Explainer: चीन से थी गहरी दोस्ती, फिर मालदीव में ऐसा क्या हुआ कि बार-बार भारत आने लगे मुइज्जू?

आपको याद होगा, कुछ महीनों पहले की बात है. मालदीव में मोहम्मद मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ का नारा लगाकर सत्ता में आ गए थे. शपथ लेते ही मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को तुरंत देश छोड़ने का आदेश सुना दिया था. अगले ही पल भारत को दुश्मन मानने वाले चीन की शरण में चले गए. भारत समझाता रहा, लेकिन नहीं माने. उन्हें लगा कि सबकुछ चीन की मदद से वे हल कर लेंगे. फिर ऐसा क्या हुआ कि वही मुइज्जू बार-बार भारत के चक्कर काट रहे हैं. अब चीन की बातें करना भी उन्हें पसंद नहीं. पांच दिन के दौरे पर एक बार फिर वे नई दिल्ली आए हैं. क्या चीन से जो उम्मीद लगाए थे, वो टूट गई या फिर जयशंकर की कूटनीति कामयाब रही?
मालदीव से रवाना होने से पहले मुइज्जू ने कहा, मालदीव आर्थिक संकट से जूझ रहा है. मुझे भरोसा है कि भारत हमारी मदद करेगा. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 400 मिलियन डॉलर रह गया है. इससे सिर्फ डेढ़ महीने का ही खर्च चलाया जा सकता है. बता दें कि मालदीव को भारतीय टूरिस्ट से बड़ी मात्रा में कमाई होती थी, लेकिन जब से उनके मंत्रियों ने भारत विरोधी बयान दिया है, यह कमाई काफी हद तक कम हो गई है. मालदीव पर भारी कर्ज भी है.
Pleased to call on President @MMuizzu today at the start of his State Visit to India.
Appreciate his commitment to enhance relationship. Confident that his talks with PM @narendramodi tomorrow will give a new impetus to our friendly ties. pic.twitter.com/UwDjnCZ0t6
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 6, 2024