मध्यप्रदेश

How the accused who planted detonators on the railway track was caught: RPF dog James ran 12 km and stopped near Sabir, why did he steal the detonators | पटरी पर डेटोनेटर लगाने वाले को RPF डॉग ने पकड़ा: 12 किमी दौड़ा ‘जेम्स’, साबिर के पास बैठ गया; आरोपी सिमी के गढ़ का – Madhya Pradesh News

खंडवा-मंबई रेलवे ट्रैक पर 10 डेटोनेटर रखने के आरोप में गिरफ्तार रेलवे कर्मचारी साबिर ने ऐसा क्यों किया था? इस सवाल का जवाब आरपीएफ को अभी तक नहीं मिल सका है, इसलिए आरपीएफ ने 25 सितंबर को उसे कोर्ट के सामने पेश कर 5 दिन की रिमांड बढ़ाने की मांग की जिसे

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तीन दिन की रिमांड के दौरान साबिर ने आरपीएफ को बताया कि उसने सेक्शन इंजीनियर को फंसाने के लिए डेटोनेटर चुराए थे। मगर पुलिस को साबिर की बात पर यकीन नहीं है, क्योंकि वह खंडवा की गुलमोहर कॉलोनी का रहने वाला है। ये इलाका प्रतिबंधित संगठन सिमी का गढ़ कहा जाता है। अब आरपीएफ और दूसरी जांच एजेंसियां नए सिरे से उससे पूछताछ करेंगी।

दूसरी तरफ साबिर की गिरफ्तारी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। उसे यकीन था कि वह इस करतूत के बाद पकड़ा नहीं जाएगा मगर आरपीएफ डॉग जेम्स की वजह से वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आखिर ‘जेम्स’ साबिर तक कैसे पहुंचा, तीन दिन की रिमांड के दौरान साबिर ने पुलिस को क्या बताया? पढ़िए रिपोर्ट

RPF स्निफर डॉग ‘जेम्स’ की मदद से आरोपी तक पहुंची पुलिस

19 सितंबर को आरपीएफ ने इस मामले की जांच शुरू की। घटनास्थल से आरपीएफ ने कुछ ऐसे डेटोनेटर भी जब्त किए, जो सही सलामत थे। जांच के बाद ये कन्फर्म हो गया कि ये रेलवे के ही डेटोनेटर हैं। इनका इस्तेमाल कोहरे के समय सिग्नल का संकेत या किसी आकस्मिक रुकावट का संकेत देने के लिए ट्रैक पर लगाया जाता है। ये लोको पायलट को अलर्ट करने के लिए होता है।

यहां ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी और इन्हें लगाने का कोई औचित्य भी नहीं था। इसका मतलब था कि ये किसी की साजिश थी या शरारत। मगर ऐसा करने वाला शख्स कौन था, ये पता लगाना मुश्किल था। घटनास्थल पर न तो कोई सीसीटीवी लगा था और न ही कोई प्रत्यक्षदर्शी।

इसका पता लगाने के लिए आरपीएफ ने भुसावल से विशेष प्रशिक्षित डॉग “जेम्स” की मदद ली। वारदात स्थल पर जेम्स को लाकर छोड़ा गया। वह वहां से 12 किमी चलकर डोंगरगांव पहुंचा। हालांकि सागफाटा से डोंगरगांव की सीधी दूरी 8 किमी ही है, लेकिन डॉग जेम्स ने वो रास्ता चुना था, जिस पर से होकर डेटोनेटर लगाने वाला निकला था।

जेम्स डोंगरगांव में रेलवे में काम करने वाले मेट साबिर के पास जाकर बैठ गया। हालांकि साबिर ने टीम को बताया कि वह 18 सितंबर को छुट्टी पर था।

ये वो जगह है जहां साबिर ने डेटोनेटर लगाए थे। घटनास्थल की जांच करती आरपीएफ की टीम।

ये वो जगह है जहां साबिर ने डेटोनेटर लगाए थे। घटनास्थल की जांच करती आरपीएफ की टीम।

साबिर ने सीनियर सेक्शन इंजीनियर के केबिन से चुराए थे डेटोनेटर

आरपीएफ सहित अलग-अलग विभागों की 14 जांच एजेंसियां इस मामले की जांच में जुटी थीं। जब कहीं से और कोई क्लू नहीं मिला, तो आरपीएफ ने 22 सितंबर को साबिर को हिरासत में लिया। साबिर को हिरासत में लेने की एक वजह ये भी थी कि साबिर मेट के पद पर तैनात है। मेट का काम गैंगमेन के साथ पटरियों पर गश्त करने का होता है। रेलवे में मेट को भी एक डिब्बा डेटोनेटर जारी किया जाता है।

एक डिब्बे में 10 डेटोनेटर होते हैं। इनका इस्तेमाल करने का कारण बताना होता है, तभी दूसरा डिब्बा जारी किया जाता है। ड्यूटी खत्म होने के बाद डेटोनेटर को रेलवे के गेट मैन या स्टेशन मास्टर के पास जमा करवाना होता है।

पुलिस ने साबिर से पूछा कि वह यह डेटोनेटर कहां से लाया तो उसने कबूल किया कि सीनियर सेक्शन इंजीनियर के केबिन से इन्हें चुराया। आरपीएफ साबिर के साथ काम करने वाले सुरेश और विष्णु के साथ खंडवा में सीनियर सेक्शन इंजीनियर (रेलपथ) से भी पूछताछ कर रही है।

पुलिस की साबिर पर शक की वजह- सिमी के एरिया में रहता है

साबिर खंडवा की गुलमोहर कॉलोनी का रहने वाला है। ये इलाका पहले सिमी की गतिविधियों का गढ़ रहा है। इस कारण जांच एजेंसियां हर संभावना को टटोल रही है। आरपीएफ खंडवा प्रभारी के मुताबिक साबिर ने तीन दिन की रिमांड में अब तक यही बताया कि उसे सीनियर सेक्शन इंजीनियर जानबूझकर परेशान करते थे। उसकी मुश्किल ड्यूटी लगाते रहते थे।

इसी वजह से उसने सीनियर सेक्शन इंजीनियर की निगरानी में रखे गए डेटोनेटर का एक डिब्बा चुरा लिया था। साबिर ने बताया कि उसका मकसद सीनियर सेक्शन इंजीनियर को फंसाना था, क्योंकि पूछताछ होती तो वह इंजीनियर से होती। हालांकि, जांच एजेंसियां उसके इस बयान की जांच करने में जुटी है।

तीन दिन की रिमांड खत्म होने के बाद साबिर को 25 सितंबर को कोर्ट के सामने पेश किया गया। पुलिस ने कोर्ट से 5 दिन की रिमांड और मांगी है।

तीन दिन की रिमांड खत्म होने के बाद साबिर को 25 सितंबर को कोर्ट के सामने पेश किया गया। पुलिस ने कोर्ट से 5 दिन की रिमांड और मांगी है।

रेलवे खुद तैयार करता है डेटोनेटर, एक बॉक्स में 10 पीस होते हैं

मध्य रेलवे के सीपीआरओ डॉ. स्वप्निल निला के मुताबिक 10 पीस डेटोनेटर का एक बॉक्स होता है। ये डेटोनेटर खुद रेलवे ही तैयार करता है। इसका प्रयोग गाड़ी रोकने, कोहरे में सिग्नल की जानकारी देने के लिए किया जाता है। इनकी उपयोगिता 5 साल के लिए होती है। सात साल बाद इसे नष्ट कर दिया जाता है।

सीपीआरओ के मुताबिक डेटोनेटर से सिर्फ तेज आवाज होती है। इससे कोई ट्रेन डिरेल नहीं हो सकती है। जांच इस वजह से कराई जा रही है कि जहां ये डेटोनेटर लगाए गए थे, वहां इनकी कोई आवश्यकता नहीं थी।

केंद्र कर रहा रेलवे एक्ट में बदलाव की तैयारी

रेलवे ट्रैक पर लगातार रची जा रही साजिशों के बाद गृह मंत्रालय रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151 में बदलाव करने की तैयारी में है। अभी इस धारा के तहत रेल हादसे की साजिश सिद्ध होने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। अब इस एक्ट में उपधारा जोड़कर इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने की तैयारी है। इसे लेकर कानूनी सलाह-मशविरा किया जा रहा है।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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