जब खाने के लिए Zomato के सीईओ को लगानी पड़ी थी लंबी लाइन, तभी आया ख्याल और खड़ी की 1 लाख करोड़ की कंपनी

नई दिल्ली. Zomato से तो आप परिचित होंगे ही…हां वही जोमैटो ऐप.. जहां से आप घर बैठे खाना मंगवाते हैं. आज के समय ज्यादातर लोग इसी फूड डिलिवरी ऐप पर निर्भर हो रहे हैं. एक मामूली सी कंपनी आज 1 लाख करोड़ की वैल्यू वाली कंपनी में तब्दील हो गई है. आप जानते हैं इसके पीछे सिर्फ एक वजह है वह है- आइडिया! जी हां, एक शानदार आइडिया, जिसने 10 पहले ही लोगों की इस जरूरत को परख लिया था. आपको बता दें कि इस शानदार आइडिया के पीछे दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा का हाथ है. आइए जानते हैं जोमैटो की सफलता की कहानी…
आज जोमैटो आईपीओ की बाजार में लिस्टिंग
फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के शेयर (Zomato IPO) आज BSE पर 115 रुपए पर शेयर हुए हैं. यह इश्यू प्राइस से 51.32 फीसदी यानी 39 रुपए ज्यादा है.जबकि NSE पर जोमैटो के शेयरों की लिस्टिंग 116 रुपए पर हुई है. लिस्टिंग के बाद जोमैटो के शेयरों में लगातार तेजी बनी हुई है. सुबह 10.07 बजे कंपनी के शेयर NSE पर 138.50 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे. कंपनी के शेयरों काम मार्केट कैप 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है. मार्केट कैप के लिहाज से यह भारत की 45वीं नंबर की कंपनी बन चुकी है.
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कैसे शुरू हुई थी जोमैटो
बता दें कि जोमैटो एक फूड एग्रीगेटर ऐप है जिस पर आपके आस-पास के कई होटल्स या ढाबे के मेन्यू कार्ड होते हैं. इन मेन्यू कार्ड से आप अपने मुताबिक ऑर्डर कर सीधे अपने पते पर मंगवा सकते हैं. इससे आपका बहुत समय बचेगा क्योंकि ऐसा न होने की परिस्थिति में आपको खुद बाहर निकलना पड़ता. आज इस ऐप के करोड़ों एक्टिव यूजर्स हैं. जोमैटो को शूरू करने का सबस पहले आइडिया दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा को साल 2008 में आया था. उस वक्त उन्होंने एक रेस्तरां और फूड लिस्टिंग वेबसाइट के रूप में कंपनी की शुरुआत की थी, जिसे ‘फूडीबे’ कहा जाता है. IIT-दिल्ली के रहने वाले, दोनों संस्थापक की मुलाकात तब हुई जब वे बैन कंसल्टिंग नामक एक फर्म में काम कर रहे थे.
कैसे आया जोमैटो का ख्याल
जोमैटो के फाउंडक दीपिंदर गोयल (Zomato’s CEO Deepinder Goyal ) अपने शुरुआती दिनों में पढ़ाई में अच्छे नहीं थे.यही कारण है कि वे छठी और ग्यारहवीं क्लास में दो बार फेल भी हो चुके थे. हालांकि बाद में उन्होंने गंभीरता से पढ़ाई की और वह पहली बार में ही IIT एग्जाम क्रैक कर IIT दिल्ली से अपना इंजीनियरिंग पूरा किया. यहां से पढ़ाई पूरी होने के बाद दीपिंदर ने 2006 में मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी बेन एंड कंपनी में नौकरी शुरू की. नौकरी के दौरान अपने सहकर्मियों को उन्होंने लंच के दौरान कैफेटेरिया के मेन्यू कार्ड के लिए लंबी लाइनों में लगते देखा. इससे उनके मन में एक विचार आया और उन्होंने मेन्यू कार्ड स्कैन कर साइट पर डाल दिया जो बहुत लोकप्रिय हुआ. तब उन्होंने अपने कुलीग पंकज चड्ढा से इस पर बात की.
कंपनी को मिलने लगी फंडिंग
एक समय जोमैटो केवल अपनी वेबसाइट पर विज्ञापनों के माध्यम से अपना राजस्व कमा रहा था. नवंबर 2013 तक सिकोइया कैपिटल इंडिया ने कंपनी के लिए 37 मिलियन डॉलर के फंडिंग राउंड का नेतृत्व किया था. उस समय दोनों निवेशकों, सिकोइया और मौजूदा निवेशक इंफो एज ने जोमैटो को देखते हुए केवल $150 मिलियन का मूल्यांकन देखा. ज़ोमैटो और उसके संस्थापकों की कहानी एक ऐसे दलित व्यक्ति की है, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि यह सबसे आगे चलने वाला बन जाएगा. हालांकि, गोयल सुर्खियों के बहुत शौकीन नहीं हैं.
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Tags: Business news in hindi, Food business, IPO, Success Story, Successful business leaders, Zomato
FIRST PUBLISHED : July 23, 2021, 13:26 IST
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