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Explainer: गुजरात से गए इन मुसलमानों को क्यों श्रीलंका में लिया जाता है हाथों हाथ, जानें इनका क्या है योगदान

Muslims from Gujarat in Sri Lanka: कई गैर-मुस्लिम देशों ने ऐतिहासिक रूप से मुसलमानों का स्वागत किया है और उनके साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं. लेकिन साथ ही, कई जगहों पर मुसलमानों के प्रति असहिष्णुता और भेदभाव की भी खबरें सुनने को मिलती हैं. कुछ देशों में सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार दिए जाते हैं. लेकिन कुछ देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. किसी देश का मुसलमानों के प्रति रवैया अक्सर उस देश की राजनीतिक स्थिति, इतिहास, और विदेश नीति से प्रभावित होता है. मीडिया और समाज में फैली धारणाएं भी मुसलमानों के प्रति लोगों के रवैये को आकार देती हैं. यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे को सामान्यीकृत न करें. हर देश और हर समुदाय की अपनी अलग कहानी होती है. किसी एक समूह के सभी लोगों को एक नजरिये से देखना गलत होगा.

बांग्लादेश का हाल है सबके सामने
लगभग एक पखवाड़े पहले बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्ता पलट के बाद देश में हिंदुओं पर अत्याचार शुरू हो गया. लगातार हिंदू समुदाय के घरों और उनके मंदिरों पर हमले की खबरें आ रही थीं. इसके बाद दुनिया भर में कई कट्टरपंथी मुसलमानों ने खुशी जताई. खुद को इस्लामी विद्वान बताने वाले अबू नज्म फर्नांडो बिन अल-इस्कंदर ने बांग्लादेश से हिंदुओं को पूरी तरह से मिटा देने की अपील की. इसी तरह से भारत के एक और पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में भी नस्लीय दूरियां काफी गहरे तक समाई हैं. लेकिन धार्मिक आधार पर यहां की स्थिति बांग्लादेश से एकदम उलट है.

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श्रीलंका में हैं महज 10 फीसदी मुस्लिम
बांग्लादेश के विपरीत सिंहली बौद्ध बहुसंख्यक समाज वाले श्रीलंका की 2.2 करोड़ की आबादी में मुसलमानों की आबादी महज दस फीसदी है. 2019 में ईस्टर के मौके पर श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 359 लोगों की मौत हो गई थी. इन विस्फोटों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट समूह ने ली, जिसके बाद श्रीलंका में रह रहे मुसलमानों के खिलाफ नफरत की भावना पैदा हो गई थी. लेकिन भारत से खासतौर से गुजरात से गए मुसलमानों के कारण यहां सामाजिक ताने-बाने को बहुत नुकसान नहीं हुआ.  

इस्लाम श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा धर्म
इस्लाम श्रीलंका में तीसरा सबसे बड़ा धर्म है. कुल जनसंख्या का लगभग दस फीसदी इस धर्म का पालन करते हैं. साल 2012 में श्रीलंका में हुई जनगणना के अनुसार लगभग 19 लाख लोग इस्लाम का पालन करते हैं. श्रीलंका में अधिकांश मुस्लिम द्वीप के पूर्वी हिस्से में रहते हैं. मुसलमान श्रीलंका की शहरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं और ज्यादातर कोलंबों जैसे प्रमुख शहरों और बड़े कस्बों में बसे हुए हैं. ज्यादातर श्रीलंकाई मुसलमान तमिल भाषा बोलते हैं. हालांकि काफी मुसलमान सिंहली भी जानते हैं. 

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श्रीलंका में भारतीय मुसलमान
श्रीलंका में रह रहे भारतीय मुसलमान वे हैं जो औपनिवेशिक काल के दौरान व्यापार के अवसरों की तलाश में यहां आए थे. इनमें से कुछ लोग पुर्तगाल के शासनकाल में ही इस देश में आकर बस गए थे. अन्य ब्रिटिशकाल में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए. उनमें से अधिकांश तमिलनाडु और केरल से आए थे. मेमन मुस्लिम पहली बार साल 1870 में सिंध (इस समय का पाकिस्तान) से यहां आए. दाऊदी बोहरा और खोजा शिया मुसलमान 1880 के बाद पश्चिमी भारत गानी गुजरात से आए थे. कुछ मेमन मुस्लिम काठियावाड़ (गुजरात) से भी श्रीलंका पहुंचे.   

1947 के बाद मेमनों ने ली शरण
मेमन मूल रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत का एक समूह है. बाद में वे पाकिस्तान चले गए, लेकिन शुरुआत में व्यापारियों का एक छोटा गुट 1870 में श्रीलंका द्वीप पर चला गया. साल 1947 में गुजरात के हिंदू-मुस्लिम दंगे के कारण अधिकतर मेमन भारत छोड़कर श्रीलंका चले गए. छोटा समुदाय होने के बावजूद, मेमन अपनी परंपराओं को जीवित रखने में गर्व महसूस करते हैं. वे पारंपरिक रूप से व्यवसायी हैं – व्यापारी, जहाजरानी करने वाले, आयातक और निर्यातक. सदियों तक वे आर्थिक रूप से समृद्ध रहे जबकि अन्य मुस्लिम समूह संघर्ष करते रहे. हाल के वर्षों में युवा मेमनों ने चिकित्सा, कानून और खेल जैसे अन्य क्षेत्रों में अपना करियर बनाया है. शादी में हिंदू समुदायों की तरह ही कई समारोह होते हैं, जिनमें मेहंदी और हल्दी लगाना भी शामिल है. उनकी मुख्य भाषाओं में मेमोनी भाषा के साथ-साथ गुजराती भी शामिल है.

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दाऊदी बोहरा समुदाय का योगदान
श्रीलंका में दाऊदी बोहरा समुदाय शिया इस्लाम की इस्माइली शाखा को मानने वाला एक धार्मिक संप्रदाय है. 1950 के दशक में, प्रधानमंत्री जॉन कोटेलावाला ने समुदाय को समाज में अपना स्थान आश्वस्त करते हुए कहा था, “आप इतने लंबे समय तक हमारे साथ रहे हैं कि हमें लगता है कि हम आपके बिना नहीं रह सकते.” यह समुदाय अपने समृद्ध भोजन, पारंपरिक पोशाक और स्थानीय मस्जिद के आसपास केंद्रित सामुदायिक जीवन के लिए जाना जाता है. इनकी मस्जिद धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करती है. यह समुदाय श्रीलंका की सांस्कृतिक विविधता और आगंतुकों का स्वागत करने के खुलेपन को प्रदर्शित करता है. दाऊदी बोहरा समुदाय ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करने में मदद की है. 

खोजाओं ने भी श्रीलंका को अपनाया
खोजा एक शिया मुस्लिम समूह है जो 1880 के बाद पश्चिमी भारत (गुजरात राज्य) से श्रीलंका आया था. 1980 के दशक में, श्रीलंका में 2,000 से भी कम खोजा थे. लेकिन आज उनके खुद के पूजा स्थल हैं और उन्होंने अपनी भाषा को महफूज रखा हुआ है. खोजा आगा खान के अनुयायी हैं, जिन्हें इस्माइलिस के नाम से भी जाना जाता है. खोजा अपनी व्यावसायिक उद्यमिता में मुस्लिम परोपकार के प्रति प्रतिबद्धता और जिस समाज में वे रहते हैं, उसमें योगदान के लिए भी जाने जाते हैं. खोजा शब्द फारसी से आया है जिसका अर्थ है ‘पवित्र’ या ‘सम्मानित व्यक्ति.’ खोजा मूल रूप से हिंदू व्यापारियों का एक समूह था जो 14वीं शताब्दी में इस्लाम में परिवर्तित हो गए थे. आज, वे श्रीलंका सहित पूर्वी अफ्रीका, भारत, पाकिस्तान, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में रहते हैं.

Tags: Gujarat, Indian Muslims, Muslim, Sri lanka


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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