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Opinion: सिंगापुर से मोदी सरकार की नई साझेदारी से भारत को कई क्षेत्रों में मिलेगा लाभ, रोजगार भी बढ़ेंगे

पीएम नरेंद्र मोदी भारतीय अर्थव्यस्था को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. अपने तीसरे कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनाने के लिए लगातार प्रतिबद्ध हैं. इसी कड़ी में पीएम नरेंद्र मोदी सिंगापुर के दौरे में हैं. इस दौरे के विभिन्न महत्वों में एक आर्थिक महत्व भी है.

पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सिंगापुर की यात्रा की थी और अब करीब छह साल बाद वह एक बार फिर से सिंगापुर की यात्रा पर हैं. सिंगापुर दुनिया भर में भारत का छठा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है. यह देश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का एक प्रमुख स्रोत है. पिछले साल ही यहां से 11.77 अरब अमर‍िकी डॉलर का एफडीआई आया था. ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंध और भी बड़े स्तर पर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. दोनों ही देश टेक्नोलॉजी, स्किल डेवलपमेंट और क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग के नए रास्ते तलाश रहे हैं.

दोनों देशों का पुराना संबंध
भारत और सिंगापुर के रिश्ते बहुत पुराने हैं. गुटनिरपेक्ष आंदोलन के समय से ही दोनों के बीच एक मजबूत संबंध है. अगस्त 1965 में सिंगापुर की आजादी के वक्त से ही दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती रही है. सिंगापुर बनने के महज 15 दिन बाद ही भारत ने इसके साथ औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे. ऐसा करने वाला भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में एक था और समय के साथ ये संबंध और मजबूत होते गए.

मजबूत आर्थिक संबंध
सिंगापुर आज भारत में आने वाले एफडीआई के सबसे बड़े सोर्स में से एक है, जिसमें फिनटेक, रियल एस्टेट और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में निवेश शामिल है. भारतीय स्टार्टअप और टेक फ़र्म की सिंगापुर में काफी मौजूदगी है. सिंगापुर का इनोवेटिव और टेक्नोलॉजी पर जोर भारत के एक टॉप डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्यों के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. इसके साथ ही भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर निर्माण का नया हब बनने का लक्ष्य रखा है. इस सपने को साकार करने में सिंगापुर का बड़ा रोल हो सकता है.

भरोसे का संबंध
बीजेपी के प्रवक्ता जयराम विप्लव का कहना है कि भारत और सिंगापुर के बीच भरोसा का संबंध है. जयराम विप्लव कहते हैं कि जरूरत के समय एक दूसरे देश ने अपनी ओर से पूरी मदद दी है . उनका कहना है कि 2021 में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान उसने ऑक्सीजन से लेकर मेडिकल सप्लाई तक भी बड़ी मदद की थी. वहीं भारत ने भी सिंगापुर को इस वायरस से बचाने वाला टीका दिया था.


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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