Foundation Day of Sanchi University | सांची विश्वविद्यालय का स्थापना दिवस: छात्रों की उपलब्धियां गिनाने के साथ बोधिवृक्ष की वंदना के साथ महत्व बताई – Raisen News

शनिवार को सांची बौद्ध विश्वविद्यालय का 12वां स्थापना दिवस कार्यक्रम पर बोधिवृक्ष की वंदना की गई। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. बैद्यनाथ लाभ ने बोधिवृक्ष की महत्व बताते हुए कहा कि सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा बोधगया से बोधिवृक्ष की शाखा लेकर श्रील
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प्रो. लाभ ने कहा कि आज युद्ध में उलझी दुनिया में बौद्ध धर्म जीवन की पद्धति बन गया है। सांची विश्वविद्यालय की स्थापना से ही जुड़े रहे प्रो लाभ ने कहा कि विश्वविद्यालय विहंगम और वैश्विक दृष्टिकोण से स्थापित हुआ है। उन्होने कहा कि वैश्विक रूप से सांची विवि निखरेगा और अपने कैंपस में आने के बाद विदेशी छात्रों के लिए भी सुविधाएं स्थापित की जा रही है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और आई.ई.एस यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. बी एस यादव ने कहा- अपनी सीमाओं को ताकत बनाने का काम शिक्षक अच्छे से जानता है और उसे कोई ताकत सफल होने से नहीं रोक सकती। विश्वविद्यालय को नई ऊंचाईयां छूने की शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा कि घर में माता- पिता के बाद स्कूल में उसके दूसरे माता-पिता और शिक्षक ही होते हैं।
स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के वार्षिक न्यूज़ लैटर का भी विमोचन किया गया तथा विश्वविद्यालय के डीन प्रो. नवीन कुमार मेहता की लिखी दो पुस्तकों रिसर्च मैथड इन एजुकेशन व टीचिंग इंग्लिश लिटरेचर एंड लैंग्वेज और डॉ. राहुल सिद्धार्थ की लिखी दो पुस्तकों हिंदी साहित्य का उत्तर मध्य काल-विविध आयाम और रस्किन बॉन्ड की लिखी अंग्रेज़ी पुस्तक का हिंदी अनुवाद भय से साक्षात्कार का भी विमोचन किया गया।
इस मौके पर विश्वविद्यालय की 12 सालों की यात्रा पर केंद्रित एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई। विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो. अलकेश चतुर्वेदी ने कहा- भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र सांची विश्वविद्यालय है। प्रो. चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन पेश करते हुए छात्रों की उपलब्धियां गिनाई।


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