Garba was performed on the ground smeared with cow dung | गोबर से लीपकर जमीन पर करते थे गरबा: इंदौर में मिल क्षेत्र का सबसे पुराना 56 साल पुराना गरबा मंडल, परंपरा आज भी कायम – Indore News

शहर के प्राचीन और प्रमुख गरबा मंडलों में से एक है 7/7, परदेशीपुरा का सार्वजनिक नवदुर्गा उत्सव मंडल। मिल क्षेत्र का यह सबसे पुराना गरबा स्थल है, जिसे 56 साल हो गए हैं। शुरुआती वर्षों में यहां गोबर से लीपकर जमीन पर ही गरबा किया जाता था, इसके बाद करीब 3
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सुसज्जित मंच पर गरबा करती बालिकाएं।
1968 में हुई थी गरबे की शुरुआत
उत्सव के आयोजक अजय चौकसे ने बताया कि यहां गरबे की शुरुआत 1968 में हुई थी। इसकी स्थापना सूरज चौकसे, लखनलाल यादव, दिलीप सिंह झाला सहित क्षेत्र के अनेक वरिष्ठों ने मिलकर की थी। फिलहाल मंडल में धर्मेंद्र प्रजापत, गजेंद्र सिंह चौहान, धर्मेंद्र राठौर, नितिन चौकसे, धर्मेंद्र चौकसे, संकेत चौकसे, रमेश वर्मा, पीयूष वर्मा, सुरेंद्र राठौर, मोनू कुशवाह, विशाल चौकसे, राजा राठौर, अनिल यादव, परवेश वर्मा, लक्ष्मण ठाकुर सहित 50 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं। शुरुआती दौर में भी ढाई सौ से 400 बालिकाएं यहां गरबा करती थीं। अभी भी इतनी ही बच्चियां यहां गरबा करने आती हैं। पारिवारिक माहौल के चलते यहां माता-पिता अपनी बालिकाओं के निश्चिंत होकर भेजते हैं।

सार्वजनिक नवदुर्गा उत्सव मंडल द्वारा स्थापित दुर्गा जी की मूर्ति।
नवरात्रि में झिलमिलाती थी अनंत चतुर्दशी की झांकी
अजय चौकसे ने बताया पहले यहां अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली कल्याण मिल की एक चलित झांकी को भी रखा जाता था। उसे फिर से चमका कर तैयार करके पूरी नवरात्रि में यहां रखने के कारण लोग गरबा के साथ झांकी देखने भी आते थे। देवी की मूर्ति लाते वक्त अखाड़े भी साथ होते थे और वे मार्ग में अपना प्रदर्शन करते चलते थे। क्षेत्र के रहवासी भी भजनों पर नाचते गाते शामिल होते थे। अब झांकी तो नहीं रखते लेकिन बाकी सभी परंपराएं कायम हैं।







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