अम्मी ने सिखाया… अब बेटी कर रही महिलाओं की मदद, यहां फ्री में सिखाती हैं भोपाली जरी-जरदोजी

भोपाल. अफरोज जहां, जो भोपाल में लगभग 30 साल से जरी-जरदोजी का काम कर रही हैं. उन्होंने अपनी अम्मी से यह काम सीखा था और तब से शहर की महिलाओं को मुफ्त में इस कार्य का प्रशिक्षण दे रही हैं. अब तक उनके इस कार्य में आर्थिक रूप से कमजोर लगभग 30 से ज्यादा महिलाएं जुड़ कर न सिर्फ काम सीख चुकी हैं, बल्कि अच्छा पैसा भी कमा रही हैं.
लोकल 18 की टीम से बात करते हुए अफरोज ने बताया कि अब तक हमारे साथ 30 से जादा महिलाएं जुड़ चुकी हैं. इस दौरान जिन महिलाओं को कम नहीं आता है, वे हमारे ट्रेनिंग सेंटर में आकर जरी-जरदोजी का काम सिखती हैं. वहीं, कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो हमारे पास से काम सीख कर आज खुद का व्यवसाय चला रही हैं.
3 महीने दी जाती मुफ्त ट्रेनिंग
अफरोज बताती हैं कि उनकी बहन फिरोज जहां ट्रेनिंग सेंटर में आने वाली महिलाओं को 3 माह तक भोपाली जरी-जरदोजी का काम सीखने की मुफ्त ट्रेनिंग देती हैं. फिरोज द्वारा भोपाल के पॉलीटेक्निक चौराहा स्थित गांधी भवन में यह ट्रेनिंग दी जाती है.
इन कपड़ों का इस्तेमाल
भोपाली जरी-जरदोजी के काम में टिश्यू, साटन, वेलवेट और जूट के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है. जूट के कपड़े पर जरी-जरदोजी का काम करने के बाद यह सबसे महंगा करीब 400 रुपये का बिक रहा है. वहीं, वेलवेट के कपड़े पर भी अच्छे दाम 300 रुपये तक भी चला जाता है. साटन के कपड़े पर दाम में कुछ कमी देखने को मिली है.
1 दिन में बनता एक पीस
अफरोज का कहना है कि यदि कोई काम सीखी हुई महिला इस बटुए को बनाए तो एक दिन में एक पीस बन जाता है. वहीं, एक पीस में दो लोगों की जरूरत पड़ती है, जिसमें एक महिला धागा डालती है और दूसरी महिला सिलाई करती है.
Tags: Bhopal news, Local18, Success Story
FIRST PUBLISHED : October 18, 2024, 06:14 IST
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