अजब गजब

रिक्शा चलाया, सब्जी बेची अब चला रहा करोड़ों की कंपनी, बिहार में 12वीं पास ये लड़का दे रहा IIT-IIM के छात्रों को नौकरी

हाइलाइट्स

बिहार में सहरसा जिले के गांव से आने वाले दिलखुश कुमार की कहानी प्रेरित करने वाली है.
राज्य के गांवों में टैक्सी सर्विस के लिए दिलखुश कुमार ने रोडबेज सर्विस की शुरुआत की.
सेकंड हैंड नैनो कार के साथ दिलखुश कुमार ने अपने नए वेंचर की शुरुआत की थी.

नई दिल्ली. देश में स्टार्टअप कल्चर तेजी से बढ़ रहा है और नए-नए युवा उद्यमी अपनी सोच के बल पर करोड़ों रुपये की कंपनी खड़ी कर रहे हैं. हालांकि, ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्टार्टअप जैसे प्रयोग सिर्फ महानगरों या बड़े शहरों में सफल हैं. लेकिन ऐसा नहीं है गांवों में भी कई युवा अपने नए बिजनेस आइडिया के साथ तरक्की कर रहे हैं. हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी टैक्सी सर्विस के बिजनेस ने बिहार के गांव-गांव में धूम मचा दी है. यह शख्स है दिलखुश कुमार, जो बिहार के स्टार्टअप किंग के नाम से मशहूर हो गए हैं.

महानगरों में ओला और उबर की तरह कैब सर्विस के आइडिया को दिलखुश ने बिहार के गांवों में लागू किया. दरअसल वे सूबे में ‘रोडबेज़’ नाम की डेटाबेस कंपनी चलाते है. जिसका काम पूरे बिहार में टैक्सी सर्विस प्रोवाइड करना है. हालांकि यह ओला, उबर या इस तरह की कंपनियों से काफी अलग है. क्योंकि यह फिलहाल आउटस्टेशन यानी 50 किमी. से ज्यादा की राइड उपलब्ध करा रहे हैं. आइये जानते हैं दिलखुश कुमार के स्टार्टअप स्टोरी की कहानी…

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बिहार के स्टार्टअप किंग की कहानी
बिहार में सहरसा जिले के छोटे से गांव से आने वाले दिलखुश कुमार की कहानी प्रेरित करने वाली है क्योंकि कभी दिल्ली में रिक्शा चलाने वाले और पटना में सब्जी बेचने वाले लड़के ने कैसे महज कुछ वर्षों में करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी. बिहार के गांव-गांव में टैक्सी सर्विस के लिए दिलखुश कुमार ने रोडबेज की स्थापना की. खास बात है कि जहां ओला और उबर कस्टमर से आउट स्टेशन पर जाने के लिए दोनों तरफ का किराया वसूलती है. वहीं, रोडबेज सिर्फ एक तरफ का शुल्क लेती है.

कैसे काम करता है रोडबेज?
दिलखुश कुमार ने मई 2022 में अपने चचेरे भाई सिद्धार्थ के साथ मिलकर रोडबेज को लॉन्च किया था. शुरुआत में उन्होंने अपने जीवनभर की बचत स्टार्ट-अप में लगा दी. रोडबेज एक टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर करने वाली एग्रीगेटर कंपनी है. जिसका काम पूरे राज्य में टूर और ट्रैवल्स से जुड़ा काम कर रहे लोगों को अपने संपर्क में लाना है. रोडबेज इन टैक्सी मालिकों और ड्राइवर्स से कहती है कि आप जिस ओर यात्री लेकर जा रहे हैं उनके बारे में हमें बताएं ताकि. वापसी में यात्रियों को छोड़कर आप वहां से खाली नहीं आओ, क्योंकि हम आपको ऐसे लोगों के बारे में बताएंगे, जिन्हें उस रूट से लौटना है.

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दिलखुश के इस स्टार्टअप का सबसे बड़ा फायदा ग्राहकों को हो रहा है साथ की टैक्सी मालिकों को भी लाभ मिल रहा है. क्योंकि जहां यात्रियों को दोनों साइड का किराया देने की जरूरत नहीं होती है. वहीं टैक्सी चालक भी वापसी में खाली नहीं लौटते हैं. दिलखुश ने जीएनटी को बताया कि रोडबेज की टैक्सी सर्विस से यात्रियों को 50 फीसदी तक फायदा हो रहा है. क्योंकि जहां पहले उन्हें दोनों ओर के किराये के लिए 4000 का भुगतान करना पड़ता था. अब उन्हें सिर्फ 2000 रुपये तक देने पड़ते हैं.

100 करोड़ के वैल्युएशन का रखा लक्ष्य
दिलखुश कुमार ने जब रोडबेज की शुरुआत की, उस समय उनके पास सिर्फ एक सेकंड हैंड नैनो कार थी. महज 6 से 7 महीने में 4 करोड़ की वैल्यूएशन पर उनके स्टार्टअप को फंडिंग मिली. इस दौरान हमने सवा लाख यात्रियों को सेवाएं दीं. अब उनका लक्ष्य भविष्य में अपने स्टार्टअप की वैल्युएशन को 100 करोड़ तक पहुंचाने का है. दिलखुश कुमार के स्टार्टअप की सफलता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि वे IIT-IIM जैसे संस्थानों के छात्रों को नौकरी दे रहे हैं.

Tags: Bihar latest news, New Business Idea, Startup Idea, Success Story


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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