लाखों-करोड़ों नहीं…सिर्फ 450 रुपए में शुरु किया स्टार्टअप, 3 महीने में दो दोस्तों की बदल गई जिंदगीTwo friends started a startup with Rs 450, now providing employment to 15 people, days changed in just 3 months

सागर. भागदौड़ वाली इस जिंदगी में कहीं न कहीं हमसे रिश्ते पीछे छूट जाते हैं. खासकर दोस्तों के लिए हम समय नहीं निकाल पाते. लेकिन कई दोस्त ऐसे ही भी है जो एक दूसरे के साथ रहने के लिए कुछ नया कर जाते हैं. आज हम आपको दो दोस्तों की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया और 3 महीने में ही उनके दिन बदल गए.
यह स्टोरी है कॉलेज में पढ़ाई करने वाले दो दोस्तों सुजीत तिवारी और रवि सिंह की, जिन्होंने 450 रुपए में एक स्टार्टअप शुरू किया, जो 3 महीने में ही ऐसे मुकाम पर पहुंच गया कि इससे 15 लोगों को रोजगार मिल गया. साथ ही, उनके उत्पादों की वेल्यू साढ़े तीन लाख रुपए हो गई. उनके इस इनोवेशन की जमकर सराहना की जा रही है. सागर में आयोजित हेथाकॉन प्रतियोगिता में उन्होंने पहला स्थान हासिल कर डेढ़ लाख का इनाम जीता है. मुख्यमंत्री ने मंच से दोनों युवाओं को सम्मानित किया.
प्लास्टिक का विकल्प खोजने स्टार्टअप शुरू
स्टार्टअप करने वाले सुजीत और रवि सतना की ए.के.एस. यूनिवर्सिटी से MBA (HR) कर रहे थे. उन्होंंने बताया कि 2021 की बात है, जब कोरोना के कारण सरकार प्लास्टिक को बंद करने की बात कर रही थी. इसी दौरान सुजीत के मन में विचार आया कि अगर सरकार प्लास्टिक को बंद कर देगी, तो इसके विकल्प में कौन सी चीज ला सकते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में उपयोगी हो.
2 साल तक की रिसर्च
उन्होंने बताया कि कुछ समय के बाद बांस से कुछ उत्पाद बनाने का मन बना, इस पर करीब डेढ़ साल तक रिसर्च की. इधर-उधर जाकर देखा, और सतना के इन्क्यूबेशन सेंटर पर 24 जून 2024 को पंजीकरण कराया. इसके बाद रोज सुबह से शाम तक उपयोग में आने वाली सामग्री बनवाना शुरू किया. MSME के तहत लोन लिया, जिससे काम में और तेजी आई. अब बांस से बनने वाले उत्पादों की सप्लाई दिल्ली, बेंगलुरु और सतना में की जा रही है.
8 प्रकार के उत्पाद बनाते हैं
वर्तमान में, वे बांस से पेन, डायरी, बॉटल, टूथब्रश, सेफ्टी रेजर, मग, बाथरूम में उपयोग होने वाली सामग्री, सजावटी सामग्री, हॉस्पिटल केयर के साथ किचन केयर और पर्सनल केयर के उत्पाद बना रहे हैं. ये सभी उत्पाद प्रकृति से जुड़े हुए हैं और इनके उपयोग से स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 11:51 IST
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