मध्यप्रदेश

Rats became attackers in Indore | इंदौर में बारिश में चूहे काटने के केस बढ़े: बिलों में पानी भराने से बाहर आ रहे, पॉश कॉलोनियों में ज्यादा केस – Indore News


इंदौर में अब तक कुत्तों, बिल्लियों और बंदरों द्वारा काटने के मामले सामने आते रहे हैं, लेकिन इन दिनों चूहों द्वारा काटने (रैट बाइट) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शहर के अस्पताल में रैट बाइट के रोज 4-5 मामले आ रहे हैं। ढाई माह में ढाई सौ से ज्यादा केस स

.

आमतौर पर बारिश में बिलों में पानी भरने से घरों में चूहों की संख्या बढ़ जाती है। बारिश के कारण ये घरों, दुकानों, गोदाम और अन्य सूखे स्थानों को ठिकाना बना लेते हैं। पहले बारिश के दिनों में रोजाना 1-2 रैट बाइट के मामले आते थे। लेकिन इस बार केस काफी बढ़े हैं। इनकी संख्या भी चौंकाने वाली है। इस बार जून में 83, जुलाई में 106 और अगस्त (24 तक) में 70 लोगों को चूहों ने काटा। इनमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हैं। ढाई माह में चूहों ने 259 को शिकार बनाया है।

हॉस्पिटल स्टाफ के मुताबिक वर्तमान में खंडवा रोड, मांगलिया, धार रोड, हातोद, बेटमा और शहर के सीमावर्ती गांवों के साथ शहर के भी लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। शहरी क्षेत्र में पलासिया, अनूप नगर, श्रीनगर, एमआईजी सहित कई क्षेत्रों के लोग रेट बाइट के कारण हॉस्पिटल आ रहे हैं।

पैर के अंगूठे, दुधमुंही बच्चे के चेहरे पर तीन जगह काटा

– करीब 90% केस ऐसे हैं जिनमें चूहों ने पैरों के अंगूठे पर काटा। कुछ मामले उंगलियों पर काटने के भी हुए हैं। ऐसे ही हाथ की उंगली और अंगूठे के केस भी हैं।

– करीब डेढ़ माह पहले ग्रामीण क्षेत्र के एक मजदूर दंपती अपनी दुधमुंही बच्ची का इलाज कराने लाए थे। उसके चेहरे पर तीन स्थानों पर चूहे ने काटा था।

– रात को दंपती को इसका पता नहीं चला। सुबह होने पर उन्होंने बच्ची के चेहरे पर काटने के निशान देखे।

ये भी हैं चूहों की बढ़ती संख्या का कारण

– जहां मनुष्य की आबादी है तो वहां चूहे रहते ही हैं। रैट बाइट के मामले चिंताजनक है।

– चूहा प्रजाति का गर्भ काल 21 दिनों का होता है। वह एक बार में 6-7 बच्चों को जन्म देती है। फिर वह 21 दिन बाद फिर गर्भवती हो जाती है।

– इस प्रजाति में ब्रीडिंग साइकिल बहुत तेज होता है। इस कारण चूहों की संख्या बढ़ती जाती है।

– चूहे का मुंह आगे से लंबा होता है और उनमें डिगिंग (खोदने) की प्रवृत्ति होती है। इनके दांत बहुत तेजी से बढ़ते हैं।

– ऐसे में ये अपने दांतों की लम्बाई कम करने के लिए कपड़े, कागज, लकड़ी आदि तक कुतर देते हैं।

– व्यक्ति के पैर या किसी अन्य स्थान का काटना भी इनका नेचर ही है। इसका भूख से कोई संबंध नहीं है।

डॉ. (प्रो) संदीप नानावटी, वेटरनरी कॉलेज, महू

लोगों में इलाज को लेकर अवेयरनेस बढ़ी

– पहले हफ्ते में 5-7 केस आते थे अब रोज 4-5 केस रेट बाइट के आ रहे हैं। एक कारण यह भी है कि लोगों में इलाज को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है।

– चूहों के काटने से रैबीज का ट्रांसमिशन नहीं होता है इसलिए खतरा नहीं है।

– इलाज के लिए टिटनस का इंजेक्शन लगाया जाता है, ताकि इन्फेक्शन ना फैले।

– डायबिटीज पेशेंट को जब चूहा काटता है तो तब पता नहीं चलता है। बाद में सेंसेशन बढ़ता है तब एहसास होता है।

– चूहों के काटने में कुछ केसों में लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी होती है। ऐसे में मरीजों का डॉक्सीसाइक्लिन या पेंसिलीन जैसे एंटीबायोटिक्स से किया जाता है।

डॉ. आशुतोष शर्मा (सुपरिनटैंडैंट, हुकुमचंद हॉस्पिटल)


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!