Leave aside the lock, you could not even bring the bread kept in the house | ताला तो छोड़िए, घर में रखी रोटी नहीं ला पाए: दतिया में 7 मौतों के बाद 40 परिवार बेघर, बोले- आधी रात घर से निकाला, अब बंधक जैसी जिंदगी – datia News

राजघाट तिराहे पर बना 5 मंजिला मकान बारिश के कारण झुक गया था, जिसे प्रशासन ने 14 सितंबर को सुरक्षा की दृष्टि से गिरा दिया था। राजगढ़ किले की सुरक्षा दीवार, जिस पर लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिए हैं।
रात में 10 बजे घर से बाहर निकालकर हमारे घरों में ताला जड़ दिया। उन्होंने हमें इतना भी टाइम नहीं दिया कि खाने-पीने और ओढ़ने-बिछाने का सामान साथ ले पाते। सुबह बच्चों को लेकर वापस घर गए, लेकिन कुछ देर बाद फिर से जाने को कह दिया। ताला लगाना तो छोड़िए घर पर
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यह दर्द है सीमा वंशकार का। सीमा परिवार के साथ राजगढ़ पैलेस के सुरक्षा दीवार (रर) के किनारे अपने मकान में रही रही थी। 12 सितंबर को रिकॉर्ड बारिश के बाद सुरक्षा दीवार का एक हिस्सा ढह गया था, जिसमें एक ही परिवार के पांच लोग समेत 7 की मौत हो गई थी। जबकि पिता-पुत्र गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दीवार के मलबे में दो मकान भी ढेर हो गए थे। 16 और 17 सितंबर को तेज बारिश के बाद दीवार के कुछ हिस्से ढहने लगे थे। जिसके बाद प्रशासन ने 17 सितंबर को देर रात दतिया पैलेस और राजगढ़ पैलेस की सुरक्षा के किनारे बसे 40 से ज्यादा परिवारों को मैरिज गार्डन और धर्मशाला में शिफ्ट कर दिया था। तब से ये परिवार यहीं पर रह रहे हैं। उनका आरोप है कि शिफ्टिंग के बाद से उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
शहरवासियों की सुरक्षा के लिए 400 साल पहले खड़ी की गई विशाल दीवार (रर) आखिर कैसे इनके लिए खतरा बन गई। दैनिक भास्कर ने इसकी पड़ताल करने के साथ ही उन परिवारों से भी बात की, जो अपना घर छोड़कर यहां-वहां जीवन गुजार रहे हैं…
प्रशासन ने लोगों को मैरिज गार्डन में शिफ्ट किया है। ये लोग परिवार के साथ यहां रह रहे हैं।
सबसे पहले घर छोड़ने वाले परिवारों का दर्द
शीला मोंगिया कहती हैं- इसी जगह हमारी तीन पीढ़ी गुजर गई। जब यहां कुछ नहीं था, तब से रह रही हूं। स्वामीजी महाराज ने हमारे सामने वन खंडेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण किया था। मैंने मंदिर निर्माण के दौरान काम किया। अब यहीं फूलों की टोकरी लगाती हूं। आज प्रशासन ने हमारे घर में ताला डालकर हमें बेघर कर दिया है, अब कहां जाएं। खाने-पीने को भी कुछ नहीं मिल रहा है।
छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहा जाऊं। कपड़े तक नहीं निकालने दिया। बिस्किट खाकर दिन गुजार रहे हैं। कहते हैं- जब तक सीजन है, 15-20 दिन बाहर ही गुजारो। बीमार हैं, कैसे यहां गुजर-बसर करें।

घरों से सामान तक नहीं निकालने दिया गोविंद मोंगिया बताते हैं कि 17 सिंतबर को रात में घर पर था। अचानक घर के सामने प्रशासनिक टीम आ गई और कहा- जल्दी घर से बाहर निकलो। पलभर में घर से बेघर कर दिया, फिर कोई पूछने तक नहीं आया। ऐसा कहीं होता है क्या? रात में मकान खाली करा लिया और अपने ताले डाल दिए। हमें यहां वाटिका में लाकर छोड़ दिया। पहले दिन सुबह प्रशासन ने सुध ली, फिर काेई नहीं आया। खाने-पीने की क्या व्यवस्था है, कुछ पता नहीं।
छोटे बच्चे और माताएं-बहनें अपना घर छोड़कर यहां रहने को मजबूर हैं। बच्चों के खाने के लिए बाजार से खरीदकर कुछ-कुछ ला रहे हैं, लेकिन अब तो पैसे भी खत्म हो गए हैं। न तो हमें हमारे घर में जाने दे रहे हैं, न ही हम काम धंधे पर जा पा रहे हैं। अगर घरों में चोरी हो गई तो कौन जिम्मेदार होगा। घर से जरूरत का सामान तक नहीं निकालने दे रहे हैं।
रोज कमाकर खाने वाले लोग हैं। हम अब किसके भरोसे बैठें। हमारे लिए तो एक दिन के लिए ही सरकार थी। वे कहते हैं कि आपकी सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहे हैं। मान गए, लेकिन भूखे मरे क्या। यहां लाकर रखा है तो कुछ व्यवस्था तो कीजिए। हम सामान निकलाने गए तो उन्होंने और सख्ती बढ़ा दी। अब कहां जाएं।

400 साल पहले दतिया की सुरक्षा के लिए बनी थी दीवार दतिया शहर को 11 किलोमीटर लंबी और 36 फीट ऊंची प्राचीन रर यानी सुरक्षा दीवार घेरे हुए है। इस में शहर में 2 किलोमीटर की दीवार महलों और मठों को घेरे हुए है। जबकि बची 9 किलोमीटर की दीवार में से करीब साढ़े 6 किलोमीटर मास्टर प्लान के चलते तोड़कर रिंग रोड का निर्माण किया जाना है।
साल 2013 में सबसे पहले 350 मीटर की सैंपल रोड स्वीकृति हुई थी, जो भैरव मंदिर से भदोरिया की खिड़की तक बनी। इस दौरान दीवार को 14 लाख रुपए का ठेका देकर तुड़वाया गया। सैंपल रोड तैयार होने के बाद साल 2016 में साढ़े 6 किलोमीटर की सड़क, जो कि भैरव मंदिर से लाला के ताल तक बननी है, इसके लिए 12 करोड़ रुपए की मंजूर हो चुके हैं, जिसका काम चल रहा है। दूसरा छोर भैरव मंदिर से राजगढ़ पैलेस, कर्नाटक की खिड़की (जहां हादसा हुआ है) होते हुए लाला के ताल तक बनना है, लेकिन अभी इस पर कोई प्लान तैयार नहीं हुआ है। दीवार के इस हिस्से की हालत भी जर्जर है।

सुरक्षा के लिए बनाई गई दीवार पर लोगों ने कब्जा कर मकान निर्माण कर लिया है।
अतिक्रमण कर खोखली कर दी दीवार बनी हादसे की वजह दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि लोगों की अतिक्रमण की मानसिकता, प्रशासन और नगर पालिका की उदासीनता के साथ ही पूर्व में की गई कुछ लापरवाही हादसे के लिए जिमेदार है। आशियाने के लिए लोगों ने दीवार को खोखला किया। कुछ लोगों ने दीवार के ऊपर से तो कुछ ने सटाकर घर की नींव तैयार की।
पड़ताल में सामने आया कि ऐसे परिवारों की संख्या सैकड़ों में है। जिम्मेदारों ने इन्हें रोका नहीं, उल्टा जुगाड़ से पीएम आवास तक यहां स्वीकृत कर दिए। कुछ पीएम आवास की नींव तो दीवार को खोखला कर खड़ी की गई है।

चूंगर फाटक से रिछरा फाटक तक सुरक्षा दीवार को तोड़ कर सड़क निर्माण होना है।
राजगढ़ के पैलेस की सुरक्षा दीवार में दबकर गई थी 7 जानें राजगढ़ पैलेस का निर्माण करीब 1650 के आसपास महाराजा शुभकर्ण ने कराया था। वे बुंदेलखंड प्रांत के सूबेदार थे। राजगढ़ दरबार में ही बुंदेलखंड को लेकर फैसले लिए जाते थे। इसी पैलेस की सुरक्षा दीवार ढहने से 12 सिंतबर को 7 लोगों ने अपनी जान गंवादी थी।
पैलेस में रियासत काल के बाद (आजादी के बाद) तहसील जिला न्यायालय और संग्रहालय के साथ ही नजूल दफ्तर संचालित हुआ करते थे। 1980 में न्यायालय और अन्य सभी दफ्तर सिविल लाइन रोड स्थित नवीन कचहरी में शिफ्ट हो गए, लेकिन संग्रहालय 2022 तक इसी महल के एक हिस्से में संचालित होता रहा। इसके बाद संग्रहालय को टाउन हॉल में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद महिला आवारा तत्वों का अड्डा बन गया।
40 से अधिक मकानों पर लटके सरकारी ताले हादसे के बाद प्रशासन ने सुरक्षा दीवार के ऊपरी और निचले हिस्से में बसे करीब 40 परिवारों से मकान खाली करवाए और उनमें ताले जड़ दिए। इन परिवारों को अस्थाई रूप से मैरिज गार्डन में शिफ्ट किया। अभी इनके खाने-पीने का इंतजाम समाजसेवी संस्थाएं कर देती हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है सुरक्षा दीवार और महल के नजदीकी क्षेत्र का जमीनी सर्वे करवाया जा रहा है। दो-तीन दिन में सर्वे पूरा होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा दीवार से सटकर बने मकानों पर नगर निगम ने नोटिस चश्पा कर उन पर ताला लगा दिया है।
जर्जर मठ के कारण लोगों की नींद हराम रहवासी कालीचरण प्रजापति कहते हैं, हमेशा डर बना रहता है कि कहीं मठ गिर न जाए। दीवार इतनी जर्जर हो चुकी है कि मिट्टी गिरती रहती है। मेरे छत पर भी मठ का मलब गिरता है। जब से सुरक्षा दीवार के गिरने से 7 लोगों की जान गई है, तब से मठ की हालत देखकर रातों की नींद हराम हो गई है। रात में उठ-उठकर दीवार को निहारते रहते हैं।
सुरक्षा दीवार के बीच में पुराने वेयर हाउस के पास स्थित यह मठ जर्जर हालत में है। दीवार भी कई जगह से धंसक रही है। रहवासियों ने कलेक्टर को मठ को ढहाने के लिए करीब एक महीने पहले आवेदन दिया था। 18 सितंबर को पुराने वेयर हाउस की बाहरी दीवार गिर गई थी। मलबे में बाइक और ट्रैक्टर दब गए थे।

नगर पालिका ने नोटिस चस्पा किया, पुलिस दे रही पहरा सुरक्षा दीवार के नीचे बने मकानों को खाली करवारकर प्रशासन ने अघोषित रूप से अपने कब्जे में ले लिया है। निगम ने यहां नोटिस चस्पा कर रखा है, जिन मकानों को खाली करवाया गया है, उनमें से अधिकतर मोंगिया और यादव समाज के हैं। मकानों को खाली करवाने के पीछे कारण बताया गया कि ये सभी मकान सुरक्षा दीवार से सटकर खड़े हैं। कोई अप्रिय घटना घटित न हो, इसलिए यह करवाया गया है। खाली मकानों की पहरेदारी पुलिसकर्मी कर रहे हैं। इन घरों में मकान मालिक तक प्रवेश नहीं कर सकता है।

घरों में लोग वापस नहीं लौटे, इसे देखने के लिए पुलिस को तैनात किया गया है।
कलेक्टर बोले- सुरक्षा दीवार को खोखला किया
दो बार तेज बारिश का दौरा आया। 10 तारीख को शाम से लेकर 12 तारीख तक। इसके बाद 16 और 17 तारीख को भी अच्छा पानी गिरा। 200 से 250 साल पुराने सुरक्षा दीवार (रर) वाले क्षेत्र में लोगों ने नीचे से मिट्टी निकालकर उसे पोली कर दिया है। उस दिन राजगढ़ पैलेस की सुरक्षा दीवार भी इसी कारण गिरी थी, जिसमें दबने से 7 लोगों की जान चली गई थी। यह दतिया के लिए बहुत बड़ा हादसा था। बारिश से बांध टूट गया।
हाईअलर्ट के दौरान हमने पाया कि पीतांबरा पीठ के सामने यादव और मोंगिया परिवार निवास करते हैं। वे सभी दतिया पैलेस की दीवार से सटकर रह रहे हैं। वह दीवार से भी मिट्टी और पत्थर धंसक रहे हैं।
हमने बगैर समय गंवाए 30 से 40 परिवार को वहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया। एनजीओ और समाजसेवी संस्थाएं उनके खाने-पीने की व्यवस्था कर रही है। हमने सर्वे टीम बनाई है, जो यह जांच रही है कि मकानों की हालत कैसी है। सुरक्षा दीवार को दुरुस्त करने के लिए डिप्टी डायरेक्टर पुरातत्व को चिट्ठी लिखी है। नगर निगम की टीम भी लगी है। एक पांच मंजिला बिल्डिंग, जो झुक रही है, उसे गिराया। दो गेट को जमींदोज किया गया है। पूरी सुरक्षा दीवार के किनारे करीब 2 हजार परिवार निवास करते हैं। इन्हें तोड़ना इन ह्यूमन लगता है, लेकिन ये दीवार गिरे और उसमें जान माल की हानि हो यह भी सही नहीं है। इसलिए हम सुरक्षा की दृष्टि से यह सब कर रहे हैं।

सुरक्षा दीवार गिरने से गई थी 7 जानें 12 सितंबर की सुबह दतिया शहर के वार्ड क्रमांक – 26 में राजगढ़ किले से सटकर बनी सुरक्षा दीवार (रर) ढहने से निरंजन वंशकार (55), पत्नी ममता (49), बेटी राधा (23), बेटा शिवम (21) और सूरज (19) की मौत हो गई थी। इसके अलावा निरंजन के बहनोई किशन पिता पन्ना लाल (48) निवासी ग्वालियर और पत्नी प्रभा वंशकार (46) की भी जान चली गई थी। निरंजन का जीजा मुन्ना पिता खित्ते वंशकार और उसका बेटा आकाश (22) मलबे में दबकर घायल हो गए थे।
ड्रोन वीडियो– आशीष साहू/फिरोज खान
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दतिया में 35 फीट ऊंची दीवार बनी 7 लोगों की मौत की वजह, खोखली हो गई थी

दतिया में राजगढ़ किले की सुरक्षा के लिए बनाई गई 400 साल पुरानी दीवार का एक हिस्सा मंगलवार सुबह करीब साढ़े 3 बजे ढह गया। जिसमें 9 लोग मलबे में दब गए। दो लोगों को तत्काल बाहर निकाल लिया गया। वहीं, 7 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद 7 शवों को निकाला गया। मृतकों में एक ही परिवार के 5 सदस्य शामिल हैं। बाकी दो लोग परिवार के मुखिया के बहन और बहनोई हैं। पूरी खबर…
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