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One Nation, One Election: सरकार कर रही पूरी तैयारी, स्‍ट्रैटजी भी तैयार, ऐसे समझें संविधान संशोधन का पूरा गणित – One Nation One Election Government Working on 3 Bills Know Constitutional Amendment Calculation

हाइलाइट्स

वन नेशन, वन इलेक्‍शन को लेकर अंदरखाने चल रही तैयारीसरकार इसको लेकर तीन विधेयक लाने की तैयारी कर रही हैकोविंद कमेटी की सिफारिश को सरकार कर चुकी है स्‍वीकार

नई दिल्ली. ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर केंद्र सरकार काफी गंभीर है. अंदर ही अंदर इसकी तैयारियां भी चल रही हैं. देश में एक साथ चुनाव कराने की अपनी योजना को अमल में लाने के लिए सरकार की ओर से तीन विधेयक लाए जाने की संभावना है. इनमें दो संविधान संशोधन से संबंधित होंगे. प्रस्तावित संविधान संशोधन विधेयकों में से एक स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभाओं के साथ कराए जाने से जुड़ा है. इसके लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों के समर्थन की जरूरत होगी.

सरकार ने इस महीने की शुरुआत में देशव्यापी सहमति बनाने की कवायद के बाद चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए हाई लेवल कमेटी गठित की थी. पूर्व राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्‍यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों को सेंट्रल कैबिनेट ने स्‍वीकार भी कर लिया है. पहला संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान करने से संबंधित होगा. सूत्रों ने समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि प्रस्तावित विधेयक में ‘नियत तिथि’ से संबंधित सब-सेक्‍शन (1) जोड़कर अनुच्छेद 82A में संशोधन करने का प्रयास किया जाएगा. इसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एक साथ समाप्त करने से संबंधित अनुच्छेद 82A में सब-सेक्‍शन (2) शामिल किया जाएगा.

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क्‍या है प्रस्‍ताव
अनुच्छेद 83(2) में संशोधन करने और लोकसभा का कार्यकाल और इसे भंग किये जाने से संबंधित नए सब-सेक्‍शन (3) और (4) जोड़ने का भी प्रस्ताव है. इसमें विधानसभाओं को भंग करने और ‘एक साथ चुनाव’ शब्द को शामिल करने के लिए अनुच्छेद 327 में संशोधन करने से संबंधित प्रावधान भी हैं. सिफारिश में कहा गया है कि इस विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों के समर्थन की बाध्‍यता नहीं होगी. प्रस्तावित दूसरे संविधान संशोधन विधेयक को कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं के समर्थन की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह राज्य के मामलों से संबंधित विषयों से निपटेगा. यह स्थानीय निकायों के चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोगों (एसईसी) के परामर्श से चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची तैयार करने से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव करेगा. संवैधानिक रूप से चुनाव आयोग और राज्‍य निर्वाचन आयोग अलग-अलग हैं.

चुनाव आयोग बनाम राज्‍य निर्वाचन आयोग
निर्वाचन आयोग राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं और राज्य विधानपरिषदों के लिए चुनाव कराता है, जबकि राज्‍य निर्वाचन आयोग को नगर पालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है. प्रस्तावित दूसरा संविधान संशोधन विधेयक एक नया अनुच्छेद 324A जोड़कर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के साथ-साथ नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने का प्रावधान करेगा. तीसरा विधेयक केंद्र शासित प्रदेशों (पुडुचेरी, दिल्ली और जम्मू कश्मीर) से संबंधित तीन कानूनों के प्रावधानों में संशोधन करने वाला एक सामान्य विधेयक होगा, ताकि इन सदनों के कार्यकाल को अन्य विधानसभाओं और लोकसभा के साथ किया जा सके. यह पहले संविधान संशोधन में प्रस्तावित है.

कोविंद कमेटी की सिफारिश
हाई लेवल कमेटी ने तीन अनुच्छेदों में संशोधन, मौजूदा अनुच्छेदों में 12 नए सब-सेक्‍शन को शामिल करने और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित तीन कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव किया था. संशोधनों और नई एंट्रीज की कुल संख्या 18 है. इस साल लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मार्च में सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने ‘एक देश, एक चुनाव’ को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की थी. इसमें पहले चरण में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव और दूसरे चरण में आम चुनाव के 100 दिनों के अंदर पंचायतों और नगर निकायों जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव का सुझाव दिया गया है.

Tags: National News, One Nation One Election


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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