मध्यप्रदेश

Project Cheetah completes two years | चीता परियोजना को दो साल पूरे: पीएम ने जन्मदिन पर की थी शुरुआत; जानिए दो सालों में क्या-क्या बदला – Sheopur News

श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में चीता परियोजना को शुरू हुए आज दो साल पूरे हो गए हैं। इन दो सालों में कूनो में बहुत कुछ बदला, कई उतार-चढ़ाव और मुश्किल के दौर भी आए। फिर भी कूनो प्रबंधन के अधिकारी इस प्रोजेक्ट को सफल बता रहे हैं। कूनो में शावकों के

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आज से ठीक 2 साल पहले 17 सितंबर 2022 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क के बाड़े में रिलीज किया था। इनमें पांच फीमेल और तीन मेल चीते शामिल थे। वहीं फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को लाया गया था।

इस तरह कुल 20 चीतों को कूनो में रिलीज किया गया। डिहाइड्रेशन, आपसी जंग सहित अलग-अलग कारणों की वजह से अब तक 8 चीतों और 5 शावकों की मौत हो चुकी है। वर्तमान में वयस्क चीतों की संख्या 20 घटकर 12 रह गई है।

पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को रिलीज किया था।

70 साल के इंतजार के बाद भारत आए चीते

70 साल के इंतजार के बाद चीतों ने देश की सरजमीं पर पहला कदम रखा। प्रधानमंत्री ने कूनो नेशनल पार्क में बॉक्स खोलकर 2 चीतों को क्वारंटीन बाड़े में छोड़ा। रिकॉर्डेड भाषण में PM मोदी ने चीते भेजने के लिए नामीबिया का आभार माना था।

इस दौरान पीएम मोदी ने चीता मित्रों से कहा था कि कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आइए जानते हैं परियोजना के दो साल पूरे होने के बाद से अब तक क्या बदलाव हुआ।

अलग-अलग कारणों से अब तक 8 चीतों की मौत

कूनो में रिलीज करने के बाद डिहाइड्रेशन और आपसी जंग सहित अलग-अलग कारणों से अब तक 8 चीतों की मौत हो चुकी है।​​​​ ​​​कूनो में एक के बाद एक हो रही चीतों की मौत से इस प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा। लेकिन, जैसे ही मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया, वैसे ही मायूसी खुशी में बदल गई। हालांकि, 4 में से 3 शावकों की मौत तेज गर्मी और लू की वजह से हो गई।

वर्तमान में 24 चीते मौजूद

इसके बाद ज्वाला चीता फिर से मां बनी। गामिनी और आशा ने भी थोड़े-थोड़े समय के अंतराल में कुल 17 शावकों को जन्म दिया। इससे चीतों का कुनबा बढ़ गया। इस प्रकार कूनो में 20 चीते और 17 शावकों को मिलाकर कुल संख्या 37 हो जाती।

लेकिन, अब तक 8 चीतों और 5 शावकों सहित कुल 13 चीतों की मौत से वर्तमान में 12 चीते और 12 शावकों को मिलाकर सिर्फ 24 चीते मौजूद है। अच्छी बात यह हैं कि इनमें से 17 शावकों ने कूनो नेशनल पार्क की जमीन पर जन्म लिया है।

कड़ी निगरानी के बीच हो रही देखभाल

कूनो नेशनल पार्क में मौजूद सभी 24 चीते और शावक वन कर्मियों, डॉग स्क्वाड टीम, सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे की कड़ी सुरक्षा में बड़े बाड़े में रह रहे हैं। खुले जंगल में फिलहाल एक भी चीता मौजूद नहीं है। वर्षा ऋतु में कूनो के गेट पर्यटकों के लिए बंद हैं। परियोजना के तहत 150 से ज्यादा चीता मित्र नेशनल पार्क में सेवाएं दे रहे है।

दो साल में बढ़ी पर्यटकों की संख्या

कूनो नेशनल पार्क में चीता परियोजना शुरू होने के बाद से पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले 5 साल के आंकड़ों की बात करें तो साल 2019 में 804, 2020 में 903, 2021 में 1211, 2022 में 1459, 2023 में 3172 पर्यटकों ने नेशनल पार्क के दीदार किए। इन पर्यटकों में 28 विदेशी और 3144 भारतीय पर्यटक शामिल है।

दिसंबर माह में कूनों फॉरेस्ट फेस्टिवल का आयोजन किया गया। जिसके लिए कूनो नेशनल पार्क के बाहर सेसईपुरा कस्बे के पास 50 कमरों वाली टेंट सिटी तैयार की गई। इस टेंट सिटी में 50 अत्याधुनिक कमरे तैयार किए गए, जिसमें लेकर रहने और खाने-पीने के अलावा मनोरंजन के पर्याप्त इंतजाम थे।

दिसंबर माह में कूनों फॉरेस्ट फेस्टिवल का आयोजन किया गया था।

दिसंबर माह में कूनों फॉरेस्ट फेस्टिवल का आयोजन किया गया था।

स्थानीय लोगों को नहीं मिला रोजगार

कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद श्योपुर का नाम विश्व पटल पर पहुंच गया है। यहां टेंट सिटी और जंगल सफारी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पिछले साल सर्दी के मौसम में शुरू हुई टेंट सिटी में सैकड़ों पर्यटक पहुंचे थे।

लेकिन इससे अब तक स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो सका है। क्योंकि, अभी तक पर्यटकों को कूनो में चीतों का दीदार नहीं हो पाता है। वजह यह हैं कि चीते बाड़े में बंद हैं और उनके आसपास भटकने की किसी को भी परमिशन नहीं है।

चीता प्रोजेक्ट की वजह से जमीनों के दम जरूर बढ़ गए हैं। इस प्रोजेक्ट से पहले क्षेत्र की जमीन 50 हजार रुपए बीघा में बिकती थी। वहीं अब इसके दाम 50 लाख तक पहुंच गए है। नेशनल पार्क के आस पास कई नए होटल भी बने है।

गांधी सागर और नौरादेही हो सकता हैं चीतों का नया घर

कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए जगह कम पड़ने और चीतों के बार-बार रिहायशी इलाकों में जाने के बढ़ने पर कोर्ट ने दखल देकर चीतों के लिए दूसरे घर की तलाश करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सरकार ने वन विभाग और चीता एक्सपर्ट टीम गठित कर राजस्थान के नौरादेही और मध्यप्रदेश के गांधी सागर राष्ट्रीय अभयारण्य का निरीक्षण किया। इस दौरान दोनों ही स्थानाें को अधिकारियों ने चीतों के लिए उपयुक्त बताया था।

भारत में चीतों को दोबारा बसाने के लिए पांच साल के लिए दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और अन्य अफ्रीकी देशों से हर साल करीब 12 से 14 चीतों को लाने की योजना बनाई है। लेकिन, कूनो में जगह की कमी पड़ने पर नौरादेही और गांधी सागर में से किसी एक राष्ट्रीय अभयारण्य को चीतों के दूसरे घर के रूप में चुना जा सकता है।

चीता मदर ने अदा की केयर टेकर की भूमिका

सीसीएफ उत्तम शर्मा ने बताया कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री का जन्मदिन है। इसके साथ ही कूनो में चीता प्रोजेक्ट को दो साल पूरे हो जाएंगे। इस प्रोजेक्ट के दौरान दो साल में कई यादगार लम्हे बने।

इसमें तीन मदर चीताओं की कहानियां हैं, कि किस तरह से भारत के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से शिफ्टिंग के बाद खुद कों यहां के परिवेश में ढाला। तेज गर्मी, लू के बाद तेज बारिश और सर्दी के सीजन में खुद को और अपने शावकों को पालना एक बड़ी चुनौती थी।

कूनो में नन्हें मेहमानों के जन्म से लेकर उनके बड़े होने में उनकी चीता मदर ने केयर टेकर की भूमिका अदा की। कूनो प्रबंधन ने भी उनकी देखरेख में कोई कमी नहीं छोड़ी। अब इस प्रोजेक्ट को सफल दो साल हो गए हैं, जो कूनो ही नहीं बल्कि, देख के लिए बेहद खुशी की बात है।

वन मंत्री रावत रिलीज करेंगे वेब सीरीज ‘भाई-बहन’ का ट्रेलर

कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ आर थिरुकुराल ने बताया कि 17 सितंबर को आयोजित चीता प्रोजेक्ट के दो साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में मध्य प्रदेश सरकार के वन मंत्री रामनिवास रावत शामिल होंगे। इस अवसर पर वे चीता प्रोजेक्ट की जर्नी की वार्षिक रिपोर्ट जारी करेंगे।

वहीं यहां बनकर तैयार हुए वाइल्ड लाइफ हॉस्पिटल का उद्घाटन भी करने के साथ ही चीता प्रोजेक्ट पर बनकर तैयार हुई वेबसीरीज ‘भाई-बहन’ का ट्रेलर भी रिलीज करेंगे।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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