अजब गजब

बनना था पुलिस अफसर लेकिन आज संघर्ष समोसे वाले के नाम से है मशहूर, जानें अजब गजब कहानी

नासिक: आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कई लोगों के सपने अधूरे रह जाते हैं. लेकिन कुछ लोग सकारात्मक सोच के साथ अलग रास्ता अपनाकर सफलता हासिल करते हैं. आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी जानने जा रहे हैं. 36 साल पहले एक छोटे से प्रयास के रूप में शुरू किया गया ‘संघर्ष समोसा’ आज नासिकवासियों का दिल जीत रहा है.

नासिक का मशहूर संघर्ष समोसे वाला
“भास्कर गावित बताते हैं कि इस जगह पर समोसा और मूंग भाजी भी मिलती है. समोसा भले ही सादा हो, लेकिन इसकी चटनी इसे एक अलग स्वाद देती है. वे खट्टी-मीठी चटनी और दही के साथ समोसे बेचते हैं. उनके ससुर साहेबराव पाटिल ने 1986 में समोसा बेचना शुरू किया था, जब वे छोटे थे.”

संघर्ष समोसे की दुकान
“बचपन से ही विकट आर्थिक स्थिति के कारण भास्कर अपने ससुर के साथ काम करते थे. वे एक पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखते थे और इसके लिए उन्होंने कोशिश भी की, लेकिन सफलता नहीं मिली. हालांकि, आज ‘संघर्ष समोसा’ हर जगह मशहूर हो गया है. साहेबराव पाटिल की मृत्यु के बाद भास्कर ने पूरी जिम्मेदारी संभाल ली.”

“कई नासिकवासियों ने उन्हें सलाह दी कि यह व्यवसाय बंद नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनके समोसे की लोकप्रियता दूर-दूर तक फैल गई है. परिस्थितियों ने भी उनकी इस दिशा में मदद की, और उन्होंने समोसे के साथ संघर्ष जारी रखने का फैसला किया. निरंतर संघर्ष के चलते ही इसे ‘संघर्ष’ नाम दिया गया. गावित यहां सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक समोसे बेचते हैं.”

नासिक का फेमस स्ट्रीट फूड
“वे शालीमार के पास नेहरू गार्डन क्षेत्र में एक छोटी सी दुकान पर समोसे बेचते हैं. वे एक समोसा 18 रुपये में और प्लेट भाजी 30 रुपये में बेचते हैं. उनकी यह डिश नासिक में काफी मशहूर हो गई है. अगर आप भी इस खास स्वाद का अनुभव करना चाहते हैं, तो इस जगह पर जरूर जा सकते हैं.”

Tags: Local18, Nashik news, Street Food


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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