अजब गजब

महंगाई के दौर में रियल एस्टेट क्यों साबित होता है निवेशकों के लिए ‘तुरुप का इक्का’?

हाइलाइट्स

महंगाई के दौर में प्रॉपर्टी के दाम भी ऊपर जाते हैं.
ऐसे समय में पहले से बने घरों की मांग बढ़ती है.
लोन महंगा होने के कारण लोग किराए पर रहना पसंद करते हैं.

नई दिल्ली. देश में महंगाई फिलहाल काफी बढ़ी हुई है और इसे रोकने के लिए आरबीआई लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है. नवंबर में महंगाई साल में पहली बार आरबीआई के संतोषजनक दायरे के अंदर रही. हालांकि, आरबीआई ने पिछली बैठक में फिर रेपो रेट बढ़ा दी. इसका नतीजा ये हो रहा है कि लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे कम आ रहे हैं जिससे अंत में डिमांड प्रभावित हो रही है. इससे वस्तु और सेवाएं सस्ती जरूर हो रही है लेकिन दाम घटने से विभिन्न एसेट क्लास में रिटर्न भी नीचे आने लगा है. मार्केट सुस्ती की ओर बढ़ रहा है और इसका असर स्टॉक मार्केट से लेकर म्यूचुअल फंड तक दिखाई दे रहा है. अमेरिका में मंदी की आहट ने आग में घी का काम किया है.

ऐसे में निवेशकों के लिए समझना मुश्किल हो रहा है कि वे अपना पैसा कहां लगाएं कि उन्हें अगर निकट भविष्य में मुनाफा ना भी हो तो घाटा भी देखने को न मिले. इसमें रियल एस्टेट आपकी मदद कर सकता है. रियल एस्टेट कुछ ऐसे निवेश विकल्पों में से है जो लगभग हर बार एक समय के बाद आपको बेहतर रिटर्न देकर ही जाता है. मुद्रास्फीति के समय तो कई बार प्रॉपर्टी और अधिक रिटर्न देने लगती है. क्योंकि ऐसे समय में रेंट और उसकी कीमत दोनों बढ़ती है और प्रॉपर्टी के मालिक को इसका लाभ पहुंचता है.

ये भी पढ़ें- तेजी से बढ़ रहे ब्याज ने महंगा कर दिया है लोन? ऐसे करें EMI मैनेज, बचेगा पैसा और जल्द खत्म होगा कर्ज

महंगे घर
जब महंगाई बढ़ती है तो जाहिर तौर पर तैयार वस्तुओं के साथ-साथ कच्चा माल भी महंगा हो जाता है. प्रॉपर्टी के मामले में भी ऐसा होता है. यहां बिल्डिंग मैटेरियल महंगा होने लगता है और घर बनाने की बजाय बना बनाया घर खरीदने की कोशिश करने लगते हैं क्योंकि संभवत: पहले बने होने के कारण वह कुछ सस्ता मिल सकता है. हालांकि, तब भी मकानमालिक को उसमें जबरदस्त लाभ मिलता है. साथ ही बिल्डिंग मैटेरियल महंगा होने से निर्माण का कार्य धीमा हो जाता है और नए मकानों की कमी होने लगती है ऐसे में घर खरीदारों के पास पहले के बने घर खरीदने का विकल्प बचता है.

किराए पर असर
कई बार लोग ऐसे दौर में घर खरीदने का सपना ही त्याग देते हैं. क्योंकि महंगे होते लोन की वजह से उनके लिए EMI मैनेज कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में वे घर खरीदने की बजाय रेंट पर रहना पसंद करते हैं. इससे रेंटल प्रॉपर्टीज के रेट बढ़ते हैं. किराएदार आसमानी छूती ईएमआई की जगह थोड़ा बढ़ा हुआ किराया देना चुनते हैं.

रियल एस्टेट की डिमांड हमेशा रहेगी
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन के मुताबिक, महंगाई के दौर में रेजिडेंशियल रियल एस्टेट एक बहुत सुरक्षित निवेश विकल्प है. स्टडी में सामने आया है कि 1970 में अमेरिका में महंगाई के दौर में अर्थव्यवस्था के आकार के मुकाबले घरों की कीमतें अधिक तेजी से बढ़ी थीं. वहीं, स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स पर इसका नकारात्मक प्रभाव होता है.

Tags: Business news, Indian real estate sector, Investment and return, Investment tips, Real estate


Source link

एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!