खुद न बन पाए इंटरनेशनल प्लेयर तो खड़ी कर दी खिलाड़ियों की फौज, 70 पा चुके खेल कोटे से नौकरी…-could-not-become-an-international-player-he-raised-an-army-of-players-70-have-got-jobs-through-sports-quota

पाली. कोई व्यक्ति अपने जीवन में खूब संघर्ष के बाद भी वह मुकाम हासिल नही कर पाता और किसी न किसी कारण रह जाता है और निराश होकर बैठ जाता है मगर पाली शहर के रहने वाले चिड़िया बाबू ने कुछ अलग ही कर दिखाया. चिड़िया बाबू को बास्केटबॉल का शौक था और वह अच्छे खिलाडी भी थे मगर कम हाइट होने की वजह से वह नेशनल प्लेयर नही बन पाए. मगर वह इसके बाद निराश होकर नही बैठे और अपना सपना अधूरा रह गया तो स्वयं ही इसके कोच बन गए और 50 साल से बास्केटबॉल की फ्री कोचिंग दे रहे है.
देखते ही देखते वह खुद तो नेशनल प्लेयन नही बन पाए मगर आज तक वह 4 इंटरनेशनल और 150 नेशनल प्लेयर तैयार कर चुके है. पेशे से भले ही चिड़िया बाबू सब्जी मंडी व्यापारी हैं मगर आज उनका जीवन प्रेरणा से भरा हुआ है. शहर के नाड़ी मोहल्ला में रहने वाले 74 साल के नजर मोहम्मद उर्फ चिड़िया बाबू की पहचान बास्केटबॉल खिलाड़ी और गुरुजी के नाम से है. इस खेल की फ्री कोचिंग देकर वे सैकड़ों इंटरनेशनल, नेशनल और स्टेट प्लेयर तैयार कर चुके हैं. 70 खिलाड़ी इस खेल के दम पर सरकारी नौकरी पा चुके हैं.
ऐसे की थी शुरूआत
चिड़िया बाबू बताते है कि उन्होंने वर्ष 1967 में बास्केटबॉल खेलने की शुरूआत की थी. 3 साल बाद 1970 में राजस्थान टीम के कैंप में सलेक्शन हो गया. वह बहुत खुश थे. लेकिन हाइट कम (4.9 फीट) होने के कारण टीम में चयन नहीं हुआ. जिसके चलते नेशनल प्लेयर बनने का उनका सपना टूट गया. कई दिन बास्केटबॉल कोर्ट पर नहीं गया. सोचा कि अब नेशनल खेलने का सपना कभी पूरा नहीं होगा. घरवालों ने संभाला. एक बार फिर मैदान पर उतरा. यह सोचकर कि खुद नेशनल प्लेयर नहीं बन सकता, लेकिन अब मैं नेशनल प्लेयर तैयार करूंगा. आज नेशनल ही नही बल्कि इंटरनेशनल प्लेयर तक इन्होंने तैयार किए हैं.
50 साल से दे रहे ट्रेनिंग और लक्ष्य एक ही
चिड़िया बाबू पेशे से सब्जी मंडी व्यापारी है मगर बचपन से ही बास्केटबॉल का जुनून इतना है कि सुबह शाम बांगड स्कूल ग्राउंड के कोर्ट पर रहते थे. बस एक ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित किया कि एक न एक दिन पाली से कोई ऐसा खिलाडी निकले जो नेशनल खेले. यही सोचकर बांगड़ स्कूल के बास्केटबॉल ग्राउंड में खिलाड़ियों को फ्री ट्रेनिंग देना शुरू किया. 1974 में फ्री ट्रेनिंग देना शुरू किया था, आज 50 साल बाद भी यह काम जारी है. उद्देश्य भी यही रहता है कि ज्यादा से ज्यादा खिलाडियो को तैयार कर सके.
150 खिलाडी जो खेल चुके नेशनल
कहते है कुछ कर गुजरने की चाह हो तो मेहनत बेकार नही जाती और इसी को ध्यान में रखकर चिड़िया बाबू ने जो शुरूआत की उसके चलते उनकी मेहनत बेकार नहीं गई. जो सोचा था वो पाया. पाली के खिलाड़ी बास्केटबॉल की इंटर नेशनल भी खेलकर आए. हनुमान सिंह बेस, नीरज काला, विनोद मेवाड़ा, हर्षवर्धन टांक नेशनल प्लेयर हैं. इन सभी को सरकारी नौकरी भी मिली. कुल मिलाकर करीब 70 खिलाड़ी तो सरकारी जॉब में हैं. ऐसे में एक कोच के लिए इससे बडी खुशी की बात क्या हो सकती है. इन चारों के अलावा कोचिंग लेकर 150 खिलाड़ी नेशनल तक खेल चुके हैं. स्टेट लेवल पर खेलने वाले पाली के खिलाड़ियों की संख्या तो सैकड़ों में है.
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FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 16:37 IST
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