पूर्वी लद्दाख में LAC पर बने गतिरोध पर लगा फुल स्टॉप, भारत के बाद चीन से भी आ गया बयान, लेकिन आर्मी चीफ ने जो कहा…

पिछले साढ़े चार साल से ज्यादा वक्त से पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध खत्म होने का एलान हो गया है. पहले भारतीय विदेश मंत्रालय ने वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग को लेकर आम सहमति की घोषणा की. चूंकि डिप्लोमैटिक फ़ैसले को जमीन पर तो सेना ने ही लागू करना है तो इस पर भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि हम पहले अप्रैल 2020 के स्टेटस पर जाना चाहते हैं, उसके बाद डिसएंगेजमेंट, डी एस्किलेशन और एलएसी पर सामान्य मैनेजमेंट की तरफ देखेंगे.
उन्होंने कहा, “एलएसी पर हालात सामान्य करना यहीं नहीं रुकेगा. इसमें कई चरण होंगे. अभी फिलहाल हम भरोसे को बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं और ये कैसे होगा ये होगा जब हम एक-दूसरे को देखना शुरू करेंगे. एक-दूसरे पर भरोसा करना कि जो बफर ज़ोन बनाया गया है उसमें कोई ना घुसे और दोनों को ये आश्वस्त करना होगा. पेट्रोलिंग से भी उसी तरह की एडवांटेज होगी जो कि शुरू होगा.. जब भरोसा क़ायम होगा तो आगे के बाकी चरण भी पर आगे बढ़ेंगे.
चीनी विदेश मंत्रालय ने भी गतिरोध खत्म की पुष्टि
भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के बाद चीन की तरफ से प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा था और चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान आ गया है. और बयान में इस बात की तस्दीक कर दी कि पिछले साढ़े चार साल से जो गतिरोध LAC के कुछ हिस्सों में बना हुआ था वो अब ख़त्म कर लिया गया है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ली जियान ने कहा कि चीन और भारत ने सीमा-संबंधी मुद्दों के संबंध में राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से घनिष्ठ संचार बनाए रखा है दोनों पक्ष प्रासंगिक मामलों पर एक समाधान पर पहुंच गए हैं, जिसे चीन सकारात्मक रूप से देखता है अगले चरण में चीन समाधान योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भारत के साथ काम करेगा.
अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति होगी बहाल
सूत्रों के मुताबिक देपसांग और डेमचोक पर पेट्रोलिंग शुरू होगी जो कि 2020 के बाद से बंद थी. इसके अलावा चार बफर पॉइंट पर भी पेट्रोलिंग पर बातचीत जारी है. सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने हुए WMCC की बैठक के बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर की वार्ता शुरू हुई. और खास बात तो ये है कि ये वार्ता लगातार जारी है. पिछले एक महीने से लगातार दोनों देश के अधिकारियों ने LAC पर जारी गतिरोध को कैसे दूर करें उस पर चर्चा और मंथन कर रहे थे.
सूत्रों की मानें तो ये वार्ता अब तक के होने वाली कोर कमांडर स्तर की वार्ता से अलग थी. वैसे तो देपसांग प्लेन और डेमचोक का विवाद दशकों पुराना है और जिसे सुलझाने के लिए कई बार कोशिशें हुई, पर कोई नतीजा ना निकला. साल 2020 के विवाद के दौरान उन इलाक़ों पर भी पेट्रोलिंग होनी बंद हो गई जहां तक पहले हुआ करती थी. पिछले साढ़े चार साल से दोनों देशों की सेनाएं इन दोनो इलाकों में तैनात है और यहीं सें डिसएंगेजमट नहीं हो सका, लेकिन सूत्रों की मानें तो अब इस इलाक़ों में 2020 से पहले की पेट्रोलिंग को लेकर फिर से सहमति बन गई है.
वहीं, कोर कमांडर के बीच बातचीत की लंबी दौर के बाद ये ऐसे फ्रिक्शन प्वाइंट हैं जो कि चीनी पीएलए ने पूर्व लद्दाख में तैयार किए थे. उन सबसे डिसएंगेजमट हो चुका है, लेकिन पेट्रोल पर कोई फैसला नहीं लिया गया. नए बफर ज़ोन के तौर पर इन इलाकों को स्थापित किया गया है. सबसे पहले पैंगोग एरिया यानी फिंगर एरिया फिर गलवान के पीपी-14… फिर गोगरा में पीपी-17 और फिर हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे.
सूत्रों के मुताबिक इन पेट्रोलिंग पॉइट पर भी फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर सहमति बन रही है जहां पेट्रोलिंग बंद है. चूंकि चीन की फ़ितरत से भारत क्या पूरा देश वाक़िफ़ है. उस पर एकदम से भरोसा करना संभव नहीं. लिहाजा थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी कहा है कि आगे के चरण को आगे बढ़ाने से पहले भरोसे को क़ायम करना होगा.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 15:54 IST
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