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दिल्‍ली-NCR मरीजों को बड़ी राहत, फिर दौड़ेंगी 448 एंबुलेंस, लगा दी थी रोक, अब हाईकोर्ट ने हटाई

मरीजों को गंभीर से गंभीर हालत में अस्‍पताल तक पहुंचाने वाली एंबुलेंस की कमी अब दिल्‍ली-एनसीआर में नहीं होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अहम फैसले के बाद न केवल रोगियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है, बल्कि एंबुलेंस चालकों को भी फिर से अपनी सेवाएं बहाल होने की खुशी मिलने जा रही है. ऐसे में दिल्‍ली-एनसीआर में एक बार फिर 448 एंबुलेंस दौड़ेंगी.

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अमरोहा परिवहन प्राधिकरण के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर की 448 एंबुलेंस के लाइसेंस निरस्त कर उनके देशभर में संचालन पर पाबंदी लगा दी गई थी. जून महीने में जारी इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई. जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एंबुलेंस संचालकों के पक्ष में फैसला सुनाया है और कहा है कि सभी एंबुलेंस पर अमरोहा परिवहन प्राधिकरण द्वारा लगाई गई पाबंदियां तुरंत प्रभाव से हटाई जाएं. कोर्ट ने फैसले में मोटर विहि्कल अधिनियम 1988 का हवाला देते हुए प्राधिकरण की कार्रवाई को अनुचित बताया है.

मामले के खिलाफ एंबुलेंस मालिकों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एडवोकेट एनएस भट्ट, पीएस एंबुलेंस के निदेशक जीत सिंह, शनसाइन एंबुलेंस से दीपक चौधरी सहित कई लोगों ने अपना पक्ष रखा. 31 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज अंजनी कुमार मिश्रा और जयंत बनर्जी की बेंच की गई अहम सुनवाई में कोर्ट ने परिवहन प्राधिरकण के फैसले रोक लगाने का आदेश जारी किया. कोर्ट ने कहा कि अमरोहा के परिवहन अधिकारी द्वारा जारी इस आदेश में मोटर विहि्कल अधिनियम 1988 के अंतर्गत जारी दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है. इस आधार पर एंबुलेंस के पंजीकरण निरस्त करने के आदेश को तुरंत खारिज किया जाता है.

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि अधिनियम की धारा 40 के तहत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वाहन मालिक के वाहन को उस राज्य में पंजीकृत होना चाहिए जहां वाहन मालिक का आवास है न कि उस राज्य में जहां उनके वाहन व्यवसाय के उद्देश्य से गए हैं. उपरोक्त सभी वाहनों के मालिक दिल्ली एनसीआर, हरियाणा और कानपुर नगर के रहने वाले हैं, इसमें कोई भी एंबुलेंस वाहन मालिक अमरोहा का निवासी नहीं है, इसके साथ ही इन सभी वाहनों का संचालन ज्यादातर दिल्ली में होता है इसलिए अधिनियम के उपनियम इन वाहनों पर लागू नहीं होते. इसके साथ ही कोर्ट ने इस बात का भी हवाला दिया कि किसी भी राज्य के परिवहन प्राधिकरण को पंजीकरण निरस्त करने से पहले वाहन मालिकों को रजिस्टर्ड पोस्ट से सूचना भेजनी होती है, जैसा कि इस केस में नहीं हुआ.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारा मोटर वाहन विभाग, अमरोहा मोटर वाहन अधिनियम 1988 में निर्गत किए गए अधिकारों का प्रयोग करते हुए दिल्ली एनसीआर की 448 एंबुलेंस वाहनों का पंजीकरण निरस्त करने का आदेश जून महीने में जारी किया गया था. जिसका आधार बताया गया कि श्री साइन एंबुलेंस सर्विसेस और गगन त्यागी एंबुलेंस सर्विसेस के वाहनों के नाम व पते फर्जी पाए जाने पर उपरोक्त कार्रवाई की गई. परिवहन आयुक्त अमरोहा के निर्देश पर सभी एंबुलेंस वाहनों के संचालन पर देशभर में रोक लगा दी गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए एंबुलेंस संचालकों के पक्ष में फैसला सुनाया.

Tags: 108 ambulance, Ambulance Service, Delhi news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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