Shoaib Lala had come to see the MD-drug factory in Bhopal | भोपाल में ड्रग्स फैक्ट्री देखने आया था शोएब लाला: हर व्यक्ति से अलग फोन नंबर से बात करता था, नकद में ही करता था लेन-देन – Madhya Pradesh News

एनसीबी ने रिमांड खत्म होने के बाद हरीश आंजना,अमित चतुर्वेदी और सान्याल बाने को 14 अक्टूबर को कोर्ट में पेश किया था।
भोपाल में मेफेड्रॉन (एमडी) ड्रग्स की फैक्ट्री लगाने में राजस्थान के तस्कर शोएब लाला का ही हाथ था। छह महीने पहले वह इसे देखने के लिए भोपाल भी आया था। वह इस मामले में पकड़े गए तीनों आरोपियों से अलग-अलग फोन नंबरों से बात करता था।
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ये सभी खुलासे इस मामले में पकड़े गए तीनों आरोपियों ने पूछताछ में किए हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने 9 दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद आरोपी हरीश आंजना,अमित चतुर्वेदी और सान्याल बाने को 14 अक्टूबर को कोर्ट के सामने पेश किया। एनसीबी ने कोर्ट को बताया कि तीनों से पूछताछ पूरी हो चुकी है। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया है।
अब एनसीबी की पूरी जांच स्मगलर शोएब लाला पर आकर टिक गई है। एनसीबी ने शोएब के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया है ताकि वह देश छोड़कर न भाग सके। आरोपियों ने एनसीबी को पूछताछ में और क्या बताया…पढ़िए रिपोर्ट
रिमांड खत्म होने के बाद एनसीबी ने 14 अक्टूबर को तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया।
सिलसिलेवार जानिए, क्या बताया आरोपियों ने…
फैक्ट्री लगाने का आइडिया शोएब का था 6 अक्टूबर को भोपाल के बगरोदा में जब एनसीबी और गुजरात एटीएस ने एमडी ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री को पकड़ा तो दो आरोपी महाराष्ट्र के सान्याल बाने और अमित चतुर्वेदी को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया था। दोनों से पूछताछ में मंदसौर के तस्कर हरीश आंजना के बारे में पता चला।
एनसीबी ने मंदसौर से आंजना की गिरफ्तारी की। इसके बाद 9 दिन तक तीनों से अलग-अलग और एक साथ पूछताछ की गई। तीनों ने पूछताछ में बताया कि भोपाल में एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री बनाने का आइडिया शोएब का ही था।
एनसीबी ने जब तीनों आरोपियों की कॉल डिटेल्स का एनालिसिस किया तो पाया कि शोएब लाला तीनों से अलग-अलग नंबरों से बातचीत करता था। भोपाल में फैक्ट्री को लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह थी कि एनसीबी और दूसरी जांच एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगती। दूसरा- यहां से दूसरे राज्यों में ड्रग्स पहुंचाना आसान था।

फैक्ट्री खुलने के बाद भोपाल आया था शोएब तीनों आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि शोएब ने फैक्ट्री को लेकर पूरी प्लानिंग पहले से की थी। सान्याल बाने जब मुंबई की ऑर्थर रोड जेल से बाहर आया तो शोएब ने उससे संपर्क किया और फैक्ट्री लगाने का काम सौंपा।
सान्याल बाने ने एनसीबी को बताया- जेल में रहते हुए मैंने तय किया था कि अब ड्रग्स स्मगलिंग का काम नहीं करूंगा। जब जेल से छूटा तो शोएब का कॉल आया। उसने मुझसे जिस अंदाज में बात की, मैं मना नहीं कर सका। शोएब ने मुझसे कहा था कि फैक्ट्री का पूरा काम मैं ही देखूंगा। ये बहुत सेफ है। किसी को इसकी भनक तक नहीं लगेगी। मैंने भी सोचा कि मुंबई से भोपाल आता-जाता रहूंगा तो किसी को शक भी नहीं होगा।
सान्याल ने कहा- जब फैक्ट्री की जगह फाइनल हुई और हमने काम शुरू किया, तब शोएब लाला खुद फैक्ट्री देखने के लिए भोपाल आया था। उसने पूरा प्लान भी समझाया था कि कैसे फैक्ट्री से ड्रग्स की सप्लाई होगी और किसके पास, कितना कमीशन पहुंचेगा। मगर, मुझे नहीं पता था कि मेरे जेल से छूटने के बाद से एनसीबी की मुझ पर नजर थी।
सान्याल ने ये भी बताया कि उसकी पत्नी और बेटा मुंबई में रहते हैं।

आंजना बोला- 200 किलो ड्रग्स भोपाल से मंदसौर लेकर गया मंदसौर का ड्रग तस्कर हरीश आंजना पहले से ही शोएब के लिए काम करता रहा है। इस बार शोएब ने उसे फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने के लिए केमिकल सप्लाई का जिम्मा सौंपा था। आंजना ने एनसीबी को बताया कि फैक्ट्री में बने ड्रग्स को सप्लाई करने का जिम्मा भी उसी के पास था।
फैक्ट्री में ड्रग्स बनने के बाद यहां से माल सीधे मंदसौर जाता था। इसके लिए उसने अपनी लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल किया था ताकि किसी को शक न हो। वह अब तक 200 किलो से ज्यादा का एमडी ड्रग्स मंदसौर ले गया था। इस ड्रग्स को उसने पेटी सप्लायर को दे दिया था।
इसके बाद मंदसौर में प्रेमसुख और दूसरे लोग अपने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के तहत इसे प्रदेश और देश के दूसरे हिस्सों में सप्लाई करते थे। आंजना इसके बाद 8 से 10 लाख रुपए प्रति किलो के हिसाब से पैसे लेता था। ये पैसा वह सीधे शोएब लाला को पहुंचाता था।
भोपाल से मंदसौर तक माल लाने के बदले उसे एक लाख रुपए प्रति किलो के हिसाब से पैसे मिलते थे। हरीश ने जांच एजेंसी को ये भी बताया है कि भांजी की शादी के बाद उस पर 45 लाख रुपए का कर्ज हो गया था। वो इस धंधे के नेटवर्क को जानता था। वह पहले डोडा-चूरा और फिर ड्रग्स सप्लाई के काम में शामिल हो गया।

अमित चतुर्वेदी ने कहा- कानून अपना काम करेगा भोपाल के कमला नगर क्षेत्र में रहने वाले तीसरे आरोपी अमित चतुर्वेदी ने ही फैक्ट्री के लिए जगह की तलाश की थी। अमित चतुर्वेदी साइंस ग्रेजुएट है। पहले वो प्राइवेट जॉब करता था। बाद में दो बार खुद का अलग-अलग कारोबार शुरू किया। दोनों बार बिजनेस में नाकाम रहा।
जब उसे एनसीबी और गुजरात एटीएस ने पकड़ा और पूछताछ की तो उसने बताया- उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि उसकी फैक्ट्री में तैयार होने वाला केमिकल नशे के लिए इस्तेमाल होता है।
रिमांड के दौरान पूछताछ में अमित ने एनसीबी को बताया कि सान्याल बाने से उसका पुराना परिचय था। एक दोस्त के जरिए उसकी सान्याल से मुलाकात हुई थी। सान्याल ने उसे भोपाल के आउटर में फैक्ट्री की जमीन तलाशने के लिए कहा था। इसी के तहत उसने बगरौदा में जयदीप सिंह की फैक्ट्री को किराए पर लिया। इस फैक्ट्री का अलॉटमेंट एके सिंह नाम के व्यक्ति को था, जिसे बाद में जयदीप ने खरीद लिया था।
अमित ने फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया था। बताया था कि इसमें लकड़ी पर होने वाला पॉलिश भी बनाया जाएगा। अमित को जब कोर्ट में पेश किया तो उसका परिवार मिलने आया था। हालांकि, उन्होंने अपनी पहचान छिपाए रखी।

लाला ही देता था फैक्ट्री का 60 हजार रुपए महीना किराया पूछताछ में ये भी पता चला है कि शोएब लाला ही फैक्ट्री के लिए 60 हजार रुपए महीने का किराया देता था। इसके अलावा गोदाम का 10 हजार रुपए महीने का किराया भी वही देता था। ये पूरा पैसा वह नकद ही देता था। जांच एजेंसी ने बताया कि अब तक की पूछताछ में ये भी पता चला है कि आरोपियों के बीच पैसों का लेनदेन सिर्फ नकद में होता था।
एनसीबी को लाला की तलाश, जारी किया लुकआउट नोटिस एनसीबी ने 14 अक्टूबर को आंजना, सान्याल और चतुर्वेदी तीनों को कोर्ट में पेश कर उन्हें जेल भेजने का आग्रह किया। जांच अधिकारियों ने कहा- इनसे पूछताछ लगभग पूरी हो चुकी है। सभी आरोपियों ने कहा कि वे ये सब शोएब लाला के कहने पर ही कर रहे थे। लाला ही पूरे ड्रग्स नेटवर्क का सूत्रधार है।
लाला के खिलाफ एनसीबी ने लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। इसके अलावा उसके तमाम मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर रखकर उसकी तलाश की जा रही है। भोपाल फैक्ट्री के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच एजेंसी लाला की गाड़ियों का भी पता लगाने की कोशिश कर रही है, ताकि उसे ट्रेस किया जा सके।

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भोपाल में पकड़ी गई एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री का इंतजाम भोपाल के रहने वाले अमित चतुर्वेदी ने किया था। अमित के पिता प्रकाश चतुर्वेदी एमपी पुलिस में TI थे। उनका पांच साल पहले निधन हो चुका है। घर में अमित, उसकी पत्नी और मां रहती हैं। अमित का बेटा और बेटी दोनों विदेश में रहते हैं। यहां क्लिक करें
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भोपाल के बगरौदा गांव स्थित प्लॉट नंबर एफ-63 में ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी। इसकी भनक भोपाल पुलिस को तब लगी, जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यीय टीम ने फैक्ट्री पर दबिश दी। अब तक की जांच में पता चला है कि ड्रग्स तस्करी का ये इंटरनेशनल नेटवर्क जेल में तैयार हुआ। आरोपी ड्रग्स खरीदने के लिए क्रिप्टो करेंसी का भी इस्तेमाल करते थे। यहां क्लिक करें..
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