OPINION: कभी शक की नजर से देखती थी दुनिया आज लोहा मान गई, PM मोदी के संकल्प ने सफल किया ‘मेक इन इंडिया’

नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में जब अपना पद भार संभाला था तब भारतीय अर्थव्यवस्था को फ्रेजाइल इकोनॉमी कहा जाता था . भारत की अर्थव्यवस्था पर दुनिया का विश्वास डगमगा रहा था. पीएम नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए जिन हथियार का प्रयोग किया उसमें ” मेक इन इंडिया ” काफी महत्वपूर्ण था. हालांकि जिस परिस्थिति में मेक इन इंडिया की शुरुआत की गई इस पर देश और दुनिया का भरोसा कही काम था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता के कारण आज इसका लोहा दुनिया मान रही है.
‘मेक इन इंडिया’ से आया यह बदलाव
पिछले 10 वर्षों में हर घंटे एक स्टार्टअप लॉन्च हुआ है. ‘मेक इन इंडिया’ से करीब 15 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं. सरकार ने बुधवार को ‘मेक इन इंडिया’ की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर आंकड़े साझा कर बताया कि शुरू में विदेश ही देश में भी शक की नजर से देखी जा रही इस पहल ने कैसे भारत को एक प्रमुख वैश्विक मैन्युफेकचरिंग हब बना दिया है.
10 वर्षों में देश में स्टार्टअप्स की संख्या 2014 के 350 से बढ़कर 1.48 लाख हो गई है. सरकार ने यह भी बताया कि 45 प्रतिशत स्टार्टअप्स टियर II और टियर III शहरों से आए हैं, और 2014 के बाद से 1 करोड़ से अधिक पेटेंट दिए गए हैं. ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एमएसएमई क्षेत्र में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में बड़ा योगदान है. उद्यम पोर्टल पर 4.91 करोड़ एमएसएमई पंजीकृत हैं, जिनमें से 1.85 करोड़ महिला स्वामित्व वाली इकाइयां हैं. इन इकाइयों ने 21.17 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं. खास बात है कि एमएसएमई ने 2022-23 में भारत की जीडीपी में 30.1 फीसदी का योगदान दिया है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ के अपने अभियान को काफी व्यापक बनाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां पर बड़े उद्योगों स्टार्टअप के लिए इकोसिस्टम विकसित किया वहीं पर भारतीय परंपरागत वस्तुओं और सामानों को भी बढ़ावा दिया. पीएम नरेंद्र मोदी के वोकल का लोकल खादी अभियान आदि को भी इसी संदर्भ में समझा जा सकता है.
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 18:00 IST
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