60 लोगों के परिवार में रहता था ये गुजराती, आज नामी बैंक का मालिक, नेट वर्थ 1.2 लाख करोड़

Success Story: 60 लोगों का एक बड़ा परिवार था. चाचा, ताऊ, दादा-दादी समेत सबलोग एक ही छत के नीचे रहते थे. सबका खाना एक ही रसोई में पकता था. इसी परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया – उदय. उदय का शाब्दिक अर्थ भी इतना बढ़िया है कि इसमें से सफलता ही झलकती है. यह बच्चा बड़ा होकर ऐसा काम करता है कि सच में नया सूर्य ‘उदय’ होता है. फिलहाल, वही लड़का 14.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का मालिक है. रुपयों में ये नेट वर्थ 12,02,16,02,45,000 (1.2 लाख करोड़) रुपये से अधिक है.
भारतीय बिजनेस जगत में शायद एक ही इतना बड़ा शख्स है, जिसका नाम ‘उदय’ है. जी, आपने सही पकड़ा, हम उदय कोटक की ही बात कर रहे हैं. वे कोटक महिंद्रा बैंक के कर्ता-धर्ता हैं, जोकि देश के चार सबसे बड़े प्राइवेट बैंकों में आता है. 2014 में इन्होंने ING बैंक को भारतीय ऑपरेशन्स का अधिग्रहण किया था. इस अधिग्रहण के बाद बैंक बहुत तेजी से आगे बढ़ा है. एक मध्यमवर्गीय परिवार से उठकर इतने बड़े कारोबार को स्थापित करना किसी के भी आसान नहीं होता. उदय कोटक की कहानी काफी रोचक है.
उदय कोटक ने कड़ी मेहनत की और मुंबई विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की. कॉलेज के बाद उन्हें एक टॉप मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई थी, लेकिन उनका सपना कुछ और ही था. उदय ने अपने परिवार के कपास से जुड़े बिजनेस में काम करना शुरू किया. वह काम हालांकि अच्छा चल रहा था, लेकिन बिजनेस में 16 शेयरहोल्डर्स थे और फैसले लेने में बहुत समय लगता था. इस धीमी प्रक्रिया से उदय कोटक नाखुश थे. इसलिए उन्होंने एक ऐसा बिजनेस शुरू करना चाहा, जहां वे खुद निर्णय ले सकें.
30 लाख रुपये के कर्ज से शुरू किया अपना बिजनेस
1985 में उदय कोटक ने 30 लाख रुपये के कर्ज से एक बिल डिस्काउंटिंग कंपनी की शुरुआत की. इस बिजनेस का मॉडल था कि वे व्यापारियों से उनके बकाया इनवॉयस डिस्काउंट पर खरीदते थे और बाद में उसे पेमेंट करने वाले से वसूलते थे. उनका पहला क्लाइंट टाटा की कंपनी नेल्को थी, जहां से उन्हें 4% का मुनाफा हुआ. बिजनेस को बढ़ाने के लिए उन्होंने आनंद महिंद्रा के साथ साझेदारी की, जिसमें 1 लाख रुपये का निवेश कर उन्होंने कोटक महिंद्रा फाइनेंस (Kotak Mahindra Finance) की स्थापना की.
कोटक महिंद्रा फाइनेंस से कैसे बना कोटक महिंद्रा बैंक?
1987 तक, कोटक महिंद्रा फाइनेंस की सेल 26 लाख रुपये तक पहुंच गई थी. उदय कोटक को यह एहसास हुआ कि भारत में कोई प्राइवेट बैंक नहीं था, केवल विदेशी बैंक और कुछ कार्टेल थे. 1991 में उन्होंने ऐतिहासिक कदम उठाया और कोटक पहला भारतीय निवेश बैंक (Investment Bank) बन गया.
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1996 में उनके बिजनेस को बड़ी सफलता मिली, जब गोल्डमैन सॉक्स ने उनके साथ साझेदारी की, जिसमें निवेश बैंकिंग, ब्रोकरेज, डिस्ट्रीब्यूशन और मर्जर व एक्विजिशन (M&A) बिजनेस शामिल थे. 1998 में एसेट मैनेजमेंट बिजनेस में प्रवेश करते ही उनकी कंपनी का राजस्व 168.9 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
पहली NBFC से बैंक बनने की कहानी
2003 में उदय कोटक को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कमर्शियल बैंकिंग लाइसेंस मिला और वे भारत में पहली बार एक एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) को बैंक में बदलने वाले व्यक्ति बन गए. इस तरह कोटक महिंद्रा बैंक की नींव रखी गई. सात वर्षों के अंदर बैंक के डिपॉजिट्स 23,886 करोड़ रुपये तक पहुंच गए और मुनाफा 1307 करोड़ रुपये हो गया.
कोटक महिंद्रा बैंक को 2015 में एक बड़ी सफलता मिली, जब उन्होंने 80 साल पुरानी आईएनजी वैश्य बैंक को 15,000 करोड़ रुपये में अधिग्रहित किया. इस अधिग्रहण के बाद उनके पास 1,241 शाखाएं हो गईं और कोटक महिंद्रा बैंक भारत का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया. बैंकिंग में अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद उदय कोटक ने डिजिटल ट्रांजैक्शन की ओर बढ़ते रुझान को पहचाना और 2017 में पहला जीरो-बैलेंस वाला वर्चुअल अकाउंट, Kotak811, लॉन्च किया. 2018 तक कोटक महिंद्रा बैंक का शुद्ध मुनाफा 6,201 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. जब यह खबर लिखी जा रही है, तब बैंक का मार्केट कैप 3,79,799 करोड़ रुपये है. मार्च 2024 को खत्म हुई तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट 5,337 करोड़ रहा. सालाना आधार पर मार्च 2024 में नेट प्रॉफिट 18,213 करोड़ रुपये रहा. इस वित्त वर्ष में कंपनी का नेट प्रॉफिट 21,511 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
आज कोटक महिंद्रा बैंक की 1,780 शाखाएं और 2,963 एटीएम हैं, और यह 4,45,268 करोड़ रुपये के डिपॉजिट्स के साथ भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है. 5.1 करोड़ से अधिक ग्राहकों के साथ, बैंक का कुल मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपये है. सितंबर 2023 में, उदय कोटक ने अपनी सेवानिवृत्ति से चार महीने पहले बैंक के सीईओ और प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था. अब वह बोर्ड में गैर-कार्यकारी निदेशक (Non-executive director) हैं.
Tags: Business empire, Success Story, Successful business leaders
FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 16:05 IST
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