झारखंड में पिछले चुनाव 5 चरणों में हुए, इस बार आयोग ने केवल 2 चरणों में निपटाया, क्या है वजह?

नई दिल्ली. झारखंड जैसे नक्सल असर वाले राज्यों में चुनाव आयोग आमतौर पर किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव के वक्त बहुत ज्यादा सतर्कता बरतता है. ऐसे राज्यों में अमूमन कई चरणों में चुनाव कराए जाते रहे हैं. झारखंड में 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव पांच चरणों में कराए गए थे. मगर इस बार के विधानसभा चुनाव केवल 2 चरण में कराने की घोषणा चुनाव आयोग ने की है. इस बात से साफ है कि राज्य में नक्सलियों का खौफ कम हो गया है. केंद्र सरकार ने पिछले दिनों झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में सैकड़ों नक्लियों का सफाया करने में कामयाबी हासिल की है. इसके साथ ही कई नक्सियों नें सुधरने का वचन देते हुए सरेंडर भी किया है.
जम्मू कश्मीर जैसे आतंकवाद से प्रभावित राज्य में सफलता और बिना किसी हिंसा के चुनाव कराने से भी चुनाव आयोग के हौसले बुलंद हैं. इससे चुनाव आयोग को भरोसा जगा है कि झारखंड जैसे दूर-दराज के इलाकों में भी वह सफलता और शांति के साथ विधानसभा चुनाव कराने में कामयाब रहेगा. इसकी भरोसे पर उसने झारखंड में दो और महाराष्ट्र में केवल एक ही चरण में विधानसभा का चुनाव कराने का फैसला किया है. झारखंड में केवल 2 चरणों में चुनाव कराके चुनाव आयोग ये संदेश देना चाहता है कि उसकी ईवीएम और पूरी चुनाव मशीनरी चाक- चौबंद होती है.
इस बात का संकेत देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी कहा कि लेबनान में हिजबुल्लाह के पेजरों में भले ही धमाका हो सकता है, मगर ईवीएम ब्लास्ट किसी भी तरह संभव नहीं है. इसकी वजह को साफ करते हुए राजीव कुमार ने कहा कि पेजर नेट से कनेक्ट होता है जबकि ईवीएम नेट से कनेक्ट नहीं होती है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में एक ही दिन वोटिंग कराने का फैसला किया है. जबकि महाराष्ट्र में भी गढ़ चिरौली जैसे कुछ जिले नक्सल प्रभावित रहे हैं. इन इलाकों में भी एक ही दिन वोटिंग कराके चुनाव आयोग ये साबित करना चाहता है कि उसकी व्यवस्था में कोई कमी नहीं है. बहरहाल चुनाव आयोग का ये फैसला किस हद तक खरा उतरता है, ये आने वाले वक्त में साफ हो जाएगा. इससे साफ हो जाएगा कि जनता बुलेट से ज्यादा बैलेट पर भरोसा करती है.
FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 17:30 IST
Source link