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‘मीलॉर्ड मेरी गिरफ्तारी अवैध है’, बिभव की दलील पर हाईकोर्ट का सॉलिड जवाब- आपकी याचिका में कोई दम नहीं – bibhav kumar bail petition rejected delhi high court say nothing solid in your plea your arrest was necessary

नई दिल्ली. दिल्‍ली शराब घोटाला मामले तिहाड़ जेल में बंद मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी बिभव कुमार को दिल्‍ली हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. बिभव कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. स्‍वाति मालीवाल मारपीट मामले में जेल में बंद बिभव कुमार की दलील पर हाईकोर्ट ने दो टूक जवाब दिया. कोर्ट ने कहा कि बिभव कुमार की गिरफ्तारी आवश्‍यक थी और इस प्रक्रिया को अंजाम देते वकत पुलिस ने कानून का पूरी तरह से पालन किया. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि बिभव कुमार की याचिका में कोई दम नहीं है. आम आदमी पार्टी की वरिष्‍ठ नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य स्‍वाति मालीवाल के साथ बिभव कुमार ने कथित तौर पर मारपीट की थी. असॉल्‍ट की यह घटना मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि आम आदमी पार्टी (AAP) की सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले से संबंधित मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की गिरफ्तारी आवश्यक थी और ऐसा करते समय पुलिस ने कानून का कड़ाई से पालन किया. कोर्ट ने बिभव कुमार की याचिका खारिज करते हुए फैसले में कहा है कि उनकी याचिका में कोई दम नहीं है. बिभव कुमार की याचिका में दावा किया गया था कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी. फिलहाल न्यायिक हिरासत में बंद बिभव कुमार ने 13 मई को केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल पर कथित तौर पर हमला किया था. उन्हें 18 मई को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

स्वाति मालीवाल केस: जेल में ही रहेंगे केजरीवाल के PA बिभव कुमार, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया झटका

बिभव कुमार ने पुलिस पर लगाए थे गंभीर आरोप
बिभव कुमार ने अपनी याचिका में गिरफ्तारी को अवैध और सीआरपीसी की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन तथा कानून के विरुद्ध घोषित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने शनिवार को सुनाए फैसले में कहा कि गिरफ्तारी के बाद निचली अदालत ने पांच दिन की पुलिस हिरासत की अनुमति देने से पहले कुमार के साथ-साथ सरकार का भी पक्ष सुना था. जज ने यह भी कहा कि कानून जांच अधिकारी को जांच के दौरान किसी व्यक्ति को गिरफ्तार न करने का विवेकाधिकार देता है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में आरोपी याचिकाकर्ता को बिना नोटिस दिए गिरफ्तार करने के पर्याप्त आधार मौजूद हैं.

हाईकोर्ट ने क्‍या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में व्यक्ति को स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है और कानून को यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि कानूनी प्रक्रिया के अलावा ऐसी स्वतंत्रता का उल्लंघन न हो. कोर्ट ने कहा, ‘तथ्यों से स्पष्ट रूप से यह स्थापित होता है कि बताई गई परिस्थितियों में गिरफ्तारी आवश्यक थी और यह सीआरपीसी, 1973 की धारा 41 के सख्त अनुपालन में सिद्धांतों, दिशानिर्देशों का पालन करते हुए की गई…इसलिए मौजूदा याचिका में कोई दम नहीं है, जिसे खारिज किया जाता है.’ अदालत ने कहा कि पुलिस के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज ब्लैंक पाई गई और पूछताछ के दौरान कुमार ने सहयोग नहीं किया.

Tags: CM Arvind Kejriwal, DELHI HIGH COURT, Delhi news, Swati Maliwal


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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