपाठी बताते हैं कि यदि छात्र की व्यक्तिगत जानकारी को छिपाया नहीं है और कॉपी पर कोडिंग भी नहीं की गई है तो मूल्यांकन के लिए भेजने पर उसे ट्रेस किया जा सकता है। डॉ. त्रिपाठी बताते हैं कि बीयू में उनके रहते वर्ष 2006 में व्यवस्था दी गई थी कि परीक्षा केंद्र पर ही छात्र की जानकारी वाले पेज को पंच कर उसकी पूरी जानकारी छिपा दी जाती है। विवि में कॉपी आने पर कोडिंग कराई जाती है। इसके बाद मूल्यांकनकर्ता को दी जाती थी। यह सिस्टम लंबे समय तक चला। गोपनीयता बनाए रखने के लिए इसी तरह के सिस्टम तैयार करने होंगे। इसके लिए अब टेक्नोलॉजी का भी उपयोग किया जा सकता है।

मार्किंग के लिए यह सिस्टम… बीयू द्वारा मूल्यांकनकर्ता को एक अवार्ड लिस्ट दी जाती है। जिसमें वो कॉपी में दिए गए कोड को लिखकर छात्र को दिए गए अंक लिखता है। इन अवार्ड लिस्ट को कॉपी के साथ विवि भेजा जाता है। इन अवार्ड लिस्ट को एकत्रित कर कंप्यूटर सेंटर को रिजल्ट तैयार करने भेजा जाता है। कंप्यूटर सेंटर पर अवार्ड लिस्ट के अनुसार अंक की डेटा एंट्री कराई जाती है। इसके बाद फाइनल रिजल्ट तैयार होता है।

आरजीपीवी में यह प्रक्रिया… छात्र को दी गई कॉपी का पहला पेज ओएमआर शीट का होता है। ये शीट तीन पार्ट की होती है। हरेक पार्ट में एक जैसा यूनिक बारकोड होता है। पहले पार्ट में छात्र की पर्सनल डिटेल में उसका रोल नंबर, इनरोलमेंट नंबर, सब्जेक्ट कोड आदि जानकारी होती हैं। इनविजिलेटर के हस्ताक्षर होते हैं। परीक्षा खत्म होते ही पार्ट-1 को परीक्षा केंद्र में ही काटकर अलग कर लिया जाता है। सभी छात्रों के इस पार्ट को और कॉपी को बिना किसी सीक्वेंस में जमाए विवि में भेज दिया जाता है।

^व्यवस्था में लगातार सुधार कर रहे हैं। हमने नोडल सेंटर बनाए हैं। नोडल सेंटर से कॉपी मूल्यांकनकर्ताओं को दी जाती हैं। हमने डिजिटल मूल्यांकन कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे रिजल्ट जल्द आएगा। गोपनीयता भी मजबूत होगी।’ -प्रो.एसके जैन, कुलगुरु, बीयू


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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