Chhatarpur Cow That Went To Drink Water Was Stuck In Swamp For 24 Hours Now Struggling Between Life And Death – Amar Ujala Hindi News Live

दलदल में फंसी गाय
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
छतरपुर जिले में गोशालाओं के नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। यहां शासन से मिलने वाले अनुदान का बंदरबांट कर योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है। मामले पर न ही जिम्मेदार ध्यान दे रहे हैं और न ही अधिकारी और प्रशासन, जिससे गायों की दशा और दुर्दशा बहुत ही बुरी बनी हुई है।
ताजा मामला छतरपुर के मलपुरा की खंदेवरा गोशाला की है। जहां गायों की देखभाल के लिए कोई कर्मचारी नहीं है और न ही गायों को खाने के लिए भूसा, हरा और सूखा चारा ही है। हाल ही में मूंगफली की फसल का जो कचरा निकला है, उसे गायों को खिलाया जा रहा है। यहां गोशाला में गायों को सड़कों से उठाकर ताले में बंद कर दिया गया है।
सड़क से उठाकर किया बंद
गोसेवक रविराज सिंह की माने तो यह ग्रामों की वह गोशालाएं हैं, जिन्हें हाल ही में 37 लाख की लागत से निर्माण कराया गया है, जिनका संचालन पंचायत कर रही है। बता दें कि प्रशासन के आदेश पर हाल ही में इन गायों को शहर और सड़कों से उठाकर गोशालाओं में शिफ्ट किया गया है। जहां इनकी हालात बद से बदतर बनी हुई है। यहां गायों को लाकर बंद तो कर दिया गया है पर उनके खाने-पीने का कोई इंतज़ाम नहीं है, जिससे कि यह भूखों मरने की कगार पर हैं।
24 घंटे से दलदल में फंसी गाय
गोशाला एरिया में ही कुछ गायें बाहर निकली हुई हैं। जो पानी पीने के लिए बने एक पोखर में गई तो उनमें से एक गाय दलदल में फंस गई। जो पिछले 24 घंटे से फंसी हुई थी और वह जितना निकलने का प्रयास करती उतनी ही फंसती जा रही थी, जिसका पता चलने पर ग्रामीणों ने उसका लोकल रेस्क्यू कर समय रहते निकाल लिया वरना उसकी दलदल में फंसने से जान जा सकती थी।
बता दें कि यह मामला छतरपुर जिला मुख्यालय से सटे आसपास का ही है और यहां शहर से गायों को पकड़कर लाया गया है। जहां उनकी बुरी हालत बनी हुई है। गोसेवक रविराज और ग्रामीणों का कहना है और आरोप भी है कि जब इलाका शहर जिला मुख्यालय के करीब होने के बाबजूद यहां स्थानीय और जिला प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा तो दूरस्थ अंचलों के हाल क्या होंगे।
गोशालों को मिलता अनुदान
जानकारी के मुताबिक, गोशाला में जितनी गाय होती हैं। उन गायों को प्रति गाय 20 रुपये की डाइट के हिसाब से अनुदान मिलता है। एक गोशाला में कम से कम 100 गायों की टैगिंग होती है, जिनका तकरीबन 60 हजार रुपये महीना शासन से अनुदान मिलता है। अगर गायें ज्यादा हैं तो उस हिसाब से ज्यादा पैसा मिलता है। यहां गोशालों और गायों के नाम पर बंदरबांट और लूट मची हुई है।
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