मध्यप्रदेश

Ayushman Scheme Fraud: Private Hospitals Extorting Lakhs by Scaring Patients | हार्टअटैक है, अस्पताल से निकले तो जिंदा नहीं बचोगे: आयुष्मान मरीजों को ऐसे डराकर पैसे वसूल रहे निजी अस्पताल; हर महीने 10-15 शिकायतें – Madhya Pradesh News

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ये आपबीती भोपाल के रहने वाले जुबेर मोहम्मद खान की है। जिनके पास आयुष्मान योजना का कार्ड होते हुए भी प्राइवेट अस्पताल ने उन्हें और परिजन को डराकर हार्ट का ऑपरेशन किया। उनसे 4 लाख रुपए नकद लिए जबकि आयुष्मान योजना में हार्ट की बीमारी से जुड़ा अधिकतम पैकेज डेढ़ लाख रु. का है। मरीज के इलाज के बाद ये पैसा सरकार की तरफ से प्राइवेट अस्पताल को दिया जाता है।

आयुष्मान मरीजों को डराकर उनसे पैसे लेने का ये कोई पहला मामला नहीं है। योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक हर महीने ऐसी 10 से 15 शिकायतें आती हैं, यानी 120 से 180 शिकायतें सालाना। बता दें कि प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ इससे पहले आयुष्मान योजना के फर्जी क्लेम की शिकायतें हो चुकी है।

भास्कर ने इस मामले में पीड़ित परिवारों के साथ आयुष्मान योजना से जुड़े अधिकारी और उन अस्पतालों के प्रबंधन से बात की जिन पर पैसे लेने के आरोप हैं। पढ़िए रिपोर्ट-

दो केस से समझिए कैसे प्राइवेट अस्पताल मरीजों से पैसे ऐंठ रहे हैं?

केस1:ऑपरेशन नहीं करोगे तो बचना मुश्किल ये कहानी भोपाल के रहने वाले जुबेर मोहम्मद खान की है। वे बताते हैं- कुछ कदम चलने पर ही मेरी सांस भर जाती थी। मैंने अगस्त 2024 में भोपाल मेमोरियल अस्पताल में जांच कराई तो हार्ट में ब्लॉकेज का पता चला। मेरे पास आयुष्मान कार्ड भी था। परिवार वालों ने कहा- प्राइवेट अस्पताल में अच्छे से ऑपरेशन करा लेते हैं।

हमने इंदौर के सीएचएल अस्पताल में बात की तो मैनेजमेंट ने कहा कि आप आयुष्मान कार्ड लेकर इंदौर आ जाइए, बिना किसी चार्ज के बायपास सर्जरी हो जाएगी। मैं 29 सितंबर 2024 को अस्पताल में एडमिट हो गया। डाक्टरों ने जांच के बाद बताया कि हार्ट केवल 16 पर्सेंट काम कर रहा है, आपका तुरंत ऑपरेशन करना होगा।

जब हमने आयुष्मान कार्ड से ऑपरेशन की प्रोसेस के बारे में बोला, तो अस्पताल मैनेजमेंट ने कहा कि आपका आयुष्मान कार्ड नहीं चलेगा, तुरंत 4 लाख रुपए जमा करने होंगे। हमने कहा कि भोपाल वापस चले जाते हैं, बाद में देखेंगे। अस्पताल मैनेजमेंट ने रिपोर्ट दिखाते हुए कहा- हार्ट तो 16 पर्सेंट ही काम कर रहा है, यहां से बाहर निकले और जरा भी चलना-फिरना हुआ तो बचना मुश्किल है।

इस कदर डरा दिया कि परिवार वालों ने जान जाने के डर से रिश्तेदार, दोस्तों से रुपए उधार लेकर 4 लाख रुपए जमा किए। जैसे ही अस्पताल मैनेजमेंट को पैसा मिला, अगले ही दिन ऑपरेशन कर दिया। जुबेर कहते हैं कि आयुष्मान योजना से प्राइवेट अस्पताल में बेहतर इलाज के फेर में 4 लाख रुपए का कर्ज अलग हो गया।

नोटिस जारी हुए तीन महीने, राशि नहीं मिली बायपास के दो महीने बाद हालत ठीक महसूस होने पर जुबेर ने आयुष्मान कार्यालय में इस मामले की शिकायत की। अधिकारियों ने पूरे कागजों की जांच की और पाया कि उनका आयुष्मान कार्ड बिल्कुल सही है। अधिकारियों ने ये भी कहा कि जिस सीएचएल अस्पताल में सर्जरी हुई वो आयुष्मान योजना में इमपेनल्ड है। आयुष्मान कार्ड होते हुए अस्पताल ने नकद पैसा लिया, वो गलत है।

जुबेर शिकायत देकर लौट आए। जब कुछ नहीं हुआ तो फिर अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि अस्पताल को नोटिस जारी किया गया है, जल्द आपकी राशि वापस मिल जाएगी। इसके बाद भी पैसा वापस नहीं मिला, तो अधिकारियों ने कहा- अस्पताल प्रबंधन को नोटिस देखकर खुद उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

अब तीन महीने बीत चुके हैं लेकिन न तो रुपए मिले न ही वसूली करने वाले अस्पताल पर कोई कार्रवाई हुई है।

अस्पताल प्रबंधन का तर्क- आयुष्मान की जानकारी नहीं दी भास्कर ने इस मामले में सीएचएल अस्पताल के डॉ. भरत बगोरा से बात की, तो उन्होंने कहा कि- पेशेंट जुबेर की हालत क्रिटिकल थी। उनका दिल केवल 16 प्रतिशत काम कर रहा था। उनकी सहमति से ही ऑपरेशन किया गया। उन्होंने खुद रुपए दिए हैं, उसी के बाद ऑपरेशन किया।

उनसे पूछा कि जो गंभीर मरीज होते हैं उनका इलाज आयुष्मान योजना में नहीं होगा क्या ऐसा कोई नियम है? डॉ. भरत बगोरा ने कहा मरीज ने आयुष्मान कार्ड होने की जानकारी ही नहीं दी थी। जब ऑपरेशन करा लिया तब उन्होंने कार्ड की जानकारी दी।

केस2: मंत्री कार्यालय से फोन कराया तब पैसे नहीं लिए घोड़ानक्कास निवासी हसीब अली अपनी मां को हार्ट अटैक आने पर होशंगाबाद रोड के नोबल अस्पताल लेकर पहुंचे यहां उन्हें आयुष्मान कार्ड के तहत भर्ती कर लिया गया। जांच के बाद डाक्टरों ने कहा कि, ओपन हार्ट सर्जरी करनी होगी। सर्जरी तक भी कोई रुपए नहीं मांगे गए। ऑपरेशन हो गया इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि 1 लाख रुपए का पेमेंट करना होगा।

हसीब बताते हैं, मैं छोटा–मोटा काम करता हूं, आयुष्मान कार्ड से फ्री इलाज हो जाएगा यही सोचकर प्राइवेट अस्पताल में मां को भर्ती किया था। मैंने अस्पताल प्रबंधन को कहा- मेरी पैसे देने की स्थिति नहीं है, तो बोला कि कम से कम 60 हजार रुपए तो देने ही होंगे नहीं तो कानूनी कार्रवाई करेंगे।

हसीब कहते हैं- मैं घबरा गया, सीएमएचओ के पास गया, मगर कोई मदद नहीं मिली। इस बीच अस्पताल से बार-बार कॉल किया जा रहा था। मैं मंत्री विश्वास सारंग के बंगले पर पहुंचा। वहां से अस्पताल में फोन किया गया। मुझे अस्पताल वालों ने कहा अब आपको पैसे देने की जरूरत नहीं है।

नोबल अस्पताल का तर्क- किसी से रुपए नहीं मांगते इस मामले में भास्कर ने नोबल अस्पताल का मैनेजमेंट देखने वाले दिग्विजय सिंह से बात की। उन्होंने कहा- हमारे यहां आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने वाले किसी मरीज से रुपए नहीं मांगे जाते हैं। यदि किसी को ऐसी शिकायत है तो आप उन्हें मेरे पास भेजिए, मैं पूरे मामले को दिखवाऊंगा।

प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान मरीजों से क्यों कर रहे वसूली?

इस सवाल के जवाब में एनएचएम के पूर्व डायरेक्टर डॉ. पंकज शुक्ला कहते हैं कि आयुष्मान योजना में अलग-अलग बीमारियों के लिए सरकार ने पैकेज तय किए हैं। हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लिए 90 हजार से 1.5 लाख रुपए तक का पैकेज है। जब मरीज अस्पताल में भर्ती होता है तो उसकी पूरी फाइल बनाई जाती है।

ऑपरेशन के बाद की प्रोसेस को फॉलो कर क्लेम के लिए दस्तावेज भेजे जाते हैं। इंश्योरेंस कंपनी से पैसा आने में 10 दिन से एक महीने का समय लगता है। यह सब प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन लालच के चलते प्राइवेट अस्पताल गंभीर मरीजों को डराते हैं। इससे उन्हें तुरंत नकद राशि मिल जाती है और अस्पताल तय पैकेज से ज्यादा राशि वसूल करते हैं।

डॉ शुक्ला कहते हैं कि मौजूदा नियम के मुताबिक ऐसे अस्पतालों को इमपेनल्ड लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है। वहीं ऐसे मामलों को सामने लाने वाले अमीन राजा कहते हैं कि अस्पताल मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाते हैं। उसे अस्पताल की रिपोर्ट पर भरोसा करना ही पड़ता है।

आयुष्मान सीईओ बोले- हर महीने 10-15 शिकायतें

आयुष्मान सीईओ डॉक्टर योगेश भरसट कहते हैं, कि मरीजों से वसूली की हर महीने 10 से 15 शिकायतें आती हैं। ऐसी शिकायतों के लिए हमने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। इसके अलावा डिस्चार्ज होने वाले 20 प्रतिशत मरीजों को कॉल करके जानकारी भी लेते हैं कि उनसे रुपए लिए या नहीं।

जिन अस्पतालों की रुपए लेने की शिकायत आती है उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाता है। सुनवाई के तीन मौके देने के बाद भी जब अस्पताल संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाते, तब मरीज के रुपए वापस दिलाए जाते हैं। दोषी पाए जाने के मामले में हम तीन गुना जुर्माने की कार्रवाई करते हैं और पीड़ित को वसूली गई राशि का तीन गुना वापस दिलाते हैं।

अस्पतालों को चेतावनी दी, कार्रवाई एक पर भी नहीं हुई

आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद मरीजों को डराकर नकद वसूली की शिकायतें बढ़ने पर आयुष्मान सीईओ डॉ योगेश भरसट ने इसी साल की शुरुआत में निजी अस्पतालों को चेतावनी देते हुए कहा था कि- कार्डधारकों से पैसा वसूलने वाले अस्पतालों को 24 घंटे में राशि लौटानी होगी, वर्ना अस्पताल का रिकॉर्ड खराब होगा और बार–बार शिकायतें मिलने पर कार्रवाई होगी।

इस घोषणा को भी दो महीने बीत चुके हैं, अब तक ऐसी शिकायतों पर कितने अस्पतालों पर क्या कार्रवाई हुई? यह बताने को विभाग तैयार नहीं है।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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