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‘काश चीजें उतनी ही सरल होतीं जितनी वह दिखती हैं’, फिर जस्टिस अमानुल्‍लाह ने लगा दिया ₹1.20 लाख का जुर्माना – supreme court fine rupees 120000 appellant justice ahsanuddin amanullah said big thing

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट यदि न्‍याय की अंतिम दहलीज है तो फालतू और बेमतलब की याचिका दाखिल करने वालों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई भी की जाती है. शीर्ष अदालत में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ इतनी नाराज हुई कि याचिकाकर्ता के खिलाफ ही बड़ा आदेश दे दिया. कोर्ट ने याची से कहा कि आपने समय की बर्बादी की है, ऐसे में आप पर जुर्माना लगाया जाता है. यह कहते हुए कोर्ट ने याच‍िकाकर्ता पर 120,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने एक अपील को कानूनी दुस्साहस करार देते हुए गुरुवार को अपीलकर्ता पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि इस मामले के कारण मद्रास हाईकोर्ट का कीमती न्यायिक समय बर्बाद हुआ. इससे लाखों लोगों की याचिका पर सुनवाई हो सकती थी और उनकी न्‍याय की मांग पर विचार किया जा सकता था. सुप्रीम कोर्ट लोन और उससे उपजे विवाद को लेकर मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बी. गोवर्धन द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के फैसले को खारिज करते हुए अपीलकर्ता गोवर्धन द्वारा मुकदमे को आगे बढ़ाने और न्यायिक समय बर्बाद करने की आलोचना की. पीठ के लिए निर्णय लिखने वाले जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, ‘काश चीजें उतनी ही सरल होतीं जितनी कि वे दिखती हैं. हालांकि, इस तरह के कानूनी दुस्साहस के कारण हाईकोर्ट का कीमती न्यायिक समय बर्बाद हुआ, जिसे लाखों लोगों द्वारा उठाए गए न्याय की गुहार के निर्धारण में बेहतर तरीके से खर्च किया जा सकता था. इसलिए हम अपीलकर्ता पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हैं.’ निर्णय में कहा गया है कि जुर्माना छह सप्ताह के भीतर उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा किया जाना चाहिए.

(इनपुट: भाषा)

Tags: National News, Supreme Court


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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