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अस्पतालों को किले में नहीं बदल सकते, सेंट्रल हॉस्पिटल में सुरक्षा को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, 25% का होगा इजाफा

नई दिल्ली. कोलकाता के एक अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी केंद्र सरकार के अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों और सभी एम्स प्रमुखों को चिट्ठी लिखकर व्यापक सुरक्षा इंतजाम करने का आदेश दिया है. पत्र में कहा गया है कि अस्पताल परिसर में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खास सुरक्षा प्रबंध किए जाएं. अस्पताल की एंट्री, एग्जिट, गैलरी और अंधेरी और संवेदनशील क्षेत्रों परहाई-रिज़ॉल्यूशन सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त संख्या में लगाए जाएं.

आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया के लिए संस्थान में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाना चाहिए. नियंत्रण कक्ष में एक प्रशासनिक कर्मचारी और सुरक्षा कर्मियों के साथ हमेशा तैनात होना चाहिए. परिसर की उचित निगरानी और गश्त के लिए पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित सुरक्षा गार्डों को नियुक्त किया जाए.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश में यह भी कहा गया है कि अस्पताल में प्रवेश और निकास को सख्ती से निगरानी में रखा जाए ताकि केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति दी जा सके. इसके अलावा स्टाफ, मरीजों और विजिटर्स के लिए पहचान पत्र जारी किए जा सकते हैं ताकि अधिकृत व्यक्तियों की पहचान आसानी से हो सके. ड्यूटी के दौरान सभी अस्पताल स्टाफ के लिए पहचान पत्र का दिखाना अनिवार्य किया जाए. यह सुनिश्चित करने के लिए उचित व्यवस्था की जाए कि सभी विजिटर्स की निगरानी की जा सके.

केंद्रीय कानून की मांग कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के विरोध-प्रदर्शन के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी अस्पतालों में सुरक्षा तैनाती में 25 प्रतिशत की वृद्धि की अनुमति दी है. अधिकारियों ने बताया कि मानक सुरक्षा प्रोटोकॉल के अलावा, सरकारी अस्पतालों द्वारा सुरक्षा समीक्षा किए जाने के बाद उनकी मांग के आधार पर मार्शलों की तैनाती को भी मंजूरी दी जाएगी.

हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आर.जी. कर अस्पताल मामले के आधार पर केंद्रीय कानून लाने से ‘कोई बड़ा अंतर नहीं आएगा’ क्योंकि कोलकाता के इस अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का मामला मरीज-डॉक्टर हिंसा का मामला नहीं था. उन्होंने कहा कि अपराध और बलात्कार के मामले पहले से ही मौजूदा कानूनों के अंतर्गत आते हैं.

सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक और केरल सहित 26 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए कानून पारित किए हैं। इन सभी राज्यों में ये अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हैं. उन्होंने कहा कि कुछ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के साथ बैठकें की गई हैं और उन्हें भी इन पहलुओं के बारे में समझाया गया है.

सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी जो अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए सुरक्षा और सुविधाओं के विभिन्न पहलुओं जैसे ड्यूटी रूम, काम के घंटे और स्थितियां तथा कैंटीन सेवाओं पर गौर करेगी. आधिकारिक सूत्र ने कहा, “अस्पताल सार्वजनिक सुविधाएं हैं, इसलिए उन्हें किले में नहीं बदला जा सकता. हमने डॉक्टरों से हड़ताल समाप्त करने का आग्रह किया है, क्योंकि मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.”

Tags: Aiims delhi, AIIMS Rishikesh


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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