मध्यप्रदेश

Did the dengue variant also change like corona? | क्या कोरोना की तरह डेंगू का वेरिएंट भी बदला?: पहली बार बुखार के साथ खांसी-निमोनिया के लक्षण, एमपी में 2150 केस, 4 मौतें – Madhya Pradesh News

‘मेरे बेटे को दो दिन से बुखार आ रहा था। उसे हम सीहोर के सिविल अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने उसे ड्रिप चढ़ाई। जब ज्यादा तबीयत बिगड़ी तो हम उसे भोपाल के जेके अस्पताल ले गए। वहां बताया कि उसे डेंगू है। दूसरे दिन उसकी मौत हो गई।’ .

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सीहोर के खात्याखेड़ी गांव के लखन लाल धनवारे के 35 साल के जवान बेटे की डेंगू की वजह से 1 सितंबर को मौत हो गई। राजधानी भोपाल में अब तक डेंगू से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। इंदौर, नर्मदापुरम और दूसरे शहरों से भी मौतों की खबर आ रही है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में ये अपडेट नहीं है।

सितंबर के शुरुआती हफ्ते में ही पूरे प्रदेश में मामलों की संख्या बढ़कर 2150 हो चुकी है। जबकि जुलाई और अगस्त के महीने में पेशेंट्स की संख्या में मामूली बढ़ोतरी थी। डॉक्टरों का कहना है कि सितंबर के महीने में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। इस रिपोर्ट में पढ़िए डेंगू बढ़ने की क्या वजह है और इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरतने की जरूरत है।

चार बड़े शहरों के हालात से समझें कैसे पैर पसार रहा डेंगू

भोपाल: 188 मामले, एक की मौत

राजधानी भोपाल में डेंगू की मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। अगस्त के महीने में मरीजों की संख्या 62 थीं। अब ये बढ़कर 188 हो गई है यानी सितंबर के पहले हफ्ते में ही मरीजों की संख्या दोगुनी हो चुकी है।

पिछले साल भी अगस्त और सितंबर के महीने में डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ था। तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने केवल एक मौत को माना है। बाकी दो मरीजों की डेंगू से मौत हुई है या नहीं इसकी जांच की जा रही है।

सूरज नगर और सेवनिया गौड़ में 2 हफ्ते में 15 मरीज

राजधानी के हर एरिया में डेंगू पैर पसार रहा है लेकिन सूरज नगर और सेनवियां गौड़ में पिछले दो हफ्ते में 15 मरीज सामने आए है। जब भास्कर की टीम यहां पहुंची तो लोगों की नगर निगम की सफाई व्यवस्था को लेकर नाराजगी सामने आई।

यहां रहने वाले जीएस बड़गईयां की बहू की इलाज के दौरान मौत हो गई। बड़गईयां ने बताया कि उनकी बहू को डेंगू डिटेक्ट हुआ था। उसका इलाज चल रहा था अचानक उसे हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि सूरज नगर में ही डेंगू से पीड़ित एक युवती और एक बुजुर्ग महिला की मौत हो चुकी है।

बड़गईयां बोले- नगर निगम की तरफ न तो सफाई हो रही है न ही फॉगिंग और दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है। लोगों का ये भी आरोप था कि उनका वार्ड 26 है यहां की पार्षद कभी सफाई व्यवस्था को देखने तक नहीं पहुंची।

भास्कर ने देखा चारों तरफ गंदगी, कोई सफाई नहीं

स्थानीय लोगों की शिकायत और आरोपों के बाद भास्कर की टीम ने भी इस वार्ड का जायजा लिया तो चारों तरफ गंदगी नजर आई। यहीं के रहने वाले रामबाबू गौड़ ने बताया कि मैं यहां पास की राधास्वामी सत्संग गली में रहता हूं लेकिन यहां कोई झाडू तक लगाने नही आता है और न ही सफाई करने आता है।

हमारे एरिया में अब डेंगू का बहुत ज्यादा डर है। उन्होंने बताया कि नाली में घुटनों तक कचरे का ढेर लग जाता है लेकिन सफाई के लिए कोई नही आता। हमें खुद सफाई करनी पड़ती है। जिस वजह से बच्चे बीमार पड़ जाते है। पार्षद के पास जाते है तो वे कहती हैं- हम सफाई करने के लिए थोड़े न है।

प्रहलाद सिंह ने कहा कि सीवेज लाइन अगर ओवर हो जाती है तो 8-8 दिन ठीक नही होती है। पूरा पानी सड़क पर पर भरा रहता है। लोग उसी में से निकल रहे है। यहां हर घर में बीमार पड़े है। जिस घर में जाएंगे वहां 2-4 लोगों की तबीयत खराब मिल जाएंगी।

कंचन गौड़ बताती हैं कि सफाई करने के लिए कर्मचारी आते भी है तो नाली का कचरा निकालकर वहीं पर रख देते हैं। घर से बाहर निकलकर थोड़ी देर खड़े रहो तो मच्छर ही मच्छर है।

सूरज नगर में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। लोगों का आरोप है कि यहां सफाई करने नगर निगम के कर्मचारी नहीं आते।

सूरज नगर में चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। लोगों का आरोप है कि यहां सफाई करने नगर निगम के कर्मचारी नहीं आते।

इंदौर: अब तक 314 मामले, 1 की मौत

एमपी की आर्थिक राजधानी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में भी डेंगू के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। इंदौर में 24 घंटे के भीतर 16 नए डेंगू के मरीज मिले, इनमें तीन महिलाएं हैं। सिविल सर्जन जीएल सोढ़ी के मुताबिक इस साल जनवरी से 4 सितंबर के बीच डेगूं के कुल 314 मामले सामने आए हैं। इनमें 190 पुरुष और 124 महिलाएं हैं।

जिले की बात करें तो 24 एक्टिव केस हैं। इंदौर में डेंगू से 16 साल के एक किशोर की मौत भी हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अंसार बाग पालदा निवासी किशोर को बुखार आया था। परिजन ओपीडी में उसका इलाज करवाते रहे। 19 अगस्त को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी तो उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां कुछ देर बाद उसने दम तोड़ दिया।

ग्वालियर: सितंबर के पहले हफ्ते में ही 46 नए केस

ग्वालियर में भी सितंबर माह के शुरुआत में ही डेंगू ने रफ्तार पकड़ ली है। सितम्बर माह के दूसरे ही दिन जिले में डेंगू के 29 मरीज मिले थे। वहीं 4 सितंबर को 17 नए मरीज सामने आए हैं। इनमें से 10 मरीज ग्वालियर शहर के हैं। ग्वालियर के मरीजों में से 6 साल के 3 बच्चे भी शामिल हैं।

शहर में डेंगू हर साल सितंबर माह से ही विकराल रूप धारण करता है। पिछले साल भी सितंबर में डेंगू के 230 मरीज मिले थे और एक मरीज की मौत हो गई थी।डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए जीआर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आरके एस धाकड़ ने अस्पताल सुप्रिटेंडेंट और मेडिसिन विभाग को तैयारियां रखने के निर्देश दिए हैं।

ग्वालियर में 2 सितंबर को मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए संभागीय समीक्षा बैठक हुई।

ग्वालियर में 2 सितंबर को मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए संभागीय समीक्षा बैठक हुई।

जबलपुर : सितंबर के दो दिन में 11 नए मरीज सामने आए

जबलपुर में मच्छरों का आक्रमण बढ़ने के साथ डेंगू पैर पसारने लगा है। यहां सितम्बर के शुरुआती दो दिन में डेंगू के 11 नए मरीजों की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग ने की। इसे मिलाकर जिले में अभी तक 135 लोग डेंगू संक्रमित हो चुके हैं। इसमें लगभग 90 डेंगू पीड़ित बीते एक महीने में मिले है। पिछले महीने डेंगू से दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। दोनों जबलपुर के ही रहने वाले थे।

इस समय लगभग सभी निजी अस्पतालों में डेंगू के संदिग्ध मरीज भर्ती हैं। अस्पतालों में बुखार से पीड़ित लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। डेंगू को कंट्रोल करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने लार्वा सर्चिंग अभियान चलाया हुआ है। घर घर जाकर जांच की जा रही है।

जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लार्वा की जांच कर रही है।

जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लार्वा की जांच कर रही है।

अब डेंगू के बारे में जानिए

डेंगू क्या है: यह एक वायरल बीमारी है जो एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) और एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) मच्छर के काटने से फैलती है। ये मच्छर दिन के समय काटते हैं। साफ पानी पनपते हैं।

डेंगू वायरस के कितने प्रकार: इसके चार प्रकार है। जिसे सीरोटाइप्स (DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4) कहा जाता है। इसका मतलब है कि एक व्यक्ति अलग अलग सीरोटाइप्स की वजह से चार बार संक्रमित हो सकता है।

डेंगू कैसे फैलता है: पहले से डेंगू वायरस से संक्रमित व्यक्ति को मच्छर काटता है। उसके बाद, यह मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। डेंगू केवल मच्छर से ही फैलता है। यह व्यक्ति से व्यक्ति में सीधे नहीं फैलता।

एक्सपर्ट से समझें इस बार डेंगू पिछले साल की तुलना में कितना अलग, कैसे करें बचाव

भास्कर ने एक्सपर्ट से बात कर समझा कि डेंगू के मामले बढ़ क्यों रहे हैं? साथ ही उनसे ये भी जाना कि आखिर इस साल डेंगू के लक्षण पिछले साल की तुलना में अलग है या समान है। इससे बचाव का क्या तरीका है।

इस बार डेंगू के वायरस का नया वैरिएंट: डॉ योगेंद्र

जेपी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉ. योगेंद्र कहते हैं कि जब डेंगू का वायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो यह सबसे पहले खून में फैलता है। इसके बाद, यह शरीर के इम्यून सिस्टम को चैलेंज करता है। जैसे ही वायरस शरीर में पहुंचता है व्हाइट ब्लड सेल्स यानी डब्लूबीसी एक्टिव होती हैं।

ये वायरस डब्लूबीसी को संक्रमित करने का काम करता है, जिससे डेंगू में लगातार बुखार आता है। इस बार डेंगू के मरीजों को 10 दिन तक तेज बुखार बना हुआ है। ये पहली बार देख रहे हैं कि डेंगू के मरीजों को खांसी आ रही है। इससे पहले कभी डेंगू के मरीजों में खांसी के लक्षण नहीं देखे गए थे।

प्लेटलेट्स में सुधार आने में वक्त लग रहा है: डॉ. गोपाल बाटनी

अपोलो सेज अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गोपाल बाटनी कहते हैं कि डेंगू के संक्रमण के दौरान, शरीर में प्लेटलेट्स (रक्त का थक्का बनाने वाली कोशिका) की संख्या तेजी से गिरती है। यह गिरावट खतरनाक हो सकती है, क्योंकि इससे आंतरिक रक्तस्राव और अंगों में विफलता का खतरा बढ़ जाता है।

वे बताते हैं कि इस बार डेंगू के साथ खांसी के नए सिंप्टम्स देखने को मिल रहे हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन बढ़ रहा है। प्लेटलेट्स में सुधार आने में ज्यादा वक्त लग रहा है। कई पेशेंट ऐसे भी हैं, जिनकी बीमारी बिल्कुल डेंगू जैसी है, लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। संभवत: वायरस ने रूप बदला है।

रुक-रुक कर हो रही बारिश से केस ज्यादा बढ़े: डॉ रतन कुमार

गांधी मेडिल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. रतन कुमार कहते हैं कि हर 5 साल में देखने को मिलता है कि किसी विशेष स्थान पर डेंगू के केसेस ज्यादा निकलते है। इस साल रुक-रुक कर बारिश होने से मच्छरों का प्रजनन (रि-प्रोडक्शन) ज्यादा हो रहा है। जहां भी बारिश का पानी इकट्ठा होता है तो मच्छरों को रि प्रोडक्शन के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है।

सावधानी ही बचाव है: डॉ. जुनैद

जेपी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर जुनैद कहते हैं कि डेंगू का डायरेक्ट रिलेशन बारिश के पानी से होता है। इस साल जुलाई और अगस्त में पिछले सालों की तुलना में ज्यादा बारिश हुई है। इस वजह से इस साल डेंगू के मरीज ज्यादा आ रहे है। आर्टिफिशियल और छोटी-छोटी जगहों पर पानी भरे होने के चलते भी डेंगू के मरीजों में इजाफा देखने को मिला है।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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