Jabalpur High Court:बैंक खाते की जानकारी जमा करवाएं हाई कोर्ट में, फ्लाई ओवर मामले में युगलपीठ के निर्देश – Jabalpur High Court Instructions For Depositing Bank Account Information In High Court In Flyover Case

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
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जबलपुर हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएस झा, उनके अधिवक्ता पुत्र केएस झा, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीष पीपी नावलेकर और पूर्व महाधिक्ता ए अग्रवाल सहित दायर आधा दर्जन याचिकाओं में फ्लाई ओवर के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण किए जाने को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है, नगर निगम की ओर से शहर के अंदर फ्लाई ओवर का निर्माण किया जा रहा है। पंडित लज्जा शंकर मार्ग में फ्लाई ओवर जहां उतारा जा रहा है, उस मार्ग की चौड़ाई 80 फीट से अधिक निर्धारित की गई है, जो मास्टर प्लान से अधिक है। इसके लिए लोगों की व्यक्तिगत भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके अलावा दमोह नाका से मदन महल मार्ग में भी लोगों की भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है। याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
पूर्व में हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए आपसी समझौते के लिए आर्बिटेटर नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे। आर्बिटेटर की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि भवन के लिए शत-प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए। लीज की जमीन का 80 और फ्री होल्ड जमीन का शत-प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए। सरकार ने आर्बिटेटर की रिपोर्ट पर आपत्ति व्यक्त करते हुए तर्क दिए थे कि सड़क का निर्धारण राजस्व अभिलेख के अनुसार किया गया है।
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि सीमांकन प्रक्रिया प्रारंभ कर उसकी वीडियो ग्राफी करवाएं। इसके साथ ही सरकार सुरक्षा निधि के रूप में दस करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करे। युगलपीठ मुआवजे का निर्धारित याचिका के अंतिम आदेश के अधीन रखते हुए सरकार की ओर से निर्धारित अंतरिम मुआवजा प्रदान करने के आदेश भी जारी किए थे।
पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि अंतरिम मुआवजा दिए बिना भवनों को तोड़ रहे हैं, जिस पर युगलपीठ ने सरकार से जवाब मांगा था। पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया था कि अंतरिम मुआवजे की राशि संबंधित व्यक्तियों के बैंक खाते में जमा करवा दी जाएगी। याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान बताया कि बैंक खातों में राशि जमा नहीं करवाई गई है, जिस पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए आदेश जारी किए। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी और अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।