अजब गजब

नारायण मूर्ति से ज्यादा अमीर इन्फोसिस के ये संस्थापक, खबरों की नजरों से दूर, क्या करते हैं आजकल?

नई दिल्ली. नारायण मूर्ति कौन है यह आपको हर दूसरा आदमी बता सकता है. नारायण मूर्ति इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं और बेंगलुरु की सबसे रईस शख्सियतों में से एक हैं. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट के अनुसार, नारायण मूर्ति और उनकी पत्नी सुधा मूर्ति बेंगलुरु के सबसे अमीर परिवारों की सूची में पांचवें स्थान पर हैं. नारायण मूर्ति की नेटवर्थ 36,600 करोड़ रुपये है. लेकिन क्या आपने कभी एस. गोपालकृष्णन का नाम सुना है? संभव है कि कुछ लोगों ने सुना भी हो लेकिन अधिकांश लोग इनके नाम से अनजान ही होंगे.

सेनापति गोपालकृष्णन देश की अग्रणी आईटी कंपनी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं. वह खबरों से काफी दूर रहते हैं इसलिए उनके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है. हुरुन इंडिया रिच लिस्ट के अनुसार, वह अमीरी के मामले में नारायण मूर्ति से भी आगे निकल गए हैं. उनकी नेटवर्थ 38,500 करोड़ रुपये आंकी गई है. उन्होंने इन्फोसिस के सीईओ और एमडी के रूप में 2007 से 2011 तक अपनी सेवाएं दी. वह 2011 से 2014 कर इन्फोसिस के वाइस चेयरमैन रहे थे.

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पद्म भूषण से सम्मानित
आईआईटी मद्रास से फिजिक्स एंड कम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री लेने वाले गोपालकृष्णन को 2011 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. 69 वर्षीय गोपालकृष्णन फिलहाल एक्सिलर वेंचर्स के चेयरमैन हैं. यह कंपनी स्टार्टअप्स को फंड करती हैं. गुडहोम, कागज और एनकैश में इसका निवेश है. एस गोपालकृष्णन ने अपनी पत्नी सुधा गोपालकृष्णन के साथ मिलकर प्रतीक्षा ट्रस्ट की स्थापना की थी जो ब्रेन रिसर्च पर काम करने वाली एक चैरिटी संस्था है.

और भी कई पद
वह आईआईटी मद्रा के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी शामिल हैं. इसके अलावा वह IIIT बेंगलुरु के चेयरमैन हैं. गोपालकृष्णन चेन्नई मैथमेटिकल इंस्टीट्यूट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में शामिल हैं. वह आईआईएम बेंगलुरु के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी शुमार हैं.

आपको बता दें कि इन्फोसिस की स्थापना पुणे में एक कमरे से हुई थी. कंपनी के 7 सह-संस्थापक हैं. आज इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है. करीब 250 डॉलर के निवेश से शुरू हुई कंपनी की वैल्यू आज 80 अरब डॉलर से अधिक है.

Tags: Business news, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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