अजब गजब

When he failed in the book business, this person from Rajasthan started pearl farming on sandy land, today hundreds of farmers are getting training

जयपुर:- कहते हैं कि इंसान में अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो वह क्या कुछ नहीं कर सकता. इस कहावत को जयपुर ग्रामीण के किशनगढ़ रेनवाल में रहने वाले नरेंद्र गर्वा चरितार्थ कर दिखाया है. इस शख्स ने केरल, गुजरात और तमिलनाडु जैसे तटीय क्षेत्रों में होने वाली मोती की खेती को रेगिस्तान के धोरों में इसकी खेती कर असंभव कार्य को संभव कर दिखाया है. आज की “सफलता की कहानी” में इसी शख्स के बारे में हम आपको बताने वाले हैं.

मोती उगाने से पहले नरेंद्र चलाते थे किताबों की दुकान
नरेंद्र गर्वा बीए की डिग्री पूरी करने के बाद काम की तलाश करने लगे. जब अच्छा काम नहीं मिला, तो उन्होंने किशनगढ़ रेनवाल में ही किताबों की दुकान खोल ली. किताबों की इस दुकान से भी नरेंद्र को ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था. घर का गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा था, तो उन्होंने कुछ नया काम शुरू करने की सोची. उन्होंने बताया कि वे उस समय अक्सर मोबाइल पर आधुनिक खेती के बारे में वीडियो देखते रहते थे, लेकिन खेती के लिए जमीन नहीं होने के कारण आधुनिक खेती नहीं कर पा रहे थे.

वीडियो देख मोती उगाने का आया आइडिया
नरेंद्र गर्वा ने लोकल 18 को बताया कि एक दिन अपने दुकान में बैठे-बैठे ऐसे ही वीडियो देख रहे थे, तभी अचानक किसी जानकार ने उन्हें मोती की खेती का एक वीडियो भेजा, जिसे देखकर उन्होंने मोती की खेती करने का आइडिया आया. फिर कुछ दिनों तक वे मोती की खेती के बारे में जानकारी जुटाने लगे. मोती की काफी जानकारी जुटाने के बाद उन्हें इसके ट्रेनिंग सेंटर के बारे में पता चला. इसके बाद वे ओडिशा के भुवनेश्वर में मोती की खेती के लिए ट्रेनिंग के लिए चले गए. राजस्थान से करीब 20 लड़कों ने इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया और सीखा कि कैसे सींप पालकर मोतियों का उत्पादन किया जा सकता है.

45 डिग्री तापमान में मोती पालन करना बनी चुनौती
ट्रेनिंग के बाद नरेंद्र वापस राजस्थान आ गए, लेकिन एक चुनौती अभी भी उनके सामने बनी हुई थी. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें तटीय क्षेत्रों में अनुकूलित जलवायु में मोती पालन की जानकारी दी गई थी. लेकिन राजस्थान का तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है. ऐसी स्थिति में यहां पर मोती की खेती करना असंभव था. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, इस चुनौती से निपटने के लिए गर्वा ने घर पर ही सीमेंट के होज बनवाएं और तापमान को मेंटेन रखने के लिए छाया की व्यवस्था की.

पहली बार केरल से मंगवाए सींप
घर पर ही सींप की खेती के लिए अनुकूल मौसम बनाने के बाद नरेंद्र गर्वा ने केरल से सींप मंगवाए और रेत के धोरों में मोतियों की खेती शुरू की. नरेंद्र ने Local 18 को आगे बताया कि सींप पालने के लिए थोड़ी सी मेहनत जरूर करनी पड़ती है. लेकिन इनसे मुनाफा भी अच्छा कमाया जा सकता है. राजस्थान जैसे वातावरण में सींपियों को पालने के लिए पानी में अमोनिया नहीं होना चाहिए. पानी का पीएच लेवल सात से ऊपर नहीं जाना चाहिए और पानी का तापमान भी 30 डिग्री से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

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दाम 10 रुपए का मोती 600 रुपए
नरेंद्र गर्वा ने बताया कि किसान सूरत और केरल से सींप मंगवा सकते हैं. एक सींप करीब 10 से 12 रुपये में मिलती है. इन सींपियों से गोल मोती करीब 18 माह में तैयार होता है, जबकि डिजाइनर मोती बनने में 10 से 12 माह का समय लगता है. मार्केट में एक डिजाइनर मोती की कीमत करीब 300 से 600 रुपये है और गोल व अर्धगोल मोती की कीमत 500 से 1000 रुपये तक है.

नरेंद्र गर्वा अब राजस्थान में बहुत ही कम खर्चे पर दूसरे किसानों को भी पर्ल फार्मिंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं. इसके अलावा वे मोती को ज्लेवरी बनाकर सीधे बाजार में बेचते हैं, जिससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. नरेंद्र के पास वर्तमान में करीब 3000 सींपिया है, जिनसे मोती उत्पन्न हो रहे हैं. इसके अलावा सींपी के खोल से भी कमाई की जाती है. ऐसे करके नरेंद्र करवा सालाना लाखों रुपए की कमाई करते हैं.

Tags: Business news, Jaipur news, Local18, Rajasthan news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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