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सुबह 5 बजे आया था शोभराज को पकड़ने का सपना, इस तरह गिरफ्त में आया मोस्ट वॉन्टेड क्रिमिनल

(Rohini Swamy)

“चार्ल्स शोभराज को रिहा करना अदालत का फैसला है. इसमें हम क्या कर सकते हैं? मैं निश्चित तौर पर इस फैसले से निराश हूं. मेरी टीम और मैंने वर्षों से उसे ट्रैक करने में घंटों बिताए थे. यह सब अब बेकार हो गया. 1986 में गोवा में चार्ल्स शोभराज को गिरफ्तार करने वाले महान पुलिस अधिकारी मधुकर ज़ेंडे ने नेपाल में लगभग 20 साल सजा काटने के बाद सीरियल किलर की रिहाई पर यह प्रतिक्रिया दी है.

हतचंद भौनानी गुरुमुख उर्फ ​​चार्ल्स शोभराज उर्फ ​​चार्ली के कई अन्य उपनाम भी थे. जिस तरह के कपड़ों के आधार पर वह पीड़ितों की हत्या करता था उस आधार पर उसे ‘द बिकनी किलर’ या ‘द सर्पेंट’ कहा जाता था और वह चालाक, घिनौने तरीके से कई बार पुलिस से बच निकलता था.

नेपाल में करीब 20 साल तक जेल में रहने के बाद स्वास्थ्य के आधार पर वहां के सुप्रीम कोर्ट ने शोभराज को रिहा करने का आदेश दिया है. शोभराज करीब 20 साल तक भारतीय जेलों में भी बंद रहा था.

चार्ल्स शोभराज पर दुनिया भर में 50 से अधिक महिलाओं की हत्या का आरोप था और थाईलैंड, भारत, ईरान, फ्रांस और श्रीलंका सहित कम से कम 10 देशों की पुलिस और सरकारें उसकी तलाश में थीं. रिटायर्ड सुपर कॉप ज़ेंडे ने News18 से कहा, “जो ठीक नहीं हो सकता उसे सहना चाहिए. शोभराज ने भारत और नेपाल में 43 साल जेल में बिताए हैं और देश के कानून ने उसे रिहा किया है. अब वह अपनी गलत तरीके से हुई कमाई गए से अपना बाकी का जीवन खुलकर जिएगा.”

जिस शर्ट को पहनकर किया था गिरफ्तार वह अब भी सुरक्षित
अभी भी गोवा के ओ’कोक्विएरो नामक एक प्रसिद्ध रेस्त्रां से शोभराज को गिरफ्तार किए जाते समय पहनी हुई सफेद कॉलर वाली लाल शर्ट को संभालकर रखने वाले ज़ेंडे को लगता है कि अदालतों ने सीरियल किलर को मौत की सजा नहीं दी, जिसके वह हकदार थे.

जिस तरह से उनकी टीम ने गोवा में शोभराज का पता लगाया, उसे याद करते हुए ज़ेंडे कभी नहीं थकते. अधिकारी ने सबसे पहले उसे 14 नवंबर, 1971 को गिरफ्तार किया लेकिन शातिर हत्यारा भागने में सफल रहा.

वह बताते हैं, “1971 का युद्ध चल रहा था और मैंने उसे अभी गिरफ्तार किया था. एक दिन ब्लैक आउट हो गया. शोभराज ने संक्रमित एपेंडिसाइटिस की शिकायत की. हमने उसे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया, जहां वह नाली के पाइप से नीचे उतरकर वहां से भागने में सफल रहा.”

शोभराज को एक बार फिर 1976 में दिल्ली पुलिस ने पकड़ा और वह 1986 तक जेल में रहा.

अंडरवर्ल्ड के कई बड़े नामों को भी किया था गिरफ्तार
चार्ल्स शोभराज को पकड़ने के लिए जिस पुलिस अधिकारी का अनगिनत बार साक्षात्कार लिया गया है, उन्होंने कई अन्य सराहनीय ऑपरेशन को अंजाम दिया है. मुंबई पुलिस के सबसे सम्मानित सहायक आयुक्तों में से एक, उनका नाम मुंबई में अपराधियों की रीढ़ को हिला देता था. उन्होंने हाजी मस्तान और करीम लाला जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन को भी गिरफ्तार किया है.

रिटायर होने के बाद पुणे में बसे ज़ेंडे अब भी सेवा के दौरान जिन मामलों में सक्रिय रूप से शामिल रहे उनके विकास की बारीकी से निगरानी करते हैं.

सपने में दिख गया था उस दिन होने वाला कारनामा
ज़ेंडे अपने एक सपने को याद करते हैं जिसमें उन्होंने वह देखा था जो कि उस दिन होने वाला था. सपने में वह शोभराज के हाथ बांध रहे थे और अपने एक वरिष्ठ को फोन कर कह रहे थे कि, आप विश्वास नहीं करेंगे, मैंने शोभराज को गिरफ्तार कर लिया है.

अपने सपने को याद करते हुए ज़ेंडे कहते हैं, ये ईश्वर का इशारा था. मैंने करीब सुबह 5 बजे सपना देखा कि मैंने शोभराज को गिरफ्तार कर लिया है. मैं एक मोटरसाइकिल चला रहा हूं और अचानक से मेरी बाइक हवा में उछल गई है और सेंट्रल सिटी स्क्वायर में लोगों की भीड़ में ये उतरती है. जैसे ही मेरी बाइक जमीन को छूती है लोग मुझे घेर लेते हैं और माला पहनाने लगते हैं.

1976 में फ्रांसीसी पर्यटकों के एक समूह को ज़हर देने और लूटने के आरोप में 12 साल की सजा काट रहे शोभराज के भारत की सबसे ज्यादा सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल से फरार होने के बाद ज़ेंडे को तत्कालीन महाराष्ट्र पुलिस प्रमुख सूर्यकांत जोग ने गोवा भेजा था.

इस तरह हुआ था तिहाड़ जेल से फरार
तिहाड़ का फरार होना उतना ही सनसनीखेज था जितना कि गोवा में हुई गिरफ्तारी. भारी सुरक्षा वाले तिहाड़ जेल के परिसर में आयोजित पार्टी में शोभराज ने जेल की सुरक्षा में लगे सिपाहियों को नशीला पदार्थ खिला दिया था.

पुलिस को एक गुप्त सूचना मिली थी कि शोभराज गोवा में छिपा हुआ है और एक क्रूज लाइनर में भागने की योजना बना रहा है.

ज़ेंडे और उनकी टीम ने गोवा में दुनिया के सबसे वॉन्टेड अपराधी को ट्रैक करने के लिए बड़े पैमाने पर खोज शुरू की. शोभराज को एक बार पहले गिरफ्तार करने और फिर दोबारा ऐसा करने के करीब आने वाले ज़ेंडे इस काम के लिए बिल्कुल सही आदमी थे. सनसनीखेज मामले के बारे में पूछे जाने पर जेंडे के साथियों का कहना है कि वह शोभराज के दिमाग को सबसे अच्छी तरह से जानने वाले पुलिस अधिकारी थे

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शोभराज को पकड़ने की कोशिश में पहले ज़ेंडे की टीम महाराष्ट्र के पनवेल के एक होटल में गई. होटल पंचरत्न के मालिक संजय पोतदार ने शोभराज और उसके जाने-माने साथी और ड्रग पेडलर डेविड हॉल द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मोटरसाइकिलों की रजिस्ट्रेशन प्लेट को नोट कर रखा था.

जेंडे कहते हैं “गोवा में, ऐसी मोटरसाइकिलें हैं जिन्हें किराए पर लिया जा सकता है. मैं इधर-उधर रजिस्ट्रेशन नंबर दिखा रहा था और लोगों को बता रहा था कि मेरा भाई इसमें भाग गया था और मैं उसे ढूंढ रहा हूं.”

वह बताते हैं, “एक दिन, मैं एक युवा लड़के से मिला जिसने नंबर पहचान लिया और मुझे झूठा कहा. मैंने उससे पूछा कि उसने मुझे ऐसा क्यों कहा. उसने कहा कि जिस व्यक्ति को मैंने नंबर प्लेट वाली नई मोटरसाइकिल दिखाई थी वह यूरोपियन और गोरी चमड़ी का था जबकि मैं सांवली चमड़ी का था. लड़के ने मुझसे पूछा, ‘वह तुम्हारा भाई कैसे हो सकता है.’ यह पहली पुष्टि थी कि शोभराज वास्तव में अब भी गोवा में है.

पत्नी के फोनकॉल के जरिए मिला सुराग
अमेरिका में रहने वाली शोभराज की पत्नी के बारे में एक और सुराग मिलने के बाद पुलिस ने विदेश में फोन करने की कोशिश की. 1980 के दशक के अंत में, अंतर्राष्ट्रीय कॉल केवल टेलीकॉम एक्सचेंज के माध्यम से ही बुक की जा सकती थीं. ज़ेंडे ने वहां एक अधिकारी से मुलाकात की जिसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कॉल करने के लिए वेटिंग पीरियड लंबा होगा.

वह कहते हैं, “टेलीकॉम अधिकारी ने मुझे अच्छी जानकारी दी. उन्होंने मुझे पोरवोरिम में O’Coqueiro नाम के इस रेस्तरां में जाने की सलाह दी, जहां लोगों को कॉल करने की अनुमति थी और यहां अक्सर पर्यटक भी आते थे.”

यह वह जगह थी जहां एशिया के मोस्ट वांटेड हत्यारे को एक बहुत ही “फिल्मी लेकिन भाग्यशाली” पल में पकड़ा जाने वाला था.

इस तरह गिरफ्त में आया शोभराज
जब तक शोभराज को गिरफ्तार नहीं किया गया था, तब तक इस अनोखे छोटे से रेस्तरां को गोवा की डिश चिकन कैफेरियल के सबसे स्वादिष्ट संस्करण परोसने पर गर्व था. यह जगह कई विदेशी पर्यटकों के लिए भी एक आम अड्डा था क्योंकि इसमें आईएसडी कनेक्शन वाला फोन था, जो कि जब लैंडलाइन आम नहीं थे तब उस समय की एक दुर्लभ सेवा थी.

O’Coqueiro का प्रबंधन पर्यटकों को लंबी दूरी या अंतरराष्ट्रीय कॉल करने के लिए इसका इस्तेमाल करने और बाद में शानदार भोजन किया जा सकता था.

जेंडे कहते हैं, “मुझे विश्वास था कि अगर मैंने रेस्तरां में पर्याप्त समय बिताया, तो मैं चार्ल्स शोभराज से टकराऊंगा क्योंकि उसे अपने खाने और महिलाओं से प्यार था. मैं 6 अप्रैल की रात तक हर दिन एक लंबी छुट्टी पर एक पर्यटक की तरह अभिनय करते हुए मेज पर बैठ जाता था.”

ज़ेंडे की बात तब सही साबित हुई, जब काली टोपी पहने दो आदमी एक प्रीमियर पद्मिनी कार से बाहर निकले और लगभग 10:30 बजे खाने के लिए रेस्तरां में दाखिल हुए. शोभराज और उसके दोस्त ने अपनी-अपनी पसंदीदा टेबल पर बीयर का ऑर्डर दिया. ज़ेंडे ने इस समय धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा की.

जेंडे बताते हैं, “मैंने शोभराज को पहचान लिया, हालांकि वह पिछली बार की तुलना में जब मैंने उसे गिरफ्तार किया था, थोड़ा अलग दिख रहा था. उसने दाढ़ी रख ली थी लेकिन उन सर्द, चुभने वाली, पछतावे भरी आंखों ने मुझे बताया कि यह वही था.

उत्साहित लेकिन दृढ़ निश्चयी ज़ेंडे शोभराज के पास गए और उसे पीछे से पकड़ लिया. “हेलो चार्ल्स. क्या हाल है?” (Hello Charls, How are you?)शोभराज की गिरफ्तारी की पंच लाइन थी.

उस पल को यादगार बनाने के लिए, रेस्तरां के मेनू में अब प्रसिद्ध चिकन कैफेरियल के साथ 2,500 रुपये की कीमत वाला ज़ेंडे प्लैटर भी मौजूद है.

सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त इस गिरफ्तारी का श्रेय अकेले नहीं लेना चाहते और वह इसे एक टीम प्रयास कहते हैं.

सनसनीखेज गिरफ्तारी के छत्तीस साल बाद, ज़ेंडे का कहना है कि शोभराज, चार दशक जेल में बिताने के बावजूद, “कानून की परवाह न करने वाला क्रूर और ठंडे दिल का अपराधी” बना हुआ है.

जेंडे कहते हैं, “यह जानकर दुख हुआ कि वह 50 से अधिक महिलाओं की हत्या करने के बावजूद आज आज़ाद है. उसने कम से कम 25 हत्याओं को कबूल किया है.” यह कहते हुए उनकी आवाज में निराशा साफ सुनाई दे रही थी. (News18.com के लिए रोहिणी स्वामी की रिपोर्ट)

Tags: Brutal crime, Goa


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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