अजब गजब

इंफोसिस शुरू करने के लिए सुधा ने डिब्बे में जमा किए 10 हजार नारायण मूर्ति को दे दिए, खुद सुनाया किस्सा

हाइलाइट्स

सुधा मूर्ति ने पति से छुपाकर सेव किए थे 10,250 रुपये.
सुधा मूर्ति ने कहा- हर औरत को इस तरह पैसे बचाकर रखने चाहिए.
लंबे समय तक इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन रही हैं सुधा मूर्ति.

नई दिल्ली। भारत की टॉप IT कंपनी इंफोसिस के शुरू होने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. ये कंपनी नारायण मूर्ति ने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति के टिन के डब्बे में जमा किए 10 हज़ार रुपयों से की थी. ये कहानी खुद सुधा मूर्ति ने ‘द कपिल शर्मा शो’ में सुनाई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये ज़रूरी है कि घर संभालने वाली महिलाएं अपने पति से छुपाकर पैसे सेव करके रखें. ये पैसे मुश्किल वक्त में बड़े काम आते हैं.

पद्म भूषण सुधा मूर्ति बीते रविवार को The Kapil Sharma Show में शामिल हुई थीं. उनके साथ एक्ट्रेस रवीना टंडन और फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा भी पहुंची थीं. इस एपिसोड में सुधा मूर्ति ने बताया कि उनके ट्रेडिशनल लुक की वजह से कई बार उनको कमतर आंका गया. हालांकि, उन्होंने बताया कि नारायण मूर्ति ने इंफोसिस शुरू करने के लिए सुधा मूर्ति से 10 हज़ार रुपये लिए थे.

ये भी पढ़ेंः सुधा मूर्ति ने अपने ब्रिटेन के पते में जो लिखा, उसे देखकर एयरपोर्ट अधिकारियों ने पूछा- मज़ाक कर रही हैं क्या?

कैसे शुरू हुई थी इंफोसिस?
सुधा मूर्ति ने बताया कि शादी के बाद वो और नारायण मूर्ति किराए के एक घर में रहते थे. मिडिल क्लास सेटअप था, उनके यहां पैसों की तंगी बनी रहती थी. 1981 की शुरुआत में नारायण मूर्ति ने सुधा मूर्ति से कहा कि वो अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक IT कंपनी शुरू करने जा रहे हैं. घर का खर्च सुधा मूर्ति को चलाना होगा. इसके बाद उन्होंने पूछा कि क्या सुधा के पास कुछ पैसे होंगे? सुधा मूर्ति ने नारायण मूर्ति से छुपाकर घर के टिन के डिब्बे में 10,250 रुपये जमा करके रखते थे. सुधा ने उसमें से 250 रुपये इमरजेंसी के लिए अपने पास रखे और बाकी के 10 हज़ार रुपये नारायण मूर्ति को दे दिए. उन्होंने बताया कि ये रुपये उन्होंने नारायण मूर्ति को उधार के तौर पर दिए थे और बाद में उन्होंने वो पैसे उनसे वापस भी लिए.

हाल ही में संपन्न हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोट डालने के बाद सुधा मूर्ति और उनके पति इंफोसिस को-फाउंडर नारायण मूर्ति.

इसके साथ ही सुधा मूर्ति ने कहा कि भारतीय महिलाएं सदियों से इसी तरह पैसे बचाती आई हैं, उनके सेव किए हुए पैसे अक्सर मुश्किल वक्त में काम आते हैं.सुधा मूर्ति कहती हैं कि उनकी शुरुआत खुद एक मिडिल क्लास परिवार से हुई थी. ऐसे में जब वो गरीब और असहाय लोगों को देखती हैं तो उनकी मदद करती हैं. उनकी मदद करके उन्हें खुशी मिलती है.

सुधा मूर्ति ने बताया क्लास क्या होता है?
उन्होंने बताया कि एक बार वो हीथ्रो एयरपोर्ट पर बिजनेस क्लास की लाइन में लगी थीं. उन्होंने सलवार कमीज़ पहना हुआ था. लाइन में लगी दो महिलाओं ने इकॉनमी क्लास की लाइन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उनकी लाइन उधर है. जब सुधा नहीं हटीं तो दोनों इकॉनमी क्लास का मज़ाक बनाने लगीं, इकॉनमी क्लास को केटल क्लास बताने लगीं. जब एयर होस्टेस सुधा को बिजनेस क्लास में लेकर गई तो वो दोनों हक्की-बक्की रह गईं. सुधा मूर्ति ने कहा कि क्लास पैसे से नहीं आता है, आपके काम से आता है. उन्होंने गणितज्ञ मंजुल भार्गव का नाम लेकर कहा कि वो एक क्लास हैं. वहीं कपिल शर्मा को उन्होंने कॉमेडी में क्लास बताया.

सुधा मूर्ति एक एजुकेटर, राइटर और फिलांथ्रॉपिस्ट हैं. वो लंबे समय तक इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन भी रहीं. सामाजिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सुधा मूर्ति को पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.

Tags: Business news in hindi, Infosys, Narayana Murthy, Success Story, Sudha Murthy


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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