Playing with the faith of devotees in Chauragarh | चौरागढ़ में श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़: त्रिशूल कबाड़ में बेचे, अध्यक्ष के पास नहीं हिसाब, एसडीएम बोले; हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं – narmadapuram (hoshangabad) News

नर्मदापुरम जिले के हिल स्टेशन व महादेव की नगरी पचमढ़ी में श्रद्धालुओं के द्वारा आस्था के साथ चौरागढ़ महादेव पर चढ़ाए कुछ त्रिशूलों को कबाड़ में बेचा गया। समिति ने एक कबाड़ी को ये त्रिशूल बेचे। जिसमें खराब, जंग लगे त्रिशूल के अलावा अच्छे त्रिशुल भी इस बार
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आपको बता दें कि सोमवार शाम को स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने चौरागढ़ से त्रिशूल भरकर बेचने जा रहे एक ट्रक को पचमढ़ी नाके पर पकड़ा था, जिसमें किसी भी प्रकार के वैद्य दस्तावेज नहीं थे ट्रक पकड़ते ही पुलिस के पास स्थानीय प्रभावशाली अधिकारी का कॉल ट्रक छोड़ने के लिए आया था। थाना प्रभारी ने वैध दस्तावेज की मांग की तो संबंधित अधिकारी ने मौके पर हर हर महादेव सेवा समिति के उपाध्यक्ष के हस्ताक्षर वाला कोरा लेटर हेड भेज दिया। जहां ट्रक पकड़ा गया वहां कोरे लेटर हेड में चौरागढ़ के पुराने और अनुपयोगी त्रिशूल लगभग चार टन बेचे जाने की बात लिखी गई। इस दस्तावेज को देखकर थाना प्रभारी उमाशंकर यादव ने ट्रक को तत्काल छोड़ दिया।
लाखों श्रद्धालु आस्था से पहाड़ी चढ़कर चौरागढ़ में अर्पित करते है त्रिशुल
पचमढ़ी को महादेव की नगरी भी कहा जाता है, यहां जटाशंकर महादेव, छोड़ा महादेव, बड़ा महादेव, चौरागढ़ महादेव, नागद्वारी समेत अनेक धार्मिक स्थान है। चौरागढ़ महादेव करीब 4200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां पहुंचने का रास्ता काफी कठिन है। यहां श्रद्धालु आस्था के साथ वजनी त्रिशूल लेकर पहुंचते और चौरागढ़ महादेव को अर्पित करते है। 2-3 क्विंटल तक के त्रिशूल श्रद्धालु चढ़ाते है। हर साल छोटे-बड़े मिलाकर 10 हजार से ज्यादा त्रिशूल चढ़ाए जाते है।
अध्यक्ष बोले, इस बार हमारी गलती, जो मजदूरों के भरोषे छाेड़ा काम
चौरागढ़ में संचालित हर-हर महादेव समिति के अध्यक्ष महंत गरीबदास बाबा ने कहा जहां त्रिशुल रखते वो खुला क्षेत्र है, बारिश से खराब हो जाते है। जंग व खराब त्रिशूल को झांटकर हम उसे हर साल बेचते है। 27 रुपए प्रति किलो के हिसाब से त्रिशूल बेचते। अच्छे त्रिशूल जमाकर रखते है। जिसमें 5 रुपए किलो मजदूरों को देते। जो पहाड़ी से नीचे तक ले जाते है। समिति को 21-22 रुपए किलो के हिसाब से बचते है। इस बार भी वैसा ही किया। लेकिन हमारी गलती रही कि हमने मिस्त्री, मजदूरों के भरोषे काम छोड़ दिया। उन्होंने खराब, जंग लगे त्रिशुल के अलावा अच्छे भी लेकर ट्रक में ले गए। अध्यक्ष ने पूछा कि कितने त्रिशूल बेचे, उनका वजन क्या था, तो उन्होंने कहा अभी हिसाब नहींं हुआ, इसलिए मुझे जानकारी नहीं।
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