मध्यप्रदेश

2 days ago, the heavy roof collapsed, the contractor and four labourers sleeping below died | चोरल में हादसा: 2 दिन पहले भरी छत भरभराकर गिरी, नीचे ही सो रहे ठेकेदार और चार मजदूरों की मौत – Indore News


खंडवा रोड पर चोरल नदी किनारे बन रहे एक रिसोर्ट में दो दिन पहले ही भरी कॉटेज की छत गुरुवार रात को भरभराकर गिर गई। नीचे सो रहे ठेकेदार और 4 मजदूर दब गए। सुबह चौकीदार के पहुंचने पर घटना का पता चला। सूचना के ढाई घंटे बाद मदद पहुंची। बड़ी मुश्किल से पांचों

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मामले में चोरल रिवर रिसोर्ट के मालिक विकास पिता श्रीनिवास डब्करा निवासी चितावद इंदौर, अनाया पति भरत डेम्बला निवासी द्वारकापुरी, विहाना पति जतिन डेम्बला द्वारकापुरी और मैनेजर राहुल अहिरवार निवासी सीहोर के खिलाफ केस दर्ज किया है। शेष |पेज 11 पर

चौकीदार विनोद यादव ने बताया, मैं रोज की तरह सुबह 6.30 बजे नदी से लौट रहा था। किनारे बन रहे रिसोर्ट में दूर से देखा तो एक छत गिरी हुई थी। मैं दौड़ते हुए अंदर गया। मजदूरों काे काफी आवाजें दी। लेकिन काेई नहीं दिखा। फिर गांव वालों काे बुलाया। हमने गौर से मलबा देखा तो दाे लाेग दबे हुए दिखे। फिर मैंने पुलिस को सूचना दी।

खोखले एंगलों को वेल्डिंग से भरकर डाल दी थी छत, सभी एंगलों की वेल्डिंग टूटी
यहां दो इंच स्लैब डालने के लिए 4 इंच के खोखले एंगलों को वेल्डिंग कर स्ट्रक्चर तैयार कर लिया था। छत पर ईंटों के ढेर भी रखे थे। बारिश में छत और ईंट भीग रही थी। इसके बाद छत का वजन लोहे के एंगल सहन नहीं कर पाए और वेल्डिंग उखड़ गई। हादसे की असली वजह भी यही रही। जानकारों का कहना है कि यदि वेल्डिंग टूटती नहीं तो छत भी नहीं गिरती। माना जा रहा है कि एंगल टूटने के बाद वजनी छत सीधे मजदूरों पर गिरी।

सीएम ने जताया शोक, मृतकों के परिजन को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घटना को दुखद बताते हुए शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने मृतकों के परिजन को मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान से 2-2 लाख रुपए देने के निर्देश दिए हैं। रेडक्रॉस के माध्यम से भी 2-2 लाख रुपए की सहायता दी जा रही है। कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत राहत व बचाव शुरू करा दिया था।”

भास्कर इनसाइट न बल्ली, ना कोई सपोर्ट, इसलिए छत गिरी
चोरल नदी किनारे एक खेत में करीब 40 हजार स्क्वेयर फीट एरिया में चोरल रिवर रिसोर्ट तैयार हाे रहा था। 500 से 800 स्क्वेयर फीट के 7 अलग-अलग स्ट्रक्चर बन रहे हैं। सभी स्टील फ्रेम स्ट्रक्चर के रूप में बनाए जा रहे हैं। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने जांच में कहा कि ये घातक स्थिति है। यहां जिस हिसाब से छत भरी उसमें न तो बल्लियां हैं और न तराफे लगाए हैं। यहां जो निर्माण हो रहा है वहां लोड टेस्टिंग नहीं हुई। न ही सुरक्षित डिजाइन बनाई गई थी। यहां सभी कॉटेज की छत में लोहे के पाइप के ऊपर काफी वजनी कांक्रीट भरी गई है। कुछ मंे ताे पाइप का वजन भी स्ट्रक्चर के मापदंड अनुसार नहीं रखा गया।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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