BJP’s eye on two Congress MLAs | दर्जा प्राप्त मंत्री के मंच पर विधायक का विरोध; ‘किताब’ बनी नेताजी की मुसीबत

भोपाल14 मिनट पहलेलेखक: विजय सिंह बघेल
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को अब बमुश्किल डेढ़ महीने का ही वक्त बचा है। ऐसे में सियासी दलों में टिकट के लिए जंग सी छिड़ गई है। दावेदारों में कोई अपनी ताकत दिखा रहा है, कोई अपने आकाओं के चक्कर लगा रहा है, तो कोई अपने ही दल के कॉम्पिटिटर को नीचा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। बुंदेलखंड के एक जिले में सत्ताधारी दल की कुछ ऐसी ही तस्वीर नजर आई।
यहां एक दर्जा प्राप्त मंत्री चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। उन्होंने हाल ही में एक कार्यक्रम कराया। जिसमें स्थानीय विधायक यानी अपने कॉम्पिटिटर को नहीं बुलाया। चलो नहीं बुलाया तो नहीं बुलाया, लेकिन इस प्रोग्राम के मंच पर विधायक के खिलाफ जमकर आग उगली गई। विधायक का नाम लिए बिना एक सरकारी कर्मचारी ने राशन घोटाला और विवाह सहायता राशि घोटाला समेत कई घोटालों का जिक्र कर दिया।
कहते है न कि समझदार को इशारा ही काफी है। विधायक के समर्थक पूरा माजरा समझ गए। इस वाकया के बाद विधायक के समर्थक दर्जा प्राप्त मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
‘किताब’ बनी विधायक की मुसीबत
सियासत में कब, कौन सी बात या मुद्दा किसी के लिए मुसीबत बन जाए, कोई नहीं जानता। ऐसी चीजें अचानक प्रकट हो जाती है। या फिर विरोधी इन्हें खोजकर ले आते हैं। विंध्य में सत्ताधारी दल के एक विधायक कुछ इसी तरह की मुसीबत का सामना कर रहे हैं।
विधायक की लिखी एक ‘किताब’ चुनावी मौसम में उनके लिए परेशानी खड़ी कर रही है। विरोधी इस किताब में लिखी बातों को लेकर नेता जी की घेराबंदी कर रहे है। किताब में ब्राह्मणों और भगवान राम को लेकर कई आपत्तिजनक बातें लिखी हैं।
हालांकि विधायक जी के करीबी तर्क दे रहे हैं कि यह किताब तो उन्होंने दूसरे दल में रहते हुए लिखी थी। अब पार्टी बदल ली है, तो उनकी विचारधारा बदल गई है।
नेता जी को ‘घर वापसी’ की उम्मीद
विंध्य क्षेत्र के सत्ताधारी दल के एक कद्दावर नेता के इन दिनों अच्छे दिन चल रहे हैं। हाल ही उन्हें रुतबे वाला पद मिला है। अब उन्हें ‘घर वापसी’ की उम्मीद बंधी है। चौथी बार के विधायक ये नेता जी अपने गृह क्षेत्र से चुनाव लड़ने के मूड में है। वहां के स्थानीय कार्यकर्ता इसकी डिमांड भी कर रहे हैं।
शहर की सीट पर रिकॉर्ड वोटों से जीतने वाले नेता जी को नए जिला अस्तित्व में आने के बाद पार्टी उन्हें उनके गृह क्षेत्र की सीट से चुनाव लड़वा सकती है। ये संभावना इसलिए बन रही है, क्योंकि नेता जी के गृह क्षेत्र वाली सीट के मौजूदा विधायक को ऐज फैक्टर के चलते टिकट से वंचित रहना पड़ सकता है।
अब इस सीट पर पार्टी को जिताऊ चेहरा तय करने में पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में नेता जी को अपने घर की सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है।
दो विधायकों पर डोरे डाल रही बीजेपी
बीजेपी ने ऐसी सीटों से अपने प्रत्याशी घोषित करने की शुरुआत की है, जहां पिछले चुनाव में उसे हार का मुंह देखना पड़ा था। पार्टी ऐसी 39 सीटों के लिए अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है। लेकिन बची 64 पर जिताऊ चेहरे तय करने में उसे पसीने आ रहे है।
इस बीच सियासी गलियारों में यह खबर उड़ रही है कि बीजेपी की नजर कांग्रेस के दो ऐसे विधायकों पर है जो लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। इनमें से एक चंबल तो दूसरा बुंदेलखंड से विधायक हैं। एक तो मंत्री भी रह चुके हैं, जबकि दूसरे सीनियर होने के बाद भी पिछली सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं पा सके थे।
एक विधायक जी की बडे़ घर में मीटिंग भी हुई थी, लेकिन खबर मीडिया में आ गई थी। जिसके बाद उन्होंने उसे सामाजिक बैठक बताते हुए सियासी संभावनाओं को विराम दे दिया था। लेकिन अब एक बार फिर से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। हालांकि इनमें कितनी सच्चाई है ये लिस्ट जारी होने पर ही पता चलेगा।
ये चुनाव का समय है, जुबान संभाल के…
चुनावी मौसम में पक्ष-विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर नजर रख रहे हैं। कहीं कोई गलती हुई या कोई कमजोरी दिखी तो फौरन घेराबंदी शुरू हो जाती है। इस मामले में विरोधी दल की स्थिति छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीने जैसी है। इसलिए आला नेताओं ने सलाह दी है कि कम से कम चुनाव तक तो जुबान संभाल के रहना।
हाल ही में विपक्षी दल की एक हाईलेवल मीटिंग में तय हुआ कि सत्तापक्ष के फैलाए एजेंडे के जाल में नहीं फंसना है। जिन नेताओं के बयान मीडिया में कॉन्ट्रोवर्सी पैदा कर पार्टी को मुश्किल में डाल देते हैं। उन्हें यह सलाह दी गई कि वे मीडिया में विवादित बयान देने से बचें। कुछ खबरनवीसों के जरिए धार्मिक मुद्दों में उलझ़ा दिया जाता है। ऐसे मामलों में विवादों से बचें।
यह तय हुआ है कि नेशनल लेवल के हाजिरजवाब नेताओं को एमपी में तैनात किया जाएगा। बडे़ लीडर चुनावी कैम्पेन संभालेंगे और विरोधियों पर वार-पलटवार के लिए नेताओं की टीम अलग रहेगी।
और अंत में…
सीनियर IAS का मध्यप्रदेश से मोहभंग
एक सीनियर आईएएस का प्रदेश से मोहभंग हो गया है। वे दिल्ली दरबार में जाना चाहते हैं। उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर तैयारी भी कर ली है। वे पांच साल दिल्ली में रहकर आए हैं। अब फिर से दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं।
ये वही अफसर है, जो राजधानी में कलेक्टरी कर चुके हैं। मौजूदा सरकार के पसंदीदा अफसर भी हैं, बावजूद इसके उनका इतनी जल्दी वापस जाना अफसरों के गले नहीं उतर रहा है। इधर अफसर के करीबी कह रहे हैं कि साहब को ज्यादातर समय कामचलाऊ पोस्टिंग मिली। इस वजह से उनका मन खराब हो गया है।
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