कभी मंजू के घर में नसीब नहीं थी दो वक्त की रोटी, जीविका से मिला रोजगार तो बेटा और बेटी दोनों कर रहे पढ़ाई, Manju’s house was in trouble one day, she got employment from Jeevika, so her children study outside

छपरा : छपरा की मंजू कुमारी यादव की कहानी काफी रोचक है. मंजू कुमारी गरीबी के वजह से काफी परेशान रहती थी. मंजू के पतिदेव मजदूरी करते थे कभी कम मिलता था कभी नहीं, जिसके वजह से घर चलना और बच्चों को पढ़ना काफी मुश्किल भरी वह दिन था. एक दिन गांव की कुछ महिला उन्हें जीविका से जुड़ने के लिए सलाह दी, जीविका से जुड़कर वह समूह के साथ काम करने लगी, कुछ दिन बाद दीदी के रसोईया के लिए फॉर्म निकला, जिस फर्म को उन्होंने भरा उसके बाद सदर अस्पताल स्थित दीदी के रसोईया में काम मिल गया. जहां काम करने लगी. उसके बाद घर के परवरिश चलने लगा, साथ ही जीविका से मिलने वाले पैसे से अपने बच्चों को भी पढ़ने लगी.
मंजू देवी का एक पुत्र पटना में रहकर कंपटीशन का तैयारी करता है. जबकि पुत्री छपरा में रहकर कंपटीशन की तैयारी करती है. रोजगार मिलने से मंजू देवी को काफी राहत मिला है. अब बच्चे भी अच्छा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और घर भी अच्छा से चल रहा है. मंजू देवी सदर प्रखंड के शेरपुर निवासी है.
बातचीत के दौरान मंजू देवी ने बताया कि पहले मैं बेरोजगार थी. एक स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाने के लिए रोजगार मांगा तो मिल तो गया, लेकिन पैसा काफी कम मिल रहा था. जिसके वजह से घर चलना भी मुश्किल था. बाद में उन्होंने बताया कि जीविका से मजदूर कर समूह के साथ काम करने लगी. इसी दौरान दीदी के रसोईया के लिए फॉर्म निकला जिसको मैं भर दिया. जिसमें मुझे नौकरी मिल गई.
हरि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि यहां चाय से लेकर भोजन तक काफी स्वादिष्ट दीदी के रसोईया में मिलता है. बताया कि यहां आम से लेकर खास तक लोग भोजन करने और चाय पीने के लिए आते हैं. बताया कि हम लोग हमेशा यहां चाय पीने और भोजन करने भी आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 21:55 IST
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